भारत के हमले से घबराया पाकिस्तान, बंकर सलाह पर बोले राष्ट्रपति ज़रदारी
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भारत के हमले से घबराया पाकिस्तान, बंकर सलाह पर बोले राष्ट्रपति ज़रदारी

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मिलिट्री सेक्रेटरी ने बंकर में जाने को कहा था। ज़रदारी बोले—नेता बंकर में नहीं मरते, भारतीय अफसर ने दावों पर सवाल उठाए।


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Zardari On Operation Sindoor : भारत और पाकिस्तान के बीच मई महीने में हुए चार दिन के सैन्य टकराव को लेकर अब पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी का बयान चर्चा में है। ज़रदारी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार किया है कि जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, तब उनके मिलिट्री सेक्रेटरी ने उन्हें सुरक्षा कारणों से बंकर में शरण लेने की सलाह दी थी। हालांकि, ज़रदारी का कहना है कि उन्होंने इस सलाह को ठुकरा दिया।


यह बयान ऐसे समय आया है जब ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पाकिस्तान की तैयारी, प्रतिक्रिया और नेतृत्व की भूमिका पर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। ज़रदारी ने दावा किया कि उन्हें इस टकराव की जानकारी चार दिन पहले ही हो गई थी। वहीं भारत की ओर से इस दावे को सिरे से खारिज किया गया है। भारतीय सेना के एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य लीडरशिप बंकरों में छिपी हुई थी, जबकि ज़मीनी स्तर पर उनके सैनिक जान गंवा रहे थे।

‘जंग शुरू हो गई है, बंकर में चलिए’ - ज़रदारी का खुलासा

एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ज़रदारी ने बताया कि जैसे ही भारतीय हमले शुरू हुए, उनके मिलिट्री सेक्रेटरी उनके पास आए और कहा - “जंग शुरू हो चुकी है, हमें बंकर में जाना चाहिए।”
ज़रदारी के मुताबिक, उन्होंने साफ इनकार कर दिया और कहा कि अगर शहादत लिखी है तो वहीं आएगी। उनका बयान था “नेता बंकरों में नहीं मरते, वे मैदान-ए-जंग में मरते हैं।”

इस बयान से यह साफ संकेत मिलता है कि भारतीय स्ट्राइक्स के बाद इस्लामाबाद में हाई अलर्ट की स्थिति थी। राष्ट्रपति स्तर तक सुरक्षा को लेकर चिंता थी और सत्ता के गलियारों में डर का माहौल बना हुआ था।

चार दिन पहले जानकारी का दावा, लेकिन सवाल भी कई

ज़रदारी ने अपने भाषण में यह भी दावा किया कि उन्हें भारत-पाक संघर्ष की आशंका चार दिन पहले ही हो गई थी। हालांकि, इस बयान ने पाकिस्तान की तैयारियों पर और ज्यादा सवाल खड़े कर दिए हैं।

अगर पाकिस्तान को चार दिन पहले जानकारी थी, तो फिर भारतीय हमलों को रोकने की कोई ठोस तैयारी क्यों नहीं दिखी? यही सवाल अब भारत की ओर से उठाया जा रहा है। भारतीय सैन्य हलकों का कहना है कि पाकिस्तान न तो मिसाइल हमलों को रोक पाया और न ही अपने आतंकी ठिकानों को बचा सका।

भारतीय सेना का पलटवार, ज़रदारी के दावे पर सीधा सवाल

भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने ज़रदारी के बयान को झूठा करार दिया है। समाचार एजेंसी ANI से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब भारत ने हमला किया, तब पाकिस्तान की पूरी राजनीतिक और सैन्य लीडरशिप बंकरों में छिपी हुई थी।

ढिल्लों के मुताबिक, यहां तक कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर भी बंकर के अंदर थे। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर पाकिस्तान को चार दिन पहले जानकारी थी, तो वह एक भी मिसाइल को नौ आतंकी ठिकानों पर गिरने से क्यों नहीं रोक पाया?

ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सटीक और निर्णायक कार्रवाई

7 मई 2025 की तड़के भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था। यह कार्रवाई 26 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी गई थी।

भारतीय सेना और वायुसेना की संयुक्त स्ट्राइक में नौ बड़े आतंकी कैंप तबाह किए गए और 100 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया गया। कार्रवाई इतनी सटीक थी कि पाकिस्तान को संभलने का मौका तक नहीं मिला।

पाकिस्तान की नाकाम जवाबी कोशिश और सीज़फायर

भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान ने मिसाइल और ड्रोन के ज़रिये भारतीय शहरों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन सभी प्रयास नाकाम रहे। नुकसान बढ़ता देख पाकिस्तान के सैन्य कमांडरों ने आखिरकार सीज़फायर की मांग की।

चार दिन तक चले इस सैन्य टकराव का अंत 10 मई को हुआ। हालांकि, ज़रदारी के ताज़ा बयान ने एक बार फिर पाकिस्तान की रणनीति, नेतृत्व और युद्धकालीन दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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