
ट्रंप का दावा: अगर चीन पर प्रतिबंध लगे तो खत्म हो सकता है यूक्रेन युद्ध
Donald Trump ने चीन पर प्रभावशाली प्रतिबंधों की मांग कर यूरोप पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की है. उनका मानना है कि चीन पर आर्थिक चोट देने से रूस पर दबाव पड़ेगा और यूक्रेन युद्ध खत्म हो सकता है.
Sanctions on China: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चीन के खिलाफ अपने टैरिफ (शुल्क) रणनीति को आगे बढ़ाते हुए कहा है कि अगर यूरोप चीन पर प्रतिबंध लगाए तो यूक्रेन युद्ध खत्म हो सकता है. ट्रंप ने दावा किया कि चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है.
एक इंटरव्यू में जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या आपने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर से कहा कि यूरोप को भारत और चीन पर भी प्रतिबंध लगाने चाहिए? इस पर ट्रंप ने अपने प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत पर 50% शुल्क लगाना एक "बड़ा कदम" था.
ट्रंप ने कहा कि अगर चीन पर प्रतिबंध लगाए जाएं तो यूक्रेन युद्ध खत्म हो सकता है. चीन रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार है और मुझे लगता है कि उसके पास रूस पर और भी कई प्रभाव हैं. यह बयान ऐसे समय आया है, जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर तनाव चरम पर है.
ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिका सरकार ने अपने नाटो सहयोगियों से अपील की थी कि वे चीन पर 50% से 100% तक के कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएं, यह आरोप लगाते हुए कि चीन यूक्रेन युद्ध में रूस को फंडिंग और घातक क्षमता बढ़ाने में मदद कर रहा है. इसके जवाब में चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
रूसी राष्ट्रपति पुतिन से नाराज ट्रंप
हाल ही में ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर भी निराशा जताई. उन्होंने कहा कि उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन पुतिन ने कोई ठोस पहल नहीं की. ट्रंप ने कहा कि मैंने सोचा था कि पुतिन के साथ मेरे अच्छे रिश्तों के कारण ये मसला सबसे आसान होगा, लेकिन उसने मुझे निराश किया. यह रूस और यूक्रेन के बीच होना था, लेकिन अब देखते हैं आगे क्या होता है.
शांति वार्ता की कोशिशें नाकाम
डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध खत्म करने के लिए कई प्रयास किए. उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन को अलास्का बुलाया, ताकि वार्ता हो सके. इसके कुछ ही दिनों बाद, उन्होंने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया. हालांकि, ये बैठकें किसी भी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकीं और युद्ध फिर से तेज हो गया.