युवा देश भारत में बुजुर्गों की आबादी 2050 तक दोगुनी होने का अनुमान
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युवा देश भारत में बुजुर्गों की आबादी 2050 तक दोगुनी होने का अनुमान

यूएनएफपीए भारत प्रमुख एंड्रिया वोजनार ने भारत के जनसांख्यिकीय परिदृश्य में बदलाव के कारण बढ़ती बुजुर्ग आबादी, विशेष रूप से वृद्ध महिलाओं की सहायता के लिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन में निवेश की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया


UNFPA: आज जिस भारत की पहचान युवा देश के रूप में की जाती है, उस भारत में आने वाले 25 से 26 सालों में बुजुर्ग आबादी दोगुनी होने का अनुमान है. यूएनएफपीए ( यूनाइटेड नेशन्स पोपुलेशन फण्ड ) इंडिया की प्रमुख एंड्रिया वोजनार के अनुसार, भारत की बुजुर्ग आबादी 2050 तक दोगुनी हो जाने का अनुमान है. उनका कहना है कि इसे देखते हुए भारत को स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन में निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है, खासकर बुजुर्ग महिलाओं के लिए, जिनके "अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की अधिक संभावना है."

विश्व जनसंख्या दिवस (11 जुलाई) के कुछ दिनों बाद पीटीआई को दिए गए एक साक्षात्कार में यूएनएफपीए भारत के रेजिडेंट प्रतिनिधि वोजनार ने जनसंख्या के उन प्रमुख रुझानों को रेखांकित किया, जिन्हें भारत सतत विकास में तेजी लाने के लिए प्राथमिकता दे रहा है.
इन प्रवृत्तियों में युवा जनसंख्या, वृद्ध जनसंख्या, शहरीकरण, प्रवासन और जलवायु में होने वाला बदलाव शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक देश के लिए अद्वितीय चुनौतियां और अवसर प्रस्तुत करता है.
उन्होंने कहा कि 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की संख्या 2050 तक दोगुनी होकर 346 मिलियन यानी 34 करोड़ 60 लाख हो जाने का अनुमान है. इसलिए स्वास्थ्य देखभाल, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाने की अत्यधिक आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, " विशेषकर वृद्ध महिलाओं के लिए, जिनके अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की अधिक संभावना होती है."

यूएनएफपीए के भारत प्रमुख ने कहा कि भारत में युवा आबादी काफी अधिक है, जिसमें 10 से 19 वर्ष की आयु के 252 मिलियन लोग हैं. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी प्रशिक्षण और रोजगार सृजन में निवेश करने से इस जनसांख्यिकीय क्षमता को उजागर किया जा सकता है, तथा राष्ट्र को स्थायी प्रगति की ओर अग्रसर किया जा सकता है. वोज्नर ने कहा, "भारत में 2050 तक 50 प्रतिशत शहरी आबादी होने का अनुमान है, इसलिए स्मार्ट शहरों, मजबूत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास का निर्माण झुग्गी बस्तियों की वृद्धि, वायु प्रदूषण और पर्यावरणीय मुद्दों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है."

उन्होंने कहा, "शहरी योजनाओं में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और नौकरियों तक पहुंच की जरूरतों पर भी विचार किया जाना चाहिए, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जा सके और जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार हो सके."
उन्होंने ये भी कहा कि आंतरिक और बाह्य प्रवासन के प्रबंधन के लिए सावधानीपूर्वक योजना, कौशल विकास और आर्थिक अवसर वितरण की आवश्यकता होती है. संतुलित विकास के लिए प्रवासी या पीछे छूटी हुई महिलाओं के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि विकास योजनाओं में जलवायु लचीलेपन को शामिल करना और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करना महत्वपूर्ण है.

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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