
शेख हसीना को 6 महीने की जेल, अदालत की अवमानना पर ICT ने सुनाया फैसला
Bangladesh Politics: यह फैसला राजनीतिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि हसीना दशकों तक बांग्लादेश की सबसे ताकतवर नेता रही हैं.
Sheikh Hasina Jail: जिस नेता ने दशकों तक बांग्लादेश की सत्ता पर राज किया… आज वही शेख हसीना अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने की जेल की सजा पा चुकी हैं. साल 2024 के बांग्लादेश जनआंदोलन में सत्ता से पलायन के बाद अब हसीना भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं.
पूर्व बांग्लादेश प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) ने बुधवार को अदालत की अवमानना के एक मामले में छह महीने की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. यह फैसला ट्राइब्यूनल-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया, जिसकी अध्यक्षता जज मोहम्मद गोलाम मोर्तुजा मोजुमदार कर रहे थे. इस मामले में गाइबांधा के गोबिंदगंज निवासी शाकिल आकंद बुलबुल को भी दो महीने की जेल की सजा दी गई है.
पहली बार किसी मामले में सजा
यह पहली बार है जब हसीना को किसी मामले में आधिकारिक रूप से दोषी ठहराया गया है. यह फैसला ऐसे समय आया है जब हसीना पिछले एक वर्ष से देश छोड़कर निर्वासन में हैं और नई दिल्ली में एक सुरक्षित ठिकाने पर रह रही हैं.
मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप
जून 2025 में इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल के अभियोजकों ने हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप भी लगाए थे. प्रमुख अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि शेख हसीना ने 2024 में हुए जन आंदोलन को कुचलने के लिए एक "व्यवस्थित हमला" करवाया था. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच बांग्लादेश में हिंसा और दमन के चलते लगभग 1,400 लोगों की जान गई थी.
शेख हसीना ने आरोपों को नकारा
शेख हसीना ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनके वकील आमिर हुसैन ने मीडिया को बताया कि हसीना सभी आरोपों से मुक्त कराने के लिए न्यायालय में दलीलें पेश करेंगी. शेख हसीना ने अगस्त 2024 में भारत का रुख किया, जब बांग्लादेश में देशव्यापी प्रदर्शनों के बाद अवामी लीग की सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी. तब से लेकर अब तक वह नई दिल्ली स्थित एक सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं, जहां से उन्होंने किसी भी आधिकारिक बयान या अपील के माध्यम से आरोपों को चुनौती देने की बात कही है.
यह फैसला राजनीतिक इतिहास में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि हसीना दशकों तक बांग्लादेश की सबसे ताकतवर नेता रही हैं. अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अब इस फैसले को मानवाधिकार और विधिक प्रक्रिया की कसौटी पर परख रही हैं. बांग्लादेश में स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है और हसीना समर्थकों में नाराज़गी देखी जा रही है.