
ईस्टर के दिन थमा ‘पोप फ्रांसिस’ का सांसों का सफर, दुनिया भर में छाया मातम
कैथोलिक चर्च के पहले अमेरिकी और जेसुइट पोप फ्रांसिस का रोम में निधन हो गय़ा। नए पोप का चुनाव जल्द होगा।
कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु और रोम के धर्माध्यक्ष पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया। वेटिकन ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि उन्होंने ईस्टर सोमवार को सुबह 7:35 बजे अंतिम सांस ली। 88 वर्षीय पोप फ्रांसिस पिछले कुछ वर्षों से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे। उनके निधन की पुष्टि वेटिकन कैमरलेंगो कार्डिनल केविन फैरेल ने की। फैरेल ने कहा, "आज सुबह 7:35 बजे, रोम के धर्माध्यक्ष फ्रांसिस प्रभु के घर लौट गए। उन्होंने अपना पूरा जीवन प्रभु और चर्च की सेवा में समर्पित कर दिया।"
इतिहास रचने वाले पहले अमेरिकी और जेसुइट पोप
पोप फ्रांसिस का जन्म 1936 में अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उनका असली नाम जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो था। 2013 में जब वे पोप बने, तो उन्होंने एक साथ कई इतिहास रचे—वे पहले जेसुइट पोप बने, पहले अमेरिका महाद्वीप से चुने गए पोप और बीते 1200 वर्षों में पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। उन्होंने चर्च को एक नई दिशा दी—दया, करुणा, विनम्रता, और समावेशिता की राह पर।
सुधारों और पर्यावरण के पक्षधर रहे
अपने एक दशक के नेतृत्व में पोप फ्रांसिस ने वेटिकन में कई साहसिक सुधार किए। चर्च के आंतरिक वित्तीय तंत्र में पारदर्शिता लाने के प्रयास किए गए, साथ ही बाल यौन शोषण जैसे संवेदनशील मुद्दों पर कठोर कार्रवाई की गई। उन्होंने ‘लौदातो सी’ नामक ऐतिहासिक एनसाइक्लिकल जारी कर पर्यावरण संरक्षण को धार्मिक जिम्मेदारी बताया और जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई की मांग की।
बिगड़ती सेहत के बावजूद निभाई जिम्मेदारियाँ
हाल के वर्षों में पोप फ्रांसिस की तबीयत लगातार चिंता का विषय बनी रही। उन्हें सांस संबंधी समस्याएं थीं और आंतों की सर्जरी भी हुई थी। इस साल की शुरुआत में वे डबल निमोनिया से पीड़ित हो गए थे। बावजूद इसके, उन्होंने कभी अपने दायित्वों से पीछे हटने का संकेत नहीं दिया और सक्रिय रूप से वैश्विक मुद्दों पर चर्च का मार्गदर्शन करते रहे।
‘विश्वास, प्रेम और सेवा का प्रतीक’
कार्डिनल फैरेल ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उन्होंने हमें सिखाया कि सुसमाचार के मूल्यों को विश्वास, साहस और सार्वभौमिक प्रेम के साथ कैसे जिया जाए, विशेषकर उन लोगों के लिए जो सबसे गरीब और उपेक्षित हैं। उनके जीवन से हमें प्रभु यीशु का सच्चा शिष्य होने की प्रेरणा मिलती है।”
नया पोप कैसे चुना जाएगा?
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद कैथोलिक चर्च अब ‘सेदे वाकांते’ (Sede Vacante) की स्थिति में प्रवेश कर चुका है, जिसका अर्थ है कि पोप का पद रिक्त है। वेटिकन अब कार्डिनल्स की विशेष सभा कॉन्क्लेव आयोजित करेगा, जिसमें नया पोप चुना जाएगा। दुनियाभर के वरिष्ठ कार्डिनल इस चुनाव में भाग लेंगे। वेटिकन जल्द ही अंतिम संस्कार की तिथि और संबंधित धार्मिक विधियों की जानकारी साझा करेगा।