
भारत पर अमेरिकी दबाव औचित्यहीन, तेल और टैरिफ की गणित समझा गए पुतिन
पुतिन ने अमेरिका के भारत पर ऊर्जा आयात दबाव को नकारा, मोदी को मित्र बताया और रूस-भारत के मजबूत रिश्तों व संप्रभुता की रक्षा पर जोर दिया।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन पर निशाना साधा और भारत पर रूस से ऊर्जा आयात कम करने का दबाव बनाने के प्रयासों की निंदा की। पुतिन ने चेताया कि इस तरह की कार्रवाई अंततः वॉशिंगटन के ही हितों को नुकसान पहुँचा सकती है।
सोची, दक्षिण रूस में आयोजित वाल्डाई डिस्कशन फोरम में पुतिन ने कहा कि रूस के व्यापारिक साझेदारों पर उच्च शुल्क लगाने से वैश्विक ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं। उनका तर्क था कि इससे अमेरिकी फेडरल रिज़र्व को उच्च ब्याज दरें बनाए रखनी पड़ सकती हैं, जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि को धीमा कर सकती हैं।
‘अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे’
पुतिन ने जोर देकर कहा कि नई दिल्ली को बाहरी दबाव मानने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा, “भारत कभी भी खुद को अपमानित नहीं होने देगा,” और विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे कदम नहीं उठाएंगे।उन्होंने चेताया कि रूस से ऊर्जा आयात रोकने से भारत को 9 से 10 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, “भारत जैसे राष्ट्र के लोग, विश्वास कीजिए, अपने नेताओं के निर्णयों पर गहरी नज़र रखते हैं और किसी के सामने अपमान सहन नहीं करेंगे।”
‘मोदी हैं मित्र’
पुतिन ने अपनी आगामी दिसंबर यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, “हमने भारत के साथ कभी भी किसी तरह की अंतरराज्यीय समस्याएँ या तनाव नहीं देखे हैं। कभी नहीं।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को “संतुलित और बुद्धिमान नेता” करार देते हुए रूस और भारत के विशेष संबंधों पर भी जोर दिया।
‘आर्थिक रूप से बेकार’
पुतिन ने अमेरिका के भारत पर लगाए गए शुल्क दबाव को आर्थिक दृष्टि से बेकार बताया। उन्होंने कहा कि भारत को हुए नुकसान की भरपाई रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति से की जा सकती है और यह भारत की संप्रभु स्थिति को मजबूत करेगा। व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि रूस भारतीय कृषि और फार्मास्युटिकल उत्पादों की खरीद बढ़ा सकता है।
अमेरिका की दोहरी नीति
पुतिन ने अमेरिका पर पाखंड का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि जहां अमेरिका भारत जैसे देशों पर रूस से ऊर्जा आयात कम करने का दबाव डालता है, वहीं खुद यूएस रूस पर यूरेनियम के लिए निर्भर है। पुतिन ने कहा कि अमेरिका परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में सबसे बड़े, या शायद सबसे बड़े, उपयोगकर्ताओं में से एक है और रूस अमेरिकी परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को यूरेनियम की आपूर्ति में दूसरे सबसे बड़े देश के रूप में योगदान देता है।पुतिन का यह बयान भारत-रूस-यूएस संबंधों में उभरती जटिलताओं और ऊर्जा सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करता है।