Telegram CEO Pavel Durov Story: गांव देहात में एक सामान्य सी कहावत है कि दो लोगों के चक्कर में मत पड़ो क्योंकि ऐसा हो सकता है कि उसका खामियाजा भुगतना पड़े। दरअसल यह कहावत टेलीग्राम के सीईओ पावेल ड्यूरोव पर सटीक बैठती है। मूल तौर पर रूस के रहने वाले, ठिकाना दुबई और गिरफ्तारी फ्रांस में हो जाती है। ड्यूरोव की गिरफ्तारी को लेकर इस बात की चर्चा है कि रूस-यूक्रेन की लड़ाई का खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा है। सवाल यह है कि ऐसा लड़ाई से ड्यूरोव की गिरफ्तारी का क्या कनेक्शन है। पहले आप यह समझिए की टेलीग्राम का जन्म कब हुआ।
11 साल पहले टेलीग्राम का आगाज
करीब 11 साल पहले यानी साल 2013 था। पावेल ड्यूरोव ने अपने भाई के साथ मिलकर टेलीग्राम की शुरुआत की और उसके बाद ही रूस को अलविदा कह दिया। रूस से बाहर निकलते समय उन्होंने कहा था कि वो एक निष्पक्ष प्लेटफॉर्म चाहते थे। बात बड़ी साफ है कि जब वो इस तरह की बात कह रहे थे तो निशाना व्लादिमीर पुतिन थे। टेलीग्राम की चर्चा इसलिए भी होती है कि इसका यूजर बेस एक बिलियन के करीब पहुंचने जा रहा है। अब बताते हैं कि गिरफ्तारी की खबर कैसे आई। टीएफ1 टीवी और बीएफएम टीवी ने अनजान सोर्स का हवाला देते हुए बताया कि ड्यूरोव की गिरफ्तारी फ्रांस के बॉर्गेट हवाई अड्डे से की गई। जिस समय ड्यूरोव गिरफ्तार हुए वो अजरबैजान का सफर कर रहे थे।
गिरफ्तारी का मकसद
अब गिरफ्तारी का मकसद क्या है। अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक टेलीग्राम मॉडरेटर में कुछ कमी थी और उस सिलसिले में गिरफ्तारी की गई। पुलिस के मुताबिक मॉडरेटिंग में कमी की वजह से ऐप पर आपराधिक गतिविधियां बिना किसी रेस्ट्रिक्शन के चलने दी गई। लेकिन क्या बात सिर्फ इतनी सी है। इसके जवाब में जानकार कहते हैं कि नहीं, ड्यूरोव की गिरफ्तारी के पीछे जियो पॉलिटिक्स जिम्मेदार है। कहा जाता है कि VKONTAKTE ऐप पर रूस की सरकार ने विरोधी दलों की गतिविधियों को बंद करने का फैसला किया। पुतिन सरकार के फैसले से खफा ड्यूरोव ने ऐसा करने से मना किया और साल 2014 में रूस को छोड़ने का फैसला किया। रॉयटर्स के मुताबिक एक अमेरिकी पत्रकार से बातचीत में ड्यूरोव ने यह भी कहा कि वो आजाद रहना पसंद करेंगे और कंपनी का ठिकाना कहीं और बनाएंगे।
क्या रूस- यूक्रेन से लड़ाई से रिश्ता
रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई में सूचना के स्रोत के तौर टेलीग्राम की लोकप्रियता बढ़ी। हालांकि दोनों तरफ से बिना फिल्टर जानकारियों को भेजा जाता था जिसमें भ्रामक जानकारी भी होती थी। खास बात यह है कि इस ऐप का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ना सिर्फ यू्क्रेनी अधिकारी बल्कि रूसी सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े लोग भी करते रहे। रूसी सरकार इसके जरिए गलत जानकारियों का खंडन भी करती है। इन सबके बीच रूस के विदेश मंत्रालय का कहना है कि वो ड्यूरोव की रिहाई की मांग करेंगे।
रूस ने 2018 में टेलीग्राम ऐप को ब्लॉक करना शुरू किया था। वजह कोर्ट आदेश को बताया गया। टेलीग्राम ऐप के कुछ एनक्रिप्टेड संदेशों तक अदालत अपनी पहुंच बनाना चाहती थी. हालांकि अभी भी कई इलाकों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। ड्यूरोव के पास 15.5 बिलियन डॉलर की संपत्ति है। रूस की सरकार ने जब दबाव बनाना शुरू किया था तो उस वक्त ड्यूरोव ने कहा था कि वो किसी भी कीमत पर निष्पक्षता से समझौता नहीं करने वाले हैं।