9 महीने बाद धरती पर आएंगी सुनीता विलियम्स, इन मुश्किलों का करना पड़ेगा सामना
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9 महीने बाद धरती पर आएंगी सुनीता विलियम्स, इन मुश्किलों का करना पड़ेगा सामना

ISS पर नौ महीने रहने के बाद अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स- बुच विल्मोर वापस लौटने वाले हैं। धरती वापसी पर उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा?


अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर, जिन्हें शुरू में केवल 8-10 दिनों के लिए अंतरिक्ष में रहने की उम्मीद थी, अंततः नौ महीने के अप्रत्याशित मिशन के बाद अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर लौटने के लिए तैयार हैं। उनका वापसी अभियान 19 मार्च (IST) की तड़के निर्धारित है, लेकिन यह अनुकूल मौसम परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।

अमेटी विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के चांसलर और पूर्व DRDO प्रमुख डॉ. सेल्वमूर्ति ने The Federal के एडिटर-इन-चीफ एस. श्रीनिवासन को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि लंबे अंतरिक्ष अभियानों के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को अत्यधिक शारीरिक और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है।


अप्रत्याशित रूप से बढ़ा हुआ प्रवास

यह जोड़ी मूल रूप से बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान का परीक्षण करने के लिए ISS भेजी गई थी। हालांकि, तकनीकी समस्याओं के कारण उनकी नियोजित वापसी संभव नहीं हो सकी, जिससे उन्हें अपने प्रवास को लंबा करने के लिए अनुकूलन करना पड़ा। डॉ. सेल्वमूर्ति ने कहा, "अंतरिक्ष यात्री लंबे अभियानों के लिए प्रशिक्षित होते हैं, लेकिन विलियम्स और विलमोर ने केवल एक छोटी यात्रा के लिए तैयारी की थी। उनकी दृढ़ता वास्तव में सराहनीय है।"

मानसिक चुनौतियां

नौ महीने तक अंतरिक्ष में रहना मानसिक रूप से अत्यधिक तनावपूर्ण होता है। डॉ. सेल्वमूर्ति ने बताया, "अंतरिक्ष यात्री संवेदी अभाव (sensory deprivation), एकरसता और अज्ञात का डर जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। उनके चयन प्रक्रिया में शारीरिक, शारीरिक और मानसिक सहनशक्ति का आकलन किया जाता है।" मिशन की अवधि अचानक बढ़ जाने के कारण उन्हें भोजन को राशनिंग करना पड़ा, पानी की आपूर्ति प्रबंधित करनी पड़ी और मूल रूप से छोटे प्रवास के लिए डिज़ाइन किए गए अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को समायोजित करना पड़ा। उन्होंने कहा, "मिशन योजनाकारों और अंतरिक्ष यात्रियों ने स्थिति के अनुसार खुद को ढालने में जबरदस्त कार्य किया है।"

वापसी का इंतजार

पूरी दुनिया विलियम्स और विलमोर की वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रही है। अंतरिक्ष एजेंसियां और शोधकर्ता उनकी शारीरिक और मानसिक अनुकूलन प्रक्रिया का बारीकी से अध्ययन करेंगे। उनका अनुभव भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों, विशेष रूप से भारत की महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अन्वेषण योजनाओं के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा।

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