
यूक्रेन में जंग होगी खत्म? सऊदी अरब में एक साथ टेबल पर आए रूस-अमेरिका
Russia America met: इस बैठक का मकसद दोनों जंगी मुल्क के बीच यह आम सहमति बनाना है कि किस तरह युद्ध पर विराम लग सकती है.
Russia-Ukraine war: रूस-यूक्रेन जंग को लेकर कूटनीति की नई पटकथा लिखी जा रही है. इसके तहत रूस और अमेरिका के शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार को सऊदी अरब में मुलाकात की और यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने को लेकर बातचीत शुरू की. सऊदी के रियाद के दिरियाह पैलेस में हुई यह बैठक रूस और यूक्रेन जंग को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस बैठक में सबसे अहम कड़ी सऊदी अरब बनकर सामने आया है. क्योंकि उसने ही इस बैठक की मध्यस्थता की.
इस बैठक का मकसद दोनों जंगी मुल्क के बीच यह आम सहमति बनाना है कि किस तरह युद्ध पर विराम लग सकती है. बैठक के बाद ऐसा कहा जा रहा है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बैठक की मेज़बानी कर सबका दिला जीत लिया है. रियाद में हुई इस उच्च-स्तरीय वार्ता में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव शामिल हुए. हालांकि, यूक्रेनी अधिकारियों की बैठक में अनुपस्थिति ने कीव और यूरोपीय सहयोगियों के बीच चिंता पैदा कर दी है.
बता दें कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने यह दावा किया कि अगर इस वार्ता का कोई परिणाम यूक्रेन की भागीदारी के बिना आता है तो इसे मंजूर नहीं किया जाएगा. इन वार्ताओं को राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति में व्यापक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. जिसका मकसद यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद बिगड़े अमेरिकी-रूस संबंधों को फिर से बहाल करना है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने यह स्पष्ट किया कि वार्ता का फोकस "अमेरिका-रूस संबंधों को बहाल करने पर था और यूक्रेन में शांति वार्ता के लिए मंच तैयार करना था.
यह बैठक कई कूटनीतिक प्रयासों के बाद हुई है. हालांकि, यूक्रेन को इस अमेरिकी-रूस वार्ता से बाहर रखा गया, जिससे यह चिंता बढ़ गई है कि वाशिंगटन और मास्को एक ऐसा समझौता कर सकते हैं, जिसे कीव और उसके यूरोपीय सहयोगियों को स्वीकार करना पड़ेगा.
सऊदी अरब की मेज़बानी की भूमिका इसके वास्तविक शासक क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के लिए कूटनीतिक अलगाव से एक शानदार वापसी को दर्शाती है. शिखर सम्मेलन से पहले सऊदी दैनिक समाचार पत्र ने इस अवसर को "दुनिया की नज़र रियाद पर" के रूप में वर्णित किया. ये वार्ता ट्रंप के तहत अमेरिकी नीति में एक बड़ा बदलाव भी हैं, जो सीधे मास्को के साथ वार्ता के जरिए यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित प्रतीत होते हैं. हालांकि, यह कदम यूरोपीय नेताओं को चिंतित कर रहा है. जो डरते हैं कि उन्हें दरकिनार किया जा सकता है और ऐसा समझौता स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जो यूक्रेन को भविष्य में रूस के आक्रमण के लिए कमजोर कर दे.
सऊदी अरब की संतुलित रणनीति
सऊदी अरब ने यूक्रेन युद्ध के दौरान वाशिंगटन और मास्को दोनों के साथ सफलतापूर्वक अपने रिश्ते बनाए रखे हैं. देश ने OPEC+ के माध्यम से रूस के साथ करीबी संबंध बनाए रखा, वैश्विक बाजारों को स्थिर करने के लिए तेल उत्पादन का समन्वय किया. साथ ही, उसने यूक्रेन को मानवीय सहायता के लिए सैकड़ों मिलियन डॉलर का वचन दिया और 2022 से यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की की कई बार मेज़बानी की. सितंबर 2022 में, सऊदी अरब ने रूस और यूक्रेन के बीच एक क़ैदी विनिमय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिसमें विदेशी सेनानियों को, जिनमें अमेरिकी और ब्रिटिश नागरिक भी शामिल थे, रिहा किया गया. इस सावधानीपूर्वक कूटनीति ने सऊदी अरब को एक तटस्थ मध्यस्थ के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर दिया. जो अब रियाद में अमेरिकी-रूस वार्ता के सबसे महत्वपूर्ण स्थान बन गई है.
मंगलवार को रियाद में हुई वार्ताओं को व्यापक रूप से ट्रंप और पुतिन के बीच एक संभावित शिखर सम्मेलन के मंच के रूप में देखा जा रहा है. ट्रंप लंबे समय से यूक्रेन में अमेरिकी संलिप्तता के खिलाफ रहे हैं. उन्होंने संकेत दिया है कि वह युद्ध समाप्त करने के लिए मास्को के साथ सीधे बातचीत करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, इस दृष्टिकोण ने यूरोपीय नेताओं और यूक्रेन को चिंतित कर दिया है, जो डरते हैं कि ट्रंप पुतिन को कुछ रियायतें देने के लिए तैयार हो सकते हैं. जैसे कि रूस को यूक्रेनी कब्जे वाले क्षेत्रों को बनाए रखने की अनुमति देना—सीज़फायर के बदले.
हालांकि, पुतिन की शांति समझौते की शर्तें अभी भी कठोर हैं. इसके तहत यूक्रेन को रूस द्वारा कब्जे वाले क्षेत्रों से अपनी सेना को हटाना होगा. यूक्रेन को अपने नाटो के लक्ष्यों को छोड़ना होगा और रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों को हटा दिया जाना चाहिए. यूक्रेन ने इन शर्तों को लगातार खारिज किया है. फिर भी, अब ट्रंप एक समझौते के लिए दबाव बना रहे हैं, जिससे कीव को ऐसे समझौते स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है, जिसे वह नहीं चाहता.