क्या पाक खुद बलूचिस्तान को बनाना चाहता है बांग्लादेश, 1971 का इतिहास गवाह
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क्या पाक खुद बलूचिस्तान को बनाना चाहता है बांग्लादेश, 1971 का इतिहास गवाह

पाकिस्तान की ऐतिहासिक और वर्तमान विफलताओं का सबसे बड़ा गवाह बलूचिस्तान -बांग्लादेश हैं। दोनों ही जगहों पर संसाधनों के दोहन, सांस्कृतिक उपेक्षा और सैन्य दमन जैसी शिकायतें देखने को मिलती हैं।


बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जो देश के 44% क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यह ईरान, अफगानिस्तान और अरब सागर से घिरा हुआ है। बलूच, पश्तून और अन्य छोटे जातीय समूह यहां रहते हैं। बलूच समुदाय की अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान है, जो पाकिस्तानी सरकार से अक्सर टकराव का कारण बनती है।

संसाधनों का दोहन और आर्थिक अन्याय

बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र है, लेकिन इसकी संपत्तियों का लाभ पंजाबी प्रभुत्व वाला तबका उठाता है। यही असंतोष बलूच विद्रोह को बढ़ावा देता है।

इसी तरह, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के संसाधनों – जैसे जूट और चाय – का शोषण पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) द्वारा किया गया, लेकिन पूर्वी पाकिस्तान को इसका कोई लाभ नहीं मिला।

सांस्कृतिक और भाषायी पहचान की उपेक्षा

पाकिस्तान सरकार ने बांग्ला भाषा और संस्कृति को दबाने की कोशिश की, जिसका परिणाम 1971 के युद्ध में हुआ।ठीक उसी तरह, बलूच भाषा और संस्कृति को भी प्राथमिकता नहीं दी जाती। बलूच समुदाय को लगता है कि उनकी पहचान मिटाने की कोशिश की जा रही है।

सैन्य दमन और मानवाधिकार हनन

1971 में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान में नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन हुए।बलूचिस्तान में भी ऐसा ही हुआ है। पाकिस्तानी सेना ने कई सैन्य अभियान चलाए, हजारों बलूच नागरिक गायब हुए, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बलूचिस्तान में बेरोजगारी और गरीबी चरम पर है, और इसे राष्ट्रीय बजट में बहुत कम हिस्सा मिलता है।

बलूच विद्रोह: पाकिस्तान के लिए एक स्थायी संकट

बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), बलूच लिबरेशन फ्रंट (BLF) और मजीद ब्रिगेड जैसे संगठन स्वतंत्र बलूचिस्तान की मांग कर रहे हैं।1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान क्वेटा में इंदिरा गांधी और जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समर्थन में नारे लगे थे।

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पाकिस्तान की बलपूर्वक संलग्नता

विभाजन के समय बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों ने स्वतंत्रता की घोषणा की थी। कलात राज्य के नवाब मीर अहमद यार खान ने एक स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा की, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने 1 अप्रैल 1948 को इसे जबरन पाकिस्तान में मिला लिया।

नवाब अकबर खान बुगती और परवेज मुशर्रफ की भूल

अकबर बुगती, बलूच राष्ट्रवाद के सबसे बड़े चेहरे थे। उन्होंने 2005 में बलूचिस्तान के संसाधनों पर बलूचों के अधिकार और सैन्य ठिकानों पर रोक की मांग की।परंतु परवेज मुशर्रफ ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया और बलूचिस्तान में सैन्य अभियान शुरू कर दिया। 26 अगस्त 2005 को अकबर बुगती की हत्या कर दी गई, जिससे बलूच आंदोलन और तेज़ हो गया।बुगती की मौत के बाद, BLA ने मजीद ब्रिगेड नामक आत्मघाती दस्ता बनाया, जिसने पाकिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों को अंजाम दिया।

क्या बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग होगा?

हाल ही में पाकिस्तानी सांसद मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि बलूचिस्तान के 5 से 7 जिले जल्द ही स्वतंत्रता की घोषणा कर सकते हैं।अगर ऐसा हुआ, तो संयुक्त राष्ट्र उनकी स्वतंत्रता को मान्यता दे सकता है।बलूचिस्तान और बांग्लादेश के अनुभव यह दर्शाते हैं कि पाकिस्तान का केंद्रीयकरणवादी रवैया, संसाधनों का शोषण और सैन्य दमन उसके लिए घातक साबित हुआ है।बांग्लादेश ने भारत के समर्थन से अपनी आजादी हासिल कर ली, लेकिन बलूचिस्तान अभी भी अत्याचार झेल रहा है।अगर पाकिस्तान बलूचों के प्रति अपनी नीति नहीं बदलेगा, तो बलूचिस्तान का अलग होना समय की बात भर है।



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