पुतिन- जेलेंस्की के गिले शिकवे होंगे दूर! मोदी का यूक्रेन दौरा क्यों है खास
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पुतिन- जेलेंस्की के गिले शिकवे होंगे दूर! मोदी का यूक्रेन दौरा क्यों है खास

23 अगस्त को पीएम मोदी यूक्रेन की राजधानी कीव में होंगे। रूस से युद्ध के चलते यह दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है।


Narendra Modi Ukraine Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन में होंगे। अमेरिका से लेकर रूस और दुनिया भर में उनका यह दौरा खबर बन चुका है। सभी की निगाहें इस दौरे पर टिकी हैं। सबके मन में यही सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी, रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को खत्म करा देंगे? बीते ढाई साल में जो नहीं हो सका..क्या वह अब होगा? क्या पुतिन और जेलेंस्की बातचीत के लिए एक टेबल पर आएंगे? ये सारे सवाल लोगों के मन में उमड़-घुमड़ रहे हैं ये सारे सवाल इसलिए कि क्योंकि प्रधानमंत्री एक बार नहीं कई बार यह कह चुके हैं कि यूक्रेन संकट का हल युद्ध और बंदूक की गोली से नहीं बल्कि बातचीत और कूटनीति से ही संभव है।

जुलाई में किया था रूस का दौरा
पीएम मोदी 8-9 जुलाई को रूस में थे। समझा जाता है कि राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के दौरान उनकी रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की संभावनाओं, उसके विकल्पों और शर्तों पर बातचीत हुई होगी हो सकता है कि पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए कोई शर्त रखी होगी। इस मुलाकात के करीब एक महीने बाद यूक्रेन जा रहे हैं। हो सकता है कि इस यात्रा की पटकथा तभी लिखी गई हो। आपको याद होगा कि जून के अंतिम सप्ताह में इटली में जी-7 समिट के दौरान राष्ट्रपति जेलेंस्की,पीएम मोदी से मिले थे और उन्होंने भारतीय पीएम को यूक्रेन आने का न्योता दिया। जून में जेलेंस्की से मुलाकात जुलाई में पुतिन के साथ बैठक और अगस्त में फिर जेलेंस्की से मुलाकात।
मुलाकात का मतलब
मुलाकातों के इस क्रम को देखें तो थोड़ी समझ रखने वाला भी इन बड़े नेताओं के मुलाकात के पीछे जो मकसद हो सकता है उस पर राय बना और अटकलें लगा सकता है लेकिन यह भी सच है कि कूटनीति की दुनिया में अक्सर जो चीजें सामने से दिखाई देती हैं वह असल में होती नहीं परदे के पीछे का खेल अलग चलता है जाहिर है कि पीएम मोदी और जेलेंस्की की मुलाकात होगी तो यह केवल चाय-प्रोटोकाल तक सीमित नहीं रहेगी दोनों देशों के बीच आपसी रिश्तों को और मजबूत बनाने और व्यापार, रक्षा, तकनीक सहित आपसी हित के तमाम मुद्दों करार एवं समझौते हो सकते हैं लेकिन इन सब में सबसे ज्यादा इस बात को देखा जाएगा कि रूस-यूक्रेन युद्ध पर कोई पहल होती है कि नहीं।
क्या है एक्सपर्ट कमेंट
पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे पर विदेशी मामलों के जानकार सवाल भी उठा रहे हैं उनका कहना है कि पीएम मोदी के इस दौरे को अमेरिका के दबाव से जोड़कर देखा जाएगा क्योंकि भारत अब तक रूस का साथ देता आया है दूसरा यह कि पुतिन आने वाले समय में यदि पाकिस्तान का दौरा करें या चीन के साथ अपनी नजदीकियां बढ़ाते हैं तो इससे भारतीय हितों को नुकसान पहुंचने का खतरा है।
दूसरा रूस-यूक्रेन युद्ध के कई अंतरराष्ट्रीय पहलू हैं। यूक्रेन युद्ध के पीछे अमेरिका और नाटो खड़े हैं और शुरूआत से ही उसे सैन्य एवं आर्थिक मदद देते आए हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है अमेरिकी और नाटो के नए हथियार मिलने के बाद यूक्रेन की सेना रूस के क्रुस्क रीजन में दाखिल हुई है और दावा है कि उसने करीब 30 किलोमीटर क्षेत्र को अपने अधीन कर लिया है रिपोर्टों की मानें तो इसके बाद रूस, यूक्रेन के अन्य शहरों पर धावा बोलने के लिए अपनी तैयारी कर चुका है। दूसरा, अमेरिका नहीं चाहेगा कि यह युद्ध अभी खत्म हो युद्ध खत्म न करने की उसकी अपनी कूटनीतिक एवं सामरिक जरूरतें हैं.। यही नहीं युद्ध जारी रखने और खत्म करने को लेकर जेलेंस्की अकेले या अपने दम पर फैसला नहीं कर सकते वह उतना ही कहेंगे या करेंगे जितना कि अमेरिका उनसे कहेगा।
ऐसे में पीएम मोदी की इस यूक्रेन यात्रा के दो परिणाम निकल सकते हैं। पहला यह कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने पर यदि कोई बात बन जाती है तो इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता। पीएम मोदी की कूटनीति का लोहा दुनिया मान जाएगी। विश्व भर में भारत की जय-जय होगी लेकिन इस दौरे से यदि पुतिन नाराज हो जाते हैं...तो भारत और रूस की दोस्ती और आपसी सहयोग को एक धक्का लग सकता है। फिलहाल उम्मीद है कि पीएम मोदी की इस कीव यात्रा का सकारात्मक परिणाम सामने आएगा और इस युद्ध के खत्म होने का कोई विकल्प या रास्ता निकलेगा।
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