शेख हसीना के लिए भारत संकट मोचक, दिल्ली है उनका दूसरा आशियाना
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शेख हसीना के लिए भारत संकट मोचक, दिल्ली है उनका दूसरा आशियाना

शेख हसीना के पिता व परिवार के एनी सदस्यों को जब बांग्लादेश में वहां की सेना ने मार दिया तो हसीना और उनके पति व बच्चों को भारत ने शरण दी. हसीना यहाँ लाजपत नगर और पंडारा रोड में रहीं थीं.


Sheikh Hasina: बांग्लादेश की स्थापना में भारत की अहम भूमिका रही है. बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजिबुर्रहमान की नजदीकी भारत के साथ होने का ये बहुत बड़ा कारण है. यह भी एक वजह है कि उनकी बेटी शेख हसीना की भी भारत से नजदीकी रही है. लेकिन इसके अलावा भी अन्य वजह है जो शेख हसीना और भारत के रिश्ते को बेहद मजबूत बनाते हैं और वो है संकट के समय में भारत का शेख हसीना के लिए हर दम साथ देना. इससे पहले भी जब शेख हसीना के सामने ज़िन्दगी और मौत की घड़ी आकर खड़ी हुई तो उन्हें सबसे पहले भारत की ही याद आई और भारत ने भी उसकी मदद के लिए हर दम अपनी बाह फैलाई. सोमवार 5 अगस्त को जो बांग्लादेश में हुआ, उसके बाद शेख हसीना भारत और वो भी दिल्ली ही क्यों आयीं, इसके लिए हमें सन 1975 में चलना होगा, तभी समझ में आएगा कि आखिर शेख हसीना के लिए दिल्ली दूसरा घर क्यों कहा जाता है.


दिल्ली के लाजपत नगर और पंडारा रोड में कई साल रही हैं शेख हसीना
ये बात किसी से छिपी नहीं है कि बंगलदेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान शेख हसीना के पिता थे. बात 1975 की है, जब 15 अगस्त के दिन बांग्लादेश की सेना ने शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार की हत्या कर दी थी. उस वक़्त शेख हसीना अपने पति और बच्चों के साथ बांग्लादेश से बाहर थीं. वो जर्मनी में थीं. इसलिए उनका परिवार बाख गया था. उस वक्त के जो हालात थे, वो हसीना के वापस बांग्लादेश लौटने के लिए अनुकूल नहीं थे. ऐसे में भारत शेख हसीना की मदद के लिया आगे आया और उन्हें परिवार सहित राजनितिक शरण दी गयी.
शेख हसीना दिल्ली के 56, लाजपत नगर - 3 में रहीं. उस समय इंदिरा गाँधी की सरकार थी. इंदिरा गाँधी ने उनकी काफी मदद की. इंदिरा गाँधी सरकार में ही प्रणब मुख़र्जी मंत्री थे और वे अपने परिवार के साथ तालकटोरा मार्ग पर रहते थे. हसीना का मुख़र्जी परिवार से मिलना जुलना रहता था और वो अक्सर उनके घर भी जाया करती थीं. दोनों परिवारों के बीच अच्छे रिश्ते रहे. कुछ समय लाजपत नगर - 3 में रहने के बाद शेख हसीना और उनके परिवार को दिल्ली के पंडारा रोड में शिफ्ट कर दिया गया. हसीना 1981 तक दिल्ली में रहीं और जब बांग्लादेश के हालात उनके अनुकूल हो गए तो वो वापस अपने देश लौट गयीं.

दिल्ली को इसलिए कहतीं हैं अपना दूसरा घर
यही वजह भी है कि शेख हसीना दिल्ली को अपना दूसरा घर मानती हैं और इस बारे में वो खुद कई बार खुल कर बता भी चुकी हैं. शेख हसीना के व्यक्तिगत रिश्ते गाँधी परिवार और प्रणब मुखेर्जी परिवार से काफी अच्छे हैं. वो जब जब भारत आयीं हैं, तो इन दोनों परिवारों से जरुर मिली हैं.

आल इंडिया रेडियो में भी काम कर चुकी हैं शेख हसीना
शेख हसीना जब भारत में रहीं थीं, तो उन्होंने आल इंडिया रेडियो के बांगला डिवीज़न में भी काम किया था. उनके पति एम ए वाजिद मियां ने भारत में रहते हुए एटॉमिक एनर्जी कमीशन में रिसर्च भी कर चुके हैं.


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