सीरिया संकट अभी कुछ समय रहेगा जारी, सांप्रदायिक तनाव की आशंका!
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सीरिया संकट अभी कुछ समय रहेगा जारी, सांप्रदायिक तनाव की आशंका!

Syria situation unstable: रविवार को सीरियाई सरकार गिर गई. क्योंकि विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया. असद मॉस्को में हैं और उन्हें वहां शरण दी जाएगी.


Syria political turmoil: इस्लामी विद्रोही ताकतों द्वारा बशर अल-असद शासन को अचानक उखाड़ फेंकने के बाद सीरिया (Syria) में राजनीतिक उथल-पुथल (Syria political turmoil) मची हुई है. वहीं, कई पूर्व भारतीय राजनयिकों ने भविष्यवाणी की है कि अरब देश (Arab country) में स्थिति अभी कुछ समय अस्थिर रहेगी. अब इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या उस देश में विपक्षी ताकतें एकजुट रहती हैं और एकता, विवेक और विकास का एक "नया अध्याय" शुरू करती हैं.

सांप्रदायिक संघर्ष की आशंका

सीरिया (Syria) में विद्रोही बलों द्वारा राष्ट्रपति असद की सत्तावादी सरकार को उखाड़ फेंकने के एक दिन बाद भारत ने सोमवार (9 दिसंबर) को उस देश में स्थिरता लाने के लिए सीरिया के नेतृत्व में एक शांतिपूर्ण और समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया का आह्वान किया. विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव (पूर्व) अनिल वाधवा का मानना है कि सीरिया (Syria) में स्थिति अब "बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाली है." वाधवा ने बताया कि विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल जोलानी ने कहा है कि वे "अल्पसंख्यकों का सम्मान" करेंगे. लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि उन्हें सही प्रकार के धर्म का पालन करना चाहिए. उन्होंने अनुमान लगाया कि इससे सांप्रदायिक संघर्ष पैदा हो सकता है. पूर्व राजनयिक ने कहा कि सीरिया में इस घटनाक्रम का व्यापक क्षेत्र पर प्रभाव पड़ेगा.

कहानी का अंत नहीं

वाधवा ने पीटीआई से कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह कोई ऐसी बात है, जो बहुत जल्दी सुलझ जाएगी. इच्छुक पक्ष प्रभावित होंगे और वे विरोध करना शुरू कर देंगे. इसलिए सीरिया में कहानी का अंत नहीं हुआ है. अमेरिका की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी "तेल क्षेत्रों पर नियंत्रण करके खुश हैं", इसलिए उन्होंने वहां अपनी सेना भेज दी. उन्होंने कहा कि "मुझे लगता है कि यह कुछ समय के लिए अस्थिर रहने वाला है." हालांकि, वाधवा ने कहा कि सीरिया में जो कुछ हो रहा है, उससे वह "आश्चर्यचकित नहीं" हैं. जिस दिन लेबनान में युद्धविराम हुआ, मुझे उसी दिन पता चल गया था. विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह सीरिया में हो रहे घटनाक्रम पर नजर रख रहा है और साथ ही अरब गणराज्य की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए सभी पक्षों द्वारा काम करने की जरूरत पर जोर दिया.

विश्व नेताओं ने किया स्वागत

रविवार को सीरियाई सरकार गिर गई. क्योंकि विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया. रूसी सरकारी मीडिया ने बताया कि असद मॉस्को में हैं और उन्हें शरण दी जाएगी. उनके लगभग 14 साल के कार्यकाल में गृहयुद्ध, रक्तपात और उनके राजनीतिक विरोधियों पर क्रूर कार्रवाई की गई. विद्रोहियों द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के कुछ ही घंटों बाद रविवार को दिल्ली में आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सीरिया में सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं. कई प्रमुख देशों ने भी लगभग 14 वर्षों तक चले असद शासन के पतन का स्वागत किया है, जिसके दौरान पूरे सीरिया में गृह संघर्ष जारी रहा.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि 14 वर्षों के संघर्ष के बाद सीरियाई लोगों के पास आखिरकार आशा की किरण है. असद शासन के पतन पर विश्व शक्तियों की प्रतिक्रिया के बारे में वाधवा ने कहा कि जो भी सत्ता संभालेगा, यदि शासन "अनुकूल" है तो उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं है. असद और उनके परिवार के शासन के बारे में "क्रूर शासन" जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने वाली कई रिपोर्टों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये शब्द "काफी हद तक दुष्प्रचार और बयानबाजी" हैं.

मतभेद की आशंका

इटली में भारत के पूर्व राजदूत केपी फेबियन ने कहा कि सीरिया में घटनाओं की यह नाटकीय श्रृंखला अचानक हुई. किसी को नहीं पता था कि यह होने वाला है. 27 नवंबर को तुर्की सीमा के पास इदलिब का पतन हो गया. 29 नवंबर को एक बड़ा शहर अलेप्पो का पतन हो गया. उन्होंने कहा कि सीरियाई सेना के सदस्य "पीछे हट रहे हैं", इसलिए वहां लोग मारे नहीं जा रहे हैं. पूर्व राजनयिक ने कहा कि सीरिया में आम जनता "खुश दिख रही है". हालांकि, फेबियन ने चेतावनी दी कि विद्रोही "एक सुसंगत ताकत नहीं हैं".

उन्होंने कहा कि क्या ये सभी एक साथ रहेंगे और सीरिया के लिए एकता, विवेक और विकास का एक नया अध्याय खोलेंगे, हमें ऐसी ही उम्मीद करनी चाहिए. लेकिन, हमें उम्मीद बनाए रखनी होगी. फेबियन ने अरब स्प्रिंग दैट वाज एंड वाज नॉट नामक पुस्तक लिखी है, जिसमें 2011 में ट्यूनीशिया में इसके विस्फोट से शुरू हुए अरब स्प्रिंग की सभी नाटकीय शक्तियों को दर्शाया गया है. उन्होंने कहा कि जहां तक भारत का सवाल है, हम वहां किसी भी सरकार के साथ काम करेंगे. फेबियन ने कहा कि अगर शांतिपूर्ण बदलाव होता है तो यह अच्छा होगा. लेकिन, अगर बाद में उनमें झगड़े होंगे तो यह अच्छा संकेत नहीं होगा.

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