Rajnath Singh Russia visit: S-400 मिसाइल सिस्टम में देरी, भारत रूस के सामने उठाएगा मुद्दा
भारत रक्षा मंत्री के रूस यात्रा के दौरान एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल प्रणालियों के दो शेष स्क्वाड्रनों की डिलीवरी के साथ कई महत्वपूर्ण हथियारों के लिए पुर्जों की आपूर्ति को उठाने की उम्मीद कर रहा है.
S-400 Triumph air defence missile systems: अगले सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रूस की तीन दिवसीय यात्रा पर जाने वाले हैं. ऐसे में इस दौरान भारत एस-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल प्रणालियों के दो शेष स्क्वाड्रनों की डिलीवरी के साथ कई महत्वपूर्ण हथियारों के लिए पुर्जों की आपूर्ति को उठाने की उम्मीद कर रहा है. वहीं, रक्षा मंत्री वहां बनाए जा रहे दो गाइडेड-मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट में से पहले को भी कमीशन करेंगे. इसको लेकर भारत-रूस अंतर-सरकारी सैन्य-तकनीकी सहयोग आयोग (IRIGC-M&MTC) की बैठक के दौरान चर्चा की जाएगी.
इस बैठक की सह-अध्यक्षता 10 दिसंबर को मॉस्को में सिंह और उनके समकक्ष एंड्री बेलौसोव करेंगे. दोनों पक्ष तीन साल के अंतराल के बाद 2025 की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से पहले चल रही सैन्य-तकनीकी परियोजनाओं के साथ-साथ रणनीतिक हित के क्षेत्रों में सहयोग की समीक्षा करेंगे. क्योंकि साल 2021 के बाद आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी की बैठक भी नहीं हुई है, भारत रूस पर दबाव बनाना चाहता है कि वह एस-400 मिसाइल सिस्टम से लेकर सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट और टी-90एस मुख्य युद्धक टैंकों तक के हथियार प्रणालियों के लिए उचित रखरखाव सहायता और समय पर पुर्जों की आपूर्ति सुनिश्चित करे.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुर्जों की आपूर्ति भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक बड़ी समस्या बन गई है. क्योंकि पूरा रूसी रक्षा उद्योग यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध में लगा हुआ है. हाल के वर्षों में वाशिंगटन की ओर स्पष्ट झुकाव के बावजूद, रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाने में भारत की अपनी रणनीतिक अनिवार्यताएं हैं. मॉस्को-बीजिंग के बीच मजबूत होता रिश्ता नई दिल्ली के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है.
सिंह सबसे पहले 9 दिसंबर को कलिनिनग्राद जाएंगे और भारत के नवीनतम 3,900 टन वजनी बहुउद्देश्यीय फ्रिगेट INS तुशील (रक्षक कवच) को कमीशन करेंगे, जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित सेंसर और हथियारों से भरा हुआ है. बदले में, दूसरे फ्रिगेट को अगले साल की शुरुआत में INS तमाल के रूप में कमीशन किया जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस-यूक्रेन के चल रहे तनाव के कारण दो S-400 स्क्वाड्रन की डिलीवरी 2026 तक और परमाणु ऊर्जा से चलने वाली अटैक पनडुब्बी (SSN कहा जाता है) के पट्टे में 2028 तक देरी होने की आशंका है. साल 2018 में रूस के साथ किए गए 5.43 बिलियन डॉलर (40,000 करोड़ रुपये) के अनुबंध के तहत IAF ने पहले तीन S-400 स्क्वाड्रन तैनात किए हैं. एसएसएन को 10 साल के लिए पट्टे पर देने के लिए 3 बिलियन डॉलर (21,000 करोड़ रुपये) से अधिक का सौदा 2019 में हुआ था.
125 मीटर लंबे आईएनएस तुषिल का व्यापक परीक्षण किया गया है, जिसके दौरान युद्धपोत ने 30 समुद्री मील से अधिक की गति दर्ज की. एक अधिकारी ने कहा कि फ्रिगेट भारत में लगभग युद्ध के लिए तैयार हालत में पहुंचेगा. भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ चार उन्नत क्रिवाक- III श्रेणी के फ्रिगेट के लिए अम्ब्रेला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें पहले दो को रूस से लगभग 8,000 करोड़ रुपये में आयात किया जाना था. अन्य दो को लगभग 13,000 करोड़ रुपये की कुल लागत से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के साथ गोवा शिपयार्ड में बनाया जा रहा है, जिसमें से पहले को इस साल जुलाई में त्रिपुत के रूप में "लॉन्च" किया गया है. ये चार युद्धपोत 2003-2004 से नौसेना में पहले से शामिल किए गए छह रूसी युद्धपोतों, तीन तलवार श्रेणी और तीन तेग श्रेणी के युद्धपोतों में शामिल हो जाएंगे.