कौन थे हेलीकाप्टर क्रैश में मारे गए ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी
सरकारी वकील से ईरान के राष्ट्रपति बनने तक का सफ़र
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की हेलीकाप्टर क्रैश में मौत हो गयी. इस बात की पुष्टि ईरान ने अधिकारिक तौर पर कर दी है. इब्राहीम रईसी को ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खुमैनी के उत्तराधिकारी माने जाते थे. इब्राहीम रईसी की छवि धर्म के प्रति कट्टर मानी जाति थी. वो अपने कई निर्णयों के लिए सुर्ख़ियों में आये, इनमे से एक हिजाब और पवित्रता कानून था, जिसके लिए उन्हें देश में ही कड़ी आलोचना भी झेलनी पड़ी थी. जानते हैं कि आखिर कौन थे ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी?
कौन हैं ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी?
इब्राहिम रईसी का जन्म 1960 में ईरान के उत्तर पूर्व में सहित शहर मशहद में हुआ था. ये शहर शिया मुसलमानों की सबसे पवित्र मस्जिद के लिए भी जाना जाता है, जिसकी काफी मान्यता है. रईसी के पिता एक मौलवी थे. रईसी जब सिर्फ पांच साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था. परिवार में धार्मिक माहौल था, इसलिए रईसी का झुकाव भी बचपन से धर्म के प्रति बना रहा. इसके अलावा वो बचपन से ही राजनीति के प्रति भी झुकाव रखते थे. छात्र जीवन में उन्होंने ईरान के बड़े नेता रहे मोहम्मद रेजा शाह के खिलाफ सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया, आवाज उठाई. बता दें कि रेजा शाह को पश्चिमी देशों को समर्थक माना जाता था.
पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए 15 साल की उम्र में शुरू की धार्मिक तालीम
इब्राहीम रईसी का झुकाव शुरू से ही धर्म के प्रति रहा. वे अपने पिता के पदचिन्हों का पालन करते हुए 15 साल की उम्र में ही कोम शहर में स्थित एक शिया संसथान में शिक्षा ग्रहण करने के लिए चले गए. उन्होंने छात्र जीवन में पश्चिमी देशों से समर्थित ईरान के बड़े नेता मोहम्मद रेजा शाह के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लिया और सड़कों पर उतरे. ज्ञात रहे कि ईरान एक वर्तमान के सर्वोच्च नेता अयातोल्ला रुहोल्ला खुमैनी ने इस्लामिक क्रांति के जारिए साल 1979 में रेजा शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी की मौत पर संवेदना व्यक्त करते हुए ट्विटर पर लिखा
" ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन से गहरा दुख और सदमा लगा है. भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा. उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति संवेदना. दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है."
सरकारी वकील से मौत की कमेटी के सदस्य तक का सफ़र
1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद ईरान में रेजा शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया गया. इसके बाद रईसी ने न्यायपालिका में काम करना शुरू किया. वो कई शहरों में सर्कार की तरफ से वकील के तौर पर नियुक्त किये गए. इस दौरान उन्हें ईरानी गणतंत्र के संस्थापक और साल 1981 में ईरान के राष्ट्रपति बने अयातोल्ला रुहोल्ला खुमैनी से प्रशिक्षण भी मिलता रहा. महज 25 साल की उम्र में रईसी को ईरान के डिप्टी प्रोसिक्यूटर(ईरान सरकार के दूसरे नंबर के वकील) बनाया गया. इसके कुछ समय बाद वो जज भी बने. साल 1988 में ईरान में बने उन खुफिया ट्रिब्यूनल्स में रईसी को शामिल किया गया, जिन्हें 'डेथ कमेटी' के नाम से भी जाना जाता है.
क्या काम करती है डेथ कमिटी
ईरान की डेथ कमिटी हमेशा से ही मनावाधिकार के लिए काम करने वाले संस्थानों और कार्यकर्ताओं के निशाने पर रही. इन ट्रिब्यूनल्स ने उन हज़ारों राजनीतिक क़ैदियों पर ईरान में दोबारा मुक़दमा चलाया जाता, जो राजनीतिक गतिविधियों के चलते पहले से ही जेल में सजा काट रहे होते थे. इन कैदियों में से ज्यादातर लोग, ईरान में वामपंथी और विपक्षी समूह मुजाहिदीन-ए-ख़ल्क़ा (MEK) या पीपुल्स मुजाहिदीन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान (PMOI) के सदस्य थे. मनावाधिकार संगठनों का दावा है कि इन ट्रिब्यूनल ने लगभग 5 हजार से ज्यादा राजनितिक कैदियों को मौत के घाट उतारा, इनमे पुरुष और महिलायें दोनों ही शामिल हैं. हालाँकि ट्रिब्यूनल्स ने कुल कितने राजनीतिक क़ैदियों को मौत की सज़ा दी, इस संख्या के बारे में ठीक-ठीक जानकारी किसी को नहीं है.
इस कमिटी पर ये भी आरोप लगे कि फ्नासी की सजा देने के बाद राजनितिक कैदियों के शवों को समुहिस कब्रों में दफना दिया गया. इन घटनाओं को मानवाधिकार संगठनों ने मानवता के विरुद्ध बताया. हालाँकि इब्राहिम रईसी लगातार इस मामले में अपनी भूमिका से इनकार करते रहे. लेकिन उन्होंने एक बार ये भी कहा था कि अयातोल्ला ख़ुमैनी के फतवे के मुताबिक ये सजा 'उचित' थी।
1980 में महा अभियोजक बनने से लेकर 2021 में राष्ट्रपति बनने तक का सफर
रईसी जब सिर्फ 20 साल की उम्र के थे, तो उन्हें तेहरान के करीब स्थित कराज का महा-अभियोजक नियुक्त किया गया था.
साल 1989 से 1994 के बीच 5 साल तक रईसी तेहरान के महा-अभियोजक रहे. इसके बाद 2004 से अगले 10 साल तक न्यायिक प्राधिकरण के डिप्टी चीफ रहे.
साल 2014 में वो रेपुब्लीक ऑफ़ ईरान के महाभियोजक बनाए गए. ईरानी न्यायपालिका के प्रमुख रहे रईसी को उनके अति कट्टरपंथी राजनितिक विचारों के लिए जाना जाता है.
उन्हें ईरान के कट्टरपंथी नेता और देश के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयातुल्लाह अली खुमैनी का करीबी माना जाता है.
जून 2021 में उदारवादी हसन रूहानी की जगह रईसी को इस्लामिक रिपब्लिक ईरान का राष्ट्रपति चुना गया.
इब्राहीम रईसी अपने कट्टर धार्मिक विचारों के लिए जाने जाते थे. शिया परंपरा के अनुसार वो हमेशा काली पगड़ी पहनते थे, जो ये बताती है कि वो पैगंबर मुहम्मद के वंशज हैं. उन्हें ‘हुज्जातुलइस्लाम’ यानी ‘इस्लाम का सबूत’ की धार्मिक पदवी भी दी गई थी.