सुरक्षित आश्रय देने के लिए भारतीय जनता की आभारी हूं: शेख हसीना
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सुरक्षित आश्रय देने के लिए भारतीय जनता की आभारी हूं: शेख हसीना

हसीना ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति, लोकतंत्र की कमी और चरमपंथी नीतियों के कारण देश में भय और अस्थिरता है। उन्होंने भारत के प्रति सहयोग और भरोसे के महत्व को दोहराया और कहा कि देश को स्थिरता और संवैधानिक शासन की ओर लौटाने का एकमात्र रास्ता स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव है।


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Sheikh Hasina alleges Yunus: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की हिंसक और चरमपंथी नीतियों के कारण भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। हसीना ने यह भी कहा कि अवामी लीग के समर्थक आगामी चुनाव में वोट नहीं करेंगे। क्योंकि पार्टी पर लगाया गया प्रतिबंध देश के संविधान का उल्लंघन है। हसीना अगस्त 2024 में अपनी सरकार के पतन के बाद से भारत में निर्वासन में रह रही हैं। उन्होंने कहा कि यूनुस की सरकार में चरमपंथियों का समर्थन बांग्लादेश और भारत के बीच मौलिक संबंधों को कमजोर कर सकता है। उन्होंने भारत की जनता के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की कि उन्होंने उन्हें सुरक्षित आश्रय प्रदान किया।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर हसीना का बयान

हसीना ने कहा कि भारत हमेशा बांग्लादेश का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है और यदि बांग्लादेश की सुरक्षा और समृद्धि को बनाए रखना है तो ऐसा ही बने रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर भारत और मोहम्मद यूनुस की गैर-चुनी हुई प्रशासन के बीच तनातनी है तो उसका उनसे कोई लेना-देना नहीं है। इसका कारण केवल यूनुस की अराजक, हिंसक और चरमपंथी नीतियां हैं। इसमें धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले, पीछे हटती सामाजिक-धार्मिक नीतियां और ढाका के अधिकारियों की भारत-विरोधी बयानबाज़ी शामिल है। हसीना ने कहा कि बांग्लादेशियों के लिए इस तरह की शत्रुता अस्वीकार्य है और भारत के साथ संबंध गहरे और व्यापक हैं।

अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल में मामले

हसीना पर अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल में मानवता के खिलाफ अपराध के मामलों में नवंबर में फैसला आने की संभावना है। उन्होंने सभी आरोपों का खंडन किया। उनका कहना है कि यह एक “कंगारू कोर्ट” है, जो उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा नियंत्रित है और जिसने सत्ता अवैध रूप से हथियाई। हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ कोई विश्वसनीय सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया कि उन्होंने भीड़ पर जानलेवा कार्रवाई का आदेश दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑडियो रिकॉर्डिंग और ट्रांस्क्रिप्ट को मैनिपुलेट किया गया और संदर्भ से बाहर पेश किया गया।

अवामी लीग पर प्रतिबंध और चुनाव

यूनुस सरकार ने एंटी-टेररिज्म एक्ट के तहत अवामी लीग की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया और चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण निलंबित कर दिया। हसीना ने कहा कि यह प्रतिबंध बांग्लादेश के संविधान और 173 मिलियन लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यदि लोग अपनी पसंद की पार्टी के लिए वोट नहीं कर सकते हैं तो वे वोट नहीं देंगे। हसीना ने कहा कि अवामी लीग हमेशा जनमत से सत्ता में आई है, जबकि यूनुस सरकार को किसी भी बांग्लादेशी ने वोट नहीं दिया।

छात्रों और प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई के आरोप

2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हसीना पर छात्रों और अन्य समूहों पर कार्रवाई का आरोप लगाया गया। हसीना ने इसे “बिना आधार का आरोप” बताया और कहा कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई को उनकी प्रत्यक्ष हुकूमत के रूप में पेश करना गलत है। उन्होंने कहा कि उन्होंने भीड़ पर कभी गोलियां चलाने का आदेश नहीं दिया।

ICC में शिकायत

हसीना ने कहा कि अवामी लीग के नेताओं और समर्थकों पर की गई प्रतिशोधात्मक हिंसा के मामलों की निष्पक्ष जांच के लिए ICC जैसी स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संस्था जरूरी है। उन्होंने कहा कि यूनुस सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ झूठे मुकदमों का इस्तेमाल कर रही है ताकि अंतरराष्ट्रीय ध्यान हटाया जा सके।

धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमला

हसीना ने कहा कि उनके शासनकाल के दौरान धार्मिक सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखना प्राथमिकता थी। उन्होंने कहा कि यूनुस की सरकार के पहले हफ्तों में धार्मिक अल्पसंख्यकों, हिंदू, बौद्ध, ईसाई और आदिवासी समुदायों के खिलाफ हिंसा शर्मनाक है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव

हसीना ने चेताया कि चरमपंथियों का समर्थन बांग्लादेश में भारत के साथ मौलिक संबंधों को कमजोर कर सकता है। उन्होंने कहा कि उनके शासनकाल में भारत के साथ व्यापार, परिवहन और विकास परियोजनाओं में तेजी आई थी। अब ये परियोजनाएं खतरें में हैं और आर्थिक प्रगति प्रभावित हुई है।

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