जब वक्त आएगा, देखेंगे, रूसी तेल पर अमेरिकी टैरिफ धमकी पर बोले जयशंकर
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'जब वक्त आएगा, देखेंगे', रूसी तेल पर अमेरिकी टैरिफ धमकी पर बोले जयशंकर

इस विवाद का मूल कारण भारत का रूस से बढ़ता कच्चा तेल आयात है, जो देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का लगभग 40-45 प्रतिशत हिस्सा बन गया है।


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत ने अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम को रूसी तेल के आयात पर 500 प्रतिशत तक के टैरिफ लगाने के प्रस्तावित बिल को लेकर अपनी चिंताएं स्पष्ट कर दी हैं। इस बिल का भारत सहित उन देशों पर असर पड़ सकता है, जो रूस से तेल आयात करते हैं। जयशंकर चार दिवसीय अमेरिकी दौरे पर हैं। उन्होंने बताया कि भारत, रूस का एक बड़ा तेल खरीदार है और बिल के संभावित प्रभावों से पूरी तरह वाकिफ है।

ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत की चिंता

विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि मुझे लगता है कि हमारी चिंताएं और ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी हमारी हितों की जानकारी उन्हें दे दी गई है। इसलिए जब यह मुद्दा सामने आएगा, तब हमें उस पुल को पार करना होगा, अगर हमें पार करना पड़ा। उन्होंने बताया कि भारत अमेरिकी कांग्रेस में उन प्रस्तावों पर करीब से नजर रखता है, जो देश के हितों से जुड़े हों या जिनका भारत पर प्रभाव पड़ सकता हो।

बिल को लेकर भारत-अमेरिका के बीच संवाद

जयशंकर ने कहा कि रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम द्वारा पेश किए गए इस बिल को लेकर भारतीय अधिकारी और दूतावास नियमित संपर्क में हैं। ग्राहम ने इस बिल में विशेष रूप से भारत और चीन के नाम लिए थे और आरोप लगाया था कि ये दोनों देश रूस के 70% तेल निर्यात के सबसे बड़े ग्राहक हैं। इस बिल का उद्देश्य रूस के साथ व्यापार संबंध बनाए रखने वाले देशों के आयात पर भारी 500 प्रतिशत टैरिफ लगाना है, जिससे खासकर भारत और चीन के ऊर्जा कारोबार पर असर पड़ेगा।

अमेरिका में ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत की सक्रियता

जयशंकर ने बताया कि सांसद लिंडसे ग्राहम के बिल के बारे में, अमेरिकी कांग्रेस में कोई भी ऐसा विकास जो हमारे हितों को प्रभावित करता हो, हमारी दिलचस्पी का विषय है। इसलिए हम सांसद ग्राहम के संपर्क में हैं, दूतावास और राजदूत भी लगातार संपर्क में हैं। हमारी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं उन्हें स्पष्ट कर दी गई हैं।

अमेरिका की रूस पर दबाव की कोशिश

यह बिल ट्रंप प्रशासन की उस कोशिश का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें रूस को यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत पर मजबूर किया जाए। अगर यह बिल पास हो जाता है तो भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर भी भारी 500 प्रतिशत टैरिफ लग सकता है। फिलहाल, भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के कगार पर हैं। यह समझौता ट्रंप द्वारा अप्रैल में घोषित 26% पारस्परिक टैरिफ को रोकने की दिशा में अहम होगा। इस समझौते के तहत अमेरिकी टैरिफ में भी भारत के सामान पर काफी कटौती होने की उम्मीद है।

भारत की रूस से बढ़ती तेल आयात

इस विवाद का मूल कारण भारत का रूस से बढ़ता कच्चा तेल आयात है, जो देश की कुल ऊर्जा जरूरतों का लगभग 40-45 प्रतिशत हिस्सा बन गया है। मई में भारत का रूस से तेल आयात 10 महीने के उच्चतम स्तर 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया। इतना अधिक है कि रूस का तेल अब पारंपरिक पश्चिम एशियाई आपूर्तिकर्ताओं से भारत के आयात को पीछे छोड़ चुका है। यह बदलाव 2022 में रूस के यूक्रेन आक्रमण और पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद शुरू हुआ। रूस ने अपने तेल की कीमतों को मध्य पूर्व के उत्पादकों से कम रखा, जिससे भारत और चीन जैसे देश इसका लाभ उठाने लगे। भारतीय रिफाइनर ने रियायती रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़ा दी।

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