
ट्रंप प्रशासन का नया H-1B शुल्क और कानूनी विवाद: अमेरिकी प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता देने का दावा
व्हाइट हाउस का कहना है कि यह शुल्क धोखाधड़ी को रोकने और अमेरिकी प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता देने के लिए आवश्यक है, और यह ट्रंप प्रशासन के कदम का नियोक्ताओं द्वारा दायर कानूनी चुनौतियों के खिलाफ बचाव करता है।
अमेरिकी सरकार ने कहा है कि वह USD 100,000 शुल्क पर लगे मुकदमों का सामना करेगी, जो नए H-1B वीज़ा याचिकाओं पर लगाया गया है। सरकार का कहना है कि “काफी लंबे समय तक” इस प्रणाली में धोखाधड़ी फैली हुई थी, और इसे अमेरिकी प्रोफेशनल्स को प्राथमिकता देने के लिए सुधार की आवश्यकता है।
सफाई और बयान
व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलाइन लिविट ने गुरुवार को बताया कि यह बयान उस समय आया जब अमेरिकी चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने पिछले सप्ताह इस कदम के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। चेंबर ने इसे “गलत नीति” और “स्पष्ट रूप से अवैध” कार्रवाई बताया, जो अमेरिकी नवाचार और प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुँचा सकती है।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ कैलिफ़ोर्निया की एक संघीय अदालत में यूनियनों, नियोक्ताओं और धार्मिक संगठनों ने भी कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।
लिविट ने कहा, “प्रशासन इन मुकदमों का कोर्ट में सामना करेगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकता हमेशा से अमेरिकी प्रोफेशनल्स को पहले रखना और वीज़ा प्रणाली को मजबूत करना रही है। काफी लंबे समय तक H-1B वीज़ा प्रणाली में धोखाधड़ी फैली हुई थी, जिससे अमेरिकी मजदूरी पर असर पड़ा। इसलिए राष्ट्रपति इस प्रणाली को सुधारना चाहते हैं, यही कारण है कि उन्होंने ये नई नीतियाँ लागू कीं।”
नई नीतियों का बचाव
उन्होंने जोर देकर कहा कि “ये कार्रवाई कानूनी और आवश्यक है” और “हम इस लड़ाई को कोर्ट में जारी रखेंगे।”
19 सितंबर को राष्ट्रपति ट्रंप ने 'Restriction on entry of certain nonimmigrant workers' उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत नए H-1B वीज़ा के लिए शुल्क USD 100,000 (लगभग INR 88 लाख) कर दिया गया।
यह कदम भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। अमेरिकी नागरिकता और आप्रवासन सेवा (USCIS) के अनुसार, हाल के वर्षों में स्वीकृत H-1B आवेदन में 71% भारतीय हैं।
कंपनियाँ H-1B आवेदकों को प्रायोजित करने के लिए शुल्क देती हैं। USCIS ने सोमवार को नई गाइडलाइन जारी की, जिसमें स्पष्ट किया गया कि USD 100,000 शुल्क उन आवेदकों पर लागू नहीं होगा जो 'Change of Status' या 'Extension of Stay' के लिए आवेदन कर रहे हैं।
मुकदमा और चुनौती
अमेरिकी चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने 16 अक्टूबर को कोलंबिया की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुकदमा दायर किया। मुकदमे में कहा गया कि यह उद्घोषणा राष्ट्रपति की वैध सत्ता से बाहर है।
यह भी कहा गया कि हर साल H-1B स्थिति प्राप्त करने वाले विशेषज्ञ और उच्च कौशल वाले लोग अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।
H-1B वीज़ा कैप
कांग्रेस द्वारा निर्धारित सीमा के अनुसार, अमेरिका हर साल अधिकतम 65,000 H-1B वीज़ा जारी कर सकता है। इसके अतिरिक्त, 20,000 वीज़ा उन आवेदकों को दिए जाते हैं जिन्होंने अमेरिका से मास्टर्स या उच्च शिक्षा पूरी की हो।

