
साजिशें बुनना तो मुनीर का पेशा है, ISI और MI के चीफ भी रहे जनरल मुनीर
यह महज संयोग नहीं है कि PAK सेना प्रमुख जनरल मुनीर 16 अप्रैल को कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस कहते हैं और 22 अप्रैल को कश्मीर में बड़ा आतंकी हमला हो जाता है।
एक बहुत ही चर्चित कहावत अक्सर कही जाती है, एक तो करेला, ऊपर से नीम चढ़ा। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को आप इस कहावत के खांचे में फिट पा सकते हैं।
वह संभवत: पाकिस्तान के ऐसे पहले सेना प्रमुख होंगे जिन्होंने जनरल बनने से पहले पाकिस्तान की दो बदनाम खुफिया एजेंसियों, इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) और मिलिट्री इंटेलिजेंस ( MI ) का भी नेतृत्व किया है। पाकिस्तान की ये दोनों खुफिया एजेंसियां भारत के खिलाफ किस तरह आतंकी साजिशें बुनती रही हैं, ये किसी से छिपा नहीं है।
तो जो सैन्य अफसर ऐसी बदनाम खुफिया एजेंसियों को लीड कर चुका हो, वो खुद कितना शातिर होगा, इससे अंदाजा लगा सकते हैं। इसीलिए यह महज संयोग नहीं है कि इस्लामाबाद में 13 से 16 अप्रैल तक आयोजित किए गए पहले ओवरसीज़ पाकिस्तानी कन्वेंशन को संबोधित करते हुए जनरल मुनीर ने जिन्ना की 'टू नेशन थिअरी' की बात की, कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस कहा और साथ ही हिन्दू और मुसलमानों के बीच फ़र्क़ को रेखांकित किया।
जनरल मुनीर ने तब ये भी कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत कश्मीर को पाकिस्तान से अलग नहीं कर सकती है। और इसके एक हफ्ते बाद जम्मू कश्मीर के पहलगाम में भयानक आतंकी हमला हो जाता है जिसमें आतंकी पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाते हैं। 26 पर्यटक बेमौत मारे गए। साफ जाहिर है कि इस पूरे आतंकी हमले का पटकथा लेखक कोई और नहीं, बल्कि खुद जनरल असीम मुनीर हैं।
मुनीर को सेना प्रमुख का पद संभाले हुए यह तीसरा साल है। नवंबर 2022 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने असीम मुनीर को नया सेना प्रमुख नामित किया था। उन्होंने जनरल क़मर जावेद बाजवा की जगह पाकिस्तानी सेना की कमान संभाली थी जोकि छह वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए थे।
जनरल मुनीर कश्मीर में आतंकी साजिशें बुनने के पुराने खिलाड़ी हैं। मुनीर जब मंगला ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (OTS) से निकले थे तो उन्होंने उस डिवीजन की कमान संभाली थी जोकि पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्रों, जिसमें पीओके भी शामिल है, की निगरानी करता है। यहाँ उन्होंने बाजवा के साथ मिलकर काम किया था, जो उस समय पाकिस्तान की एक्स कोर के चीफ थे।
लेकिन भारत के खिलाफ बड़ी साजिशें रचने की ट्रेनिंग उन्हें तब मिली जब उन्हें 2017 में मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) का प्रमुख नियुक्त किया गया था, जो पाकिस्तानी सेना के आंतरिक मामलों को संभालने वाली इकाई है।
अगले वर्ष तीन सितारा जनरल बनने के बाद उन्हें पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की कमान दी गई। हालांकि, ISI प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल महज़ आठ महीने का था – जो पाकिस्तानी सेना के इतिहास में सबसे छोटे कार्यकालों में से एक रहा। कहा जाता है कि उन्हें उस समय के प्रधानमंत्री इमरान खान से मतभेद के चलते हटा दिया गया था।
57 साल के जनरल असीम मुनीर पंजाबी पृष्ठभूमि के हैं। वह यूं तो पाकिस्तान के रावलपिंडी में जन्मे हैं लेकिन बताते हैं कि उनकी जड़ें भारत के पंजाब के जालंधर में हैं। उनका परिवार देश विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया था। मुनीर आज भले ही पाकिस्तान के सेना प्रमुख हों लेकिन उन्होंने शुरुआती धार्मिक शिक्षा रावलपिंडी के एक पारंपरिक इस्लामी मदरसे, मरकज़ी मदरसा दार-उल-तजवीद में हासिल की थी। कट्टरता का बीज उनमें बचपन से ही भरा हुआ है।