De Dollarisation : एस जयशंकर ने डॉलर को लेकर दिया ऐसा बयान, हो रही है चर्चा
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De Dollarisation : एस जयशंकर ने डॉलर को लेकर दिया ऐसा बयान, हो रही है चर्चा

दोहा में बोलते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि फिलहाल BRICS का किसी मुद्रा को लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प के पहले कार्यकाल में भारत के साथ उनका अच्छा सम्बन्ध रहा था।


INDIA On Dedolarisation : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोहा फोरम में अमेरिका द्वारा ब्रिक्स देशों पर बढ़ते दबाव और डी-डॉलराइजेशन (डॉलर के प्रभाव को कम करने) की चर्चाओं पर स्पष्ट बयान दिया। जयशंकर ने कहा, "भारत कभी भी डी-डॉलराइजेशन के पक्ष में नहीं रहा है, और ब्रिक्स मुद्रा का कोई प्रस्ताव नहीं है।"


जयशंकर की स्पष्टता: नई मुद्रा पर कोई निर्णय नहीं
एस जयशंकर की यह टिप्पणी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान के बाद आई है। ट्रंप ने ब्रिक्स देशों से अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा बनाने का समर्थन न करने की मांग की थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि ऐसा करने पर वे इन देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लागू करेंगे। जयशंकर ने इस संदर्भ में कहा कि भारत के लिए अमेरिका एक प्रमुख व्यापार साझेदार है और भारत की डॉलर को कमजोर करने में कोई रुचि नहीं है।

भारत-अमेरिका संबंधों पर जोर
जयशंकर ने भारत और अमेरिका के बीच मजबूत संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा, "हमारे पहले ट्रंप प्रशासन के साथ बहुत ठोस संबंध थे। हां, व्यापार से संबंधित कुछ मुद्दे थे, लेकिन कई महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मामलों में ट्रंप प्रशासन ने सकारात्मक भूमिका निभाई।" उन्होंने क्वाड (भारत, अमेरिका, जापान, और ऑस्ट्रेलिया का रणनीतिक समूह) को ट्रंप प्रशासन के दौरान पुनर्जीवित करने का भी उल्लेख किया।
जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंधों की सराहना करते हुए कहा, "पीएम मोदी और ट्रंप के बीच एक मजबूत व्यक्तिगत रिश्ता है, जिसने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहराई दी है।"

डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कहा था, "ब्रिक्स को नई मुद्रा बनाने या अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। यदि वे ऐसा करेंगे, तो उन्हें अमेरिका के बाजार में प्रवेश बंद कर देना होगा और भारी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।" उन्होंने कहा, "वे कोई और मूर्ख खोज लें, अमेरिका यह बर्दाश्त नहीं करेगा।"

ब्रिक्स और डॉलर का मुद्दा
ब्रिक्स (भारत, रूस, चीन, ब्राजील, और दक्षिण अफ्रीका) देशों के बीच अमेरिकी डॉलर के प्रभाव को कम करने और व्यापार में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग पर चर्चा होती रही है। हालांकि, जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत इस समय ऐसी किसी योजना का हिस्सा नहीं है।

भारत की प्राथमिकता
विदेश मंत्री ने दोहराया कि भारत का ध्यान स्थिर और सकारात्मक आर्थिक संबंधों पर है। उन्होंने कहा, "अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और हमें डॉलर को कमजोर करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। ब्रिक्स के मंच पर वित्तीय लेन-देन को लेकर चर्चा होती है, लेकिन इसका मतलब नई मुद्रा की दिशा में कदम बढ़ाना नहीं है।"

जयशंकर का बयान संतुलित विदेश निति को दर्शाता है
जयशंकर का ये बयान भारत की संतुलित विदेश नीति को दर्शाता है, जहां देश ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों में अपनी भागीदारी बनाए रखता है, लेकिन अमेरिका जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ अपने संबंधों को प्राथमिकता देता है। यह स्पष्ट है कि भारत मौजूदा वैश्विक आर्थिक संरचना को स्थिर रखने के पक्ष में है।
डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक बयान के बावजूद भारत ने अपनी स्थिति को स्पष्ट किया है। यह कदम भारत के कूटनीतिक संतुलन और उसके व्यापारिक हितों के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।


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