UNSC विस्तार पर क्वॉड सहमत, भारत को स्थाई सदस्यता पर भी समर्थन
विलमिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भी भाग लिया।
Quad Summit: दुनिया के सबसे बड़े मंच यानी संयुक्त राष्ट्र संघ में सदस्य देश अपनी अपनी बात रखते हैं। दुनिया के सामने मौजूदा चुनौतियों के बारे में चिंता जताते हैं। एक बार फिर वो मंच सज चुका है। हालांकि उससे इतर भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्राध्यक्षों की बैठक हुई। वर्तमान और आगे के रोडमैप पर गंभीर चर्चा हुई। इस बैठक के बाद संयुक्त रूप से यह कहा गया कि इंडो पैसिफिक रीजन में उत्तर कोरिया और चीन से अस्थिरता बनी हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि चीन का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ देशों को चिंता होती है कि उसके खिलाफ एक समूह का निर्माण हुआ है। लेकिन हकीकत में उस चिंता का आधार नहीं है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इस समय दुनिया तनाव और संघर्ष के दौर से गुजर रही है, मानवता के लिए हम सबको आगे आना होगा।
- क्वॉड शिखर सम्मेलन के शुरू होने से पहले एक पत्रकार ने जो बिडेन से सवाल किया क्या क्वॉड नवंबर 2025 के बाद भी अस्तित्व में रहेगा। इस सवाल पर बिडेन ने कहा कि नवंबर के बाद तक रहेगा। इस सवाल पर सभी खिलखिला कर हंस पड़े। बता दें कि क्वॉड के विषय पर डोनाल्ड ट्रंप कुछ खुलकर नहीं बोलते और 2025 में शिखर सम्मेलन भारत में प्रस्तावित हैं।
क्वॉड समिट की खास बातें
- 3 बिलियन डॉलर का ड्रोन सौदा, एक नया सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट,
- भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए अमेरिकी समर्थन
- आपसी सुरक्षा पर खास जोर, चीन को लताड़
- उत्तर कोरिया के खिलाफ ऐक्शन लेने पर जोक
- 3 बिलियन डॉलर का ड्रोन सौदा, एक नया सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट,
बना रहेगा क्वाड
मोदी मोदी ने शिखर सम्मेलन में अपने उद्घाटन वक्तव्य में कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम सभी नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता के सम्मान, क्षेत्रीय अखंडता और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों में उग्र क्षेत्रीय विवादों में लिप्त है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता है। वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान ने भी इसके खिलाफ दावा किया है। मोदी ने कहा कि हमारा संदेश स्पष्ट है - क्वाड यहां रहने, सहायता करने, साझेदारी करने और पूरक बनने के लिए है। उन्होंने कहा कि हमने स्वास्थ्य सुरक्षा, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन, क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी पहल की हैं। उन्होंने कहा कि कठिन समय में लोकतांत्रिक मूल्य उन्होंने कहा कि क्वाड नेता ऐसे समय में एकत्र हुए हैं जब दुनिया तनाव और चुनौतियों से घिरी हुई है।
मोदी ने कहा कि ऐसे समय में क्वाड का अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ मिलकर काम करना पूरी मानव जाति के लिए महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा ति क्वाड - वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन, जापान के प्रधानमंत्री किशिदा 230 और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एल्बो एमपी के साथ क्वाड लीडर्स समिट में भाग लिया। प्रधानमंत्री ने मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के लिए क्वाड सहयोग के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। क्वाड क्षेत्र की विकास प्राथमिकताओं में सहायता करना जारी रखेगा और सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन में तेजी लाएगा।
बिडेन के लिए विदाई शिखर सम्मेलन शिखर सम्मेलन के दौरान, मोदी ने बिडेन के नेतृत्व में 2021 में आयोजित पहले क्वाड शिखर सम्मेलन को याद किया और कहा कि इतने कम समय में हमने हर दिशा में अपने सहयोग का अभूतपूर्व विस्तार किया है। उन्होंने कहा कि आपकी दृढ़ प्रतिबद्धता, आपके नेतृत्व और क्वाड में आपके योगदान के लिए आपको धन्यवाद देता हूं। यह राष्ट्रपति बिडेन के लिए विदाई शिखर सम्मेलन था क्योंकि वह अपने कार्यकाल के अंत के करीब हैं। मोदी ने कहा कि उन्हें 2025 में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने में खुशी होगी। इस साल क्वाड लीडर्स समिट पहले भारत में आयोजित होने वाली थी, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन अपने गृहनगर में कार्यक्रम आयोजित करने के इच्छुक थे।
2017 में बना था क्वॉड
अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार का मुकाबला करने के लिए "क्वाड" या चतुर्भुज गठबंधन की स्थापना के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव को आकार दिया था। चार सदस्यीय क्वाड या चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने की वकालत करती है। चीन का दावा है कि समूह का उद्देश्य उसके उदय को रोकना है।