जानिए क्या है BHISHM क्यूब, जो पीएम मोदी के साथ पहुंचा यूक्रेन
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जानिए क्या है BHISHM क्यूब, जो पीएम मोदी के साथ पहुंचा यूक्रेन

भीष्म ( BHISHM ) क्यूब, जो कुछ और नहीं बल्कि एक चलता फिरता अस्पताल है. इसकी सबसे बड़ी खासियत बेहद ही कम समय में अस्पताल की तरह सेटअप हो जाना, वो भी युद्ध क्षेत्र या आपातकाल वाले क्षेत्र में.


BHISHM CUBE: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यूक्रेन दौरे पर पूरे विश्व की नज़र है. हर कोई ये उम्मीद लगाए हुए है कि शायद अब रूस और यूक्रेन का युद्ध थम जाए, जो लम्बे समय से नहीं हुआ शायद वो मोदी के दौरे से हो जाए. इस दौरे पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूक्रेन को एक बेहद ही ख़ास और उपयोगी तोहफा भी दिया है. ये तोहफा है भीष्म ( BHISHM ) क्यूब, जो कुछ और नहीं बल्कि एक चलता फिरता अस्पताल है. इसकी सबसे बड़ी खासियत बेहद ही कम समय में अस्पताल की तरह सेटअप हो जाना, वो भी युद्ध क्षेत्र या आपातकाल वाले क्षेत्र में.


पहले जानते हैं इस क्यूब के नाम के बारे में
भीष्म एक ऐसा नाम जिसके बारे में भारतियों को भलीभांति जानकारी है. भीष्म महाभारत काल के वो योद्धा रहे जिन्हें न केवल अपने युद्ध कौशल के लिए जाना जाता था बल्कि उन्हें दृढ़ इक्षाशक्ति और इक्षा मृत्यु के वरदान के लिए भी जाना जाता था. खैर BHISHM क्यूब का सीधा सरोकार से तो महाभारत के भीष्म से नहीं है लेकिन हाँ उसकी उपयोगिता युद्ध क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा है.

क्या है भीष्म क्यूब
भीष्म ( BHISHM ) क्यूब की बात करें तो ये एक उन्नत पोर्टेबल मोबाइल अस्पताल यूनिट है. इसे भारत हेल्थ इनिशिएटिव फॉर सहयोग, हित, एंड मैत्री यानी BHISHM के तहत विकसित किया गया है.

पीएम मोदी के नेत्रतिव में शुरू की गयी थी योजना
इस परियोजना की बात करें तो इसकी घोषणा फरवरी 2022 में की गई थी. पीएम मोदी के नेतृत्व में BHISHM प्रोजेक्ट शुरू किया गया. इस प्रोजेक्ट का मकसद आपदा के समय जल्द से जल्द मेडिकल सहायता को प्रभावित क्षेत्र तक पहुँचाना.

जानते हैं इसकी खासियत
BHISHM Cube की बात करें तो ये मॉडर्न मेडिकल इंजीनियरिंग का एक बेशकीमती नमूना है. इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसे पैराशूट के माध्यम से आपदा प्रभावित या युद्ध क्षेत्र में आसानी से पहुँचाया जा सकता है.

महज 12 मिनट में शुरू कर सकता है काम
इस क्यूब की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि इसे शुरू करने में महज 12 मिनट का समय चाहिए. इस क्यूब का वजन 720 किलो है, जिसमें 72 पुर्जे हैं, जिन्हें जोड़ कर ये क्यूब तैयार क्र लिया जाता है. ये पुर्जे आसानी से कहीं भी ले जाए जा सकते हैं.

एक साथ 200 लोगों का हो सकता है इलाज
इस क्यूब की बात करें तो ये आपात काल की स्थिति में आपतिग्रस्त क्षेत्र में एक साथ 200 लोगों को मेडिकल सेवा उपलब्ध कराने में सक्षम है.

एक्स-रे से लेकर वेंटीलेटर और ऑपरेशन थिएटर भी है
BHISHM क्यूब की बात करें तो ये मॉडर्न मेडिकल इंजीनियरिंग का एक नायाब उदहारण है. ये क्यूब जितना हल्का है, उतना ही अधिक मजबूत है. इसकी खासियत ये है कि ये वाटरप्रूफ है. इसके अन्दर आधुनिक मेडिकल उपकरण व सुबिधाओं की भरमार है. इसमें एक ऑपरेशन थियेटर, एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर और अलग-अलग चोटों के इलाज के लिए सुविधाएं शामिल हैं. इसे कहीं लाने ले जाने के लिए जमीन और आसमान दोनों रास्तों से ले जाया जा सकता है.

क्या बनता है इसे बेहद ख़ास
रक्षा अधिकारी के अनुसार एक क्यूब की लागत लगभग 1.50 करोड़ रुपये है. भीष्म यूनिट को स्थिरता और ऑपरेशनल दक्षता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. इसमें सौर ऊर्जा और बैटरी शामिल हैं, ताकि ये सुनिश्चित हो कि क्यूब को बाहरी बिजली स्रोतों पर निर्भर किए बिना अलग-अलग वातावरण में स्थापित किया जा सके. ये परियोजना जनवरी 2023 में ग्लोबल साउथ समिट में पीएम मोदी की ओर से घोषित भारत की व्यापक 'आरोग्य मैत्री' पहल के साथ शामिल की गई थी.


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