
UNSC में लश्कर पर पाकिस्तान से तीखे सवाल, ना कोई बयान आया ना समर्थन
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में हुई बैठक में अमेरिका ने पाकिस्तान को लताड़ लगाई। इसके साथ ही चीन ने भी साथ नहीं दिया। बता दें पहलगाम मुद्दे पर मीटिंग हुई थी।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की सैन्य तैयारियों ने पाकिस्तान में गहरी बेचैनी पैदा कर दी है। जवाबी कार्रवाई के डर से पाकिस्तान इस कदर घबरा गया है कि उसने दुनिया के सामने अपनी "बेगुनाही" का दिखावा करने की कोशिश में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक क्लोज-डोर मीटिंग बुला ली। लेकिन यह दांव उल्टा पड़ गया और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंच पर जबरदस्त फजीहत हो गई। पाकिस्तान से सीधे सीधे सवाल पूछा गया कि पहलगाम के बैसरन घाटी आतंकी हमले में क्या लश्कर का भी हाथ था।
झूठ फैलाने की कोशिश, पर पोल खुल गई
बैठक के बाद पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार अहमद ने दावा किया कि उनका उद्देश्य पूरा हो गया है और इस मीटिंग में जम्मू-कश्मीर पर चर्चा हुई। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट थी। सूत्रों के अनुसार, इस बंद कमरे की बैठक में न केवल पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान से तीखे सवाल पूछे गए, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर भी उसे कटघरे में खड़ा किया गया।
बैठक के दौरान पाकिस्तान ने एक बार फिर तथाकथित "False Flag Operation" का नैरेटिव फैलाने की कोशिश की यानी भारत पर ही हमले का आरोप मढ़कर खुद को पीड़ित दिखाने का प्रयास। लेकिन UNSC के सदस्य देशों ने इस झूठे नैरेटिव को सिरे से खारिज कर दिया।
'दोस्त' चीन ने भी छोड़ा साथ
पाकिस्तान इस उम्मीद में था कि चीन उसका समर्थन करेगा, लेकिन इस बार चीन ने भी कोई खुला समर्थन नहीं दिया। इसके अलावा UNSC के स्थायी सदस्य अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन ने भी पाकिस्तान से तीखे सवाल किए और उसकी भूमिका पर संदेह जताया। पाकिस्तान की यह क्लोज डोर मीटिंग यानी बंद दरवाजे में बैठक उसकी अस्थायी सदस्यता के तहत ही बुलाई गई थी।
बैठक में न केवल आतंकवादी हमले की निंदा हुई, बल्कि धर्म पूछकर पर्यटकों को निशाना बनाए जाने जैसे मुद्दे भी गंभीरता से उठाए गए। कुछ देशों ने पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए मिसाइल परीक्षणों और परमाणु हथियारों की धमकी को भी भड़काऊ और अस्वीकार्य बताया।एक बार फिर पाकिस्तान ने कोशिश की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में हस्तक्षेप करे और भारत पर संयम बरतने का दबाव डाले। लेकिन बैठक में मौजूद सभी सदस्य देशों ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा करार दिया और किसी भी तरह की मध्यस्थता से इनकार कर दिया।
बैठक के बाद न तो कोई प्रस्ताव सामने आया और न ही किसी देश ने कोई आधिकारिक बयान दिया। इससे साफ हो गया कि पाकिस्तान के सारे प्रयास अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति बटोरने के लिए किए गए असफल प्रयास थे।संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हाल में भारत और पाकिस्तान दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की थी, जिसके बाद ही यह बैठक बुलाई गई थी। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान ने इस मीटिंग का दुरुपयोग करने की कोशिश की ताकि संभावित भारतीय सैन्य कार्रवाई को रोकने का दबाव बनाया जा सके।
संयुक्त राष्ट्र की यह बंद कमरे वाली बैठक पाकिस्तान के लिए कोई ठोस समर्थन नहीं ला सकी, बल्कि उसकी कमजोरियां और कूटनीतिक असफलताएं और उजागर कर गईं। दुनिया ने न केवल भारत की चिंता को गंभीरता से लिया, बल्कि पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंकवाद पर ढुलमुल रवैये को भी पहचान लिया।