ट्रम्प के नागरिकता आदेश का भारतीय माता-पिता पर संभावित प्रभाव
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ट्रम्प के नागरिकता आदेश का भारतीय माता-पिता पर संभावित प्रभाव

ट्रम्प ने अमेरिका में अस्थायी वीजा धारकों के बच्चों के लिए जन्मसिद्ध अधिकार नागरिकता को समाप्त करने का आदेश दिया है, जो कहीं न कहीं भारतीयों के लिए एक बड़ा झटका है।


US Birthright Citizenship Act: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अस्थायी वीजा धारकों के बच्चों के लिए जन्मसिद्ध अधिकार नागरिकता को समाप्त करने का कार्यकारी आदेश अप्रत्याशित रूप से अप्रवासियों, खासकर भारतीय नागरिकों के लिए चिंता का कारण बन गया है। हालांकि, कानूनी चुनौतियों के कारण इस आदेश को फिलहाल अस्थायी रूप से रोक दिया गया है, लेकिन यह नीति अमेरिका में जल्द ही माता-पिता बनने की उम्मीद रखने वाले हजारों भारतीयों को अनिश्चितता में डाल चुकी है।


H-1B वीजा धारकों पर बड़ा प्रभाव
इस आदेश का सबसे अधिक प्रभाव अमेरिका में काम कर रहे भारतीय पेशेवरों पर पड़ा है, जिनमें अधिकांश H-1B वीजा धारक शामिल हैं। कई भारतीय परिवारों ने यह मान लिया था कि उनके अमेरिका में जन्मे बच्चे स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त करेंगे। लेकिन अब इस आदेश ने उनकी उम्मीदों को संकट में डाल दिया है।
सान जोस, कैलिफोर्निया में कार्यरत भारतीय इंजीनियर अक्षय पिसे ने बीबीसी से कहा, "यह हम पर सीधे असर डालता है। अगर यह आदेश लागू होता है, तो हम नहीं जानते कि उसके बाद क्या होगा - यह एक अज्ञात क्षेत्र है।" अक्षय की पत्नी, नेहा सटपुटे, इस महीने बच्चे को जन्म देने वाली हैं और इस अनिश्चितता ने उनके परिवार को तनाव में डाल दिया है।

प्राकृतिक प्रसव की ओर ध्यान
अक्षय और नेहा ने कुछ समय के लिए पहले प्रसव कराने पर विचार किया, ताकि उनका बच्चा अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर सके, लेकिन फिर उन्होंने इसे छोड़ दिया। "मैं चाहता हूं कि प्राकृतिक प्रक्रिया अपना काम करे," नेहा ने कहा। अक्षय ने भी यह स्पष्ट किया, "मेरी प्राथमिकता सुरक्षित प्रसव और मेरी पत्नी का स्वास्थ्य है। नागरिकता दूसरे स्थान पर है।"

सी-सेक्शन पर चिंता
इस घबराहट के कारण कुछ माता-पिता ने जल्दी सी-सेक्शन कराने का विचार किया ताकि उनका बच्चा अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कर सके। लेकिन अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजीशियन ऑफ इंडियन ओरिजिन (AAPI) के अध्यक्ष सतीश कटुला ने इस पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "मैं नागरिकता के लिए पूर्व-समय सी-सेक्शन कराने की सलाह नहीं देता। यह एक चिकित्सा प्रक्रिया है और इसे किसी नीति के दबाव में नहीं किया जाना चाहिए।"

कानूनी अनिश्चितता
न्यूयॉर्क स्थित आप्रवासन कानून विशेषज्ञ, साइरस मेहता ने बताया, "अमेरिकी कानून में यहां जन्मे व्यक्ति को गैर-आप्रवासी स्थिति देने का कोई प्रावधान नहीं है।" बिना जन्मसिद्ध अधिकार नागरिकता के, H-1B धारकों के बच्चों को कानूनी अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।

सामाजिक और कानूनी समस्याएँ
नेहा सटपुटे ने कहा, "गर्भावस्था अपने आप में तनावपूर्ण होती है, लेकिन हमने सोचा था कि यहां एक दशक बाद चीजें आसान हो जाएंगी। लेकिन अब यह अनिश्चितता और बढ़ गई है।" उनके पति, अक्षय ने इसे और स्पष्ट किया, "हम कानूनी, टैक्स अदा करने वाले आप्रवासी हैं और हमारे बच्चे को अमेरिकी नागरिकता मिलनी चाहिए। यह तो हमेशा से कानून था, है ना?"

भारतीयों पर विशेष असर
अमेरिका में भारतीय, जो कि दूसरे सबसे बड़े आप्रवासी समूह हैं, इस आदेश से सबसे अधिक प्रभावित होंगे। वर्तमान में पांच मिलियन से अधिक भारतीय गैर-आप्रवासी वीजा धारक हैं। नए नियम के तहत, उनके अमेरिका में जन्मे बच्चों को अब नागरिकता नहीं मिलेगी।
आप्रवासन नीति विश्लेषक स्नेहा पुरी के अनुसार, "भारतीयों का ग्रीन कार्ड बैकलॉग किसी भी राष्ट्रीयता से सबसे लंबा है।" वर्तमान कानून के तहत, प्रत्येक देश के लिए ग्रीन कार्ड की सीमा 7 प्रतिशत तक है, और भारतीय हर साल 72 प्रतिशत H-1B वीजा प्राप्त करते हैं, जिससे बैकलॉग 1.1 मिलियन तक बढ़ चुका है।

अवैध आप्रवासी भी प्रभावित
यह आदेश अवैध आप्रवासी (डोक्युमेंटेड) के लिए भी प्रभावी है, जो अब अपने अमेरिका में जन्मे बच्चों के माध्यम से ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन नहीं कर सकते। विभिन्न अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में अवैध भारतीय आप्रवासी की संख्या लगभग 3.75 लाख से 7.25 लाख के बीच है।

वीजा धारकों की चिंता
H-1B और O वीजा धारकों के लिए सबसे बड़ी चिंता उनके बच्चों का भविष्य है। वीजा धारकों को अक्सर वीजा स्टांपिंग के लिए अमेरिका छोड़ना पड़ता है, जो कई बार देरी का सामना करता है। इस देरी के कारण कई वीजा धारक चिंतित हैं कि उनके बच्चों को भी यही समस्याएं झेलनी पड़ेंगी।


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