पानी के लिए तरस सकता है पाकिस्तान! भारत करेगा सिंधु जल संधि समीक्षा? PAK को भेजा नोटिस
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पानी के लिए तरस सकता है पाकिस्तान! भारत करेगा सिंधु जल संधि समीक्षा? PAK को भेजा नोटिस

भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है. इसमें कहा गया है कि सिंधु जल संधि की समीक्षा करनी जरूरी है.


Sindhu Water Treaty: पाकिस्तान को आने वाले दिनों में जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, भारत ने सिंधु जल संधि की समीक्षा के लिए पाकिस्तान को नोटिस भेजा है. इसमें कहा गया है कि “मौलिक और अप्रत्याशित” परिवर्तनों के चलते सिंधु जल संधि की समीक्षा करनी जरूरी है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत सरकार ने संधि में संशोधन की मांग करते हुए पाकिस्तान को औपचारिक नोटिस भेजा है. नोटिस में उन परिस्थितियों में मूलभूत परिवर्तनों की बात कही गई है, जिनके लिए संधि की समीक्षा की जरूरत है. बता दें कि भारत ने जनवरी, 2023 में भी पाकिस्तान को एक नोटिस भेजा था, जिसमें 1960 की संधि में संशोधन की मांग की गई थी. यह नोटिस संधि के कार्यान्वयन में पाकिस्तान द्वारा सहयोग न करने के कारण जारी किया गया था.

सिंधु जल संधि

साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों- सतलज, ब्यास और रावी का सारा पानी, जो सालाना लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF)है- भारत को अप्रतिबंधित उपयोग के लिए आवंटित किया जाता है. दूसरी ओर पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का अधिकांश पानी, जो सालाना लगभग 135 MAF है, पाकिस्तान को आवंटित किया गया है. संधि भारत को विशिष्ट डिजाइन और संचालन मानदंडों के अधीन, पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाओं के माध्यम से पनबिजली पैदा करने का अधिकार देती है. पाकिस्तान को इन नदियों पर भारतीय पनबिजली परियोजनाओं के डिजाइन पर आपत्ति उठाने का अधिकार है.

संधि के तहत पाकिस्तान को सिंधु जल निकासी प्रणाली में लगभग 80 प्रतिशत पानी प्राप्त हुआ. जबकि भारत को सिंधु प्रणाली में कुल 16.8 करोड़ एकड़ फीट पानी में से लगभग 3.3 करोड़ आवंटित किया गया था. वर्तमान में, भारत सिंधु जल के अपने आवंटित हिस्से के 90 प्रतिशत से थोड़ा अधिक उपयोग करता है. भारत को लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित कई राज्यों में सिंधु नदी प्रणाली से जल संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार है. इन राज्यों को गंगा की सहायक नदी यमुना से भी पानी मिलता है.

वहीं, जब भी भारत अपने आवंटित जल कोटे का उपयोग करने या सिंधु जल संधि के तहत अनुमति के अनुसार बांध बनाने का प्रयास करता है तो पाकिस्तान आपत्ति जताता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ जाता है. इसका एक उदाहरण तुलबुल नेविगेशन परियोजना है, जिसे भारत सरकार ने उरी आतंकी हमले के बाद तेजी से पूरा करने का फैसला किया. पाकिस्तान द्वारा वुलर बैराज परियोजना के रूप में संदर्भित यह परियोजना एक लंबे समय से चली आ रही योजना है, जिसे पाकिस्तान की आपत्तियों के कारण 1987 में निलंबित कर दिया गया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने के भारत के बार-बार प्रयासों के बावजूद, पाकिस्तान ने 2017 और 2022 के बीच आयोजित स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया. हाल ही में, पाकिस्तान के लगातार आग्रह पर, विश्व बैंक ने तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता न्यायालय दोनों प्रक्रियाओं पर कार्रवाई शुरू की है. सिंधु जल संधि के तहत, भारत को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में 13.4 लाख एकड़ सिंचाई विकसित करने का अधिकार है. हालांकि, वर्तमान में इन केंद्र शासित प्रदेशों में केवल 6.42 लाख एकड़ भूमि ही सिंचित है.

इसके अलावा संधि भारत को पश्चिमी नदियों यानी कि झेलम, सिंधु और चिनाब से 3.60 मिलियन एकड़ फीट पानी संग्रहीत करने की अनुमति देती है. आज तक, जम्मू और कश्मीर में कोई भंडारण क्षमता विकसित नहीं हुई है. संधि भारत को पानी के प्रवाह को अवरुद्ध किए बिना झेलम, चिनाब और सिंधु पर रन-ऑफ-रिवर बांध बनाने की भी अनुमति देती है. यह प्रावधान भारत को संधि के तहत पाकिस्तान को आवंटित नदियों में पानी के प्रवाह को अस्थायी रूप से प्रतिबंधित करने का लाभ देता है.

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