
भारतीय रिसर्चर बदर खान सूरी को बड़ी राहत, नहीं होंगे निष्कासित, US कोर्ट ने बताया ‘ग़ैरकानूनी’
वकीलों का कहना है कि सूरी को अमेरिका में हमास के दुष्प्रचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और वह भी केवल इसलिए, क्योंकि उनकी पत्नी फिलिस्तीनी मूल की अमेरिकी नागरिक हैं.
अमेरिका के ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ वर्जिनिया कोर्ट के जज ने भारतीय शोधार्थी बदर खान सूरी को अमेरिका से निष्कासित करने से रोकते हुए अमेरिकी प्रशासन को आदेश दिया कि उसे फिलहाल अमेरिका में ही रहने दिया जाए. सूरी जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में एक शोधार्थी के रूप में कार्य कर रहे थे. उनको अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने इमीग्रेशन और नेशनलिटी एक्ट के तहत हिरासत में लिया था.
गिरफ्तारी और आरोप
सूरी को 17 मार्च 2025 को वर्जिनिया के रॉसलिन में उनके अपार्टमेंट के बाहर गिरफ्तार किया गया. उन पर "निर्वासन" का आरोप था और उन्हें लुइसियाना के एक डिटेंशन सेंटर में भेजा गया, जहां उनकी निर्वासन सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है. अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने आरोप लगाया कि सूरी "हम्मास प्रचार" फैला रहे थे और उनका संबंध एक फिलिस्तीनी समूह से था, जिसे अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया है. हालांकि, सूरी के वकील इन आरोपों को पूरी तरह नकारते हैं और इसे झूठा बताते हैं.
गिरफ्तारी ग़ैरकानूनी
सूरी के वकीलों ने उनकी गिरफ्तारी को "ग़ैरकानूनी" करार दिया है. उनका कहना है कि यह कार्रवाई डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीति के तहत की गई. जो गैर-नागरिकों को उनके परिवार के सदस्यों के आधार पर दंडित करने का प्रयास कर रहा है. वकील ने यह भी आरोप लगाया कि सूरी को उनके परिवार से 1,600 मील दूर भेजकर, उन्हें जानबूझकर अलग किया गया, ताकि उनका मानसिक उत्पीड़न किया जा सके.
पत्नी की फिलिस्तीनी पहचान
सूरी के वकील यह भी दावा कर रहे हैं कि सूरी की गिरफ्तारी का मुख्य कारण उनकी पत्नी माफ़ाज़ सलिह की फिलिस्तीनी पहचान है. माफ़ाज़ अमेरिकी नागरिक हैं और फिलिस्तीनी मूल की हैं. उनके पिता अहमद यूसुफ़ ने एक समय गाजा में राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम किया था. सूरी और माफ़ाज़ की मुलाकात 2010 में फिलिस्तीन में एक एकजुटता यात्रा के दौरान हुई थी.
जज का आदेश
गुरुवार को वर्जिनिया कोर्ट की जज पैट्रिशिया गाइल्स ने आदेश दिया कि सूरी को "अमेरिका से निष्कासित नहीं किया जाएगा, जब तक कि अदालत इसके विपरीत कोई आदेश न दे. सूरी पर अब तक कोई अपराध नहीं हुआ है और हिरासत के दौरान उन्हें किसी अपराध का आरोप भी नहीं लगाया गया है.
प्रतिक्रिया
सूरी के वकीलों ने कहा कि इस आदेश से सूरी को "पहली बार उचित कानूनी प्रक्रिया" मिली है, जबसे उन्हें उनके परिवार से अलग किया गया था. जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय ने भी सूरी का समर्थन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को सूरी द्वारा किसी अवैध गतिविधि में लिप्त होने का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
राजनीतिक विचारधारा
सूरी के वकील नेरमीन अरस्तू ने कहा कि ट्रंप प्रशासन इस प्रकार के मामलों में गैर-नागरिकों की बढ़ती जांच कर रहा है और यह मामला राजनीतिक विचारधाराओं के आधार पर गैर-नागरिकों के खिलाफ हो रहे अत्यधिक जांच का एक उदाहरण है. उन्होंने कहा कि सूरी का मामला एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा है, जिसमें गैर-नागरिकों को उनके राजनीतिक विचारों और संबद्धताओं के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है.
समर्थन
भारत में सूरी के दोस्तों ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से नकारा करते हुए कहा कि सूरी का किसी "रैडिकल विचारधारा" से कोई संबंध नहीं है. उनका कहना था कि सूरी कभी भी किसी फिलिस्तीनी संगठन से जुड़े नहीं थे और उनका हमेशा से एक तार्किक और शांति प्रिय दृष्टिकोण रहा है.
सूरी का शैक्षिक और शोध कार्य
सूरी ने गाजा विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और सूचना में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर भारत लौटकर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से शांति और संघर्ष अध्ययन में स्नातकोत्तर किया. उनका शोध मध्य-पूर्व और दक्षिण एशिया में शांति प्रक्रिया और संघर्षों के कारणों को समझने पर आधारित है. सूरी ने कई संघर्ष क्षेत्रों का अध्ययन किया है, जिनमें गाजा, पाकिस्तान, ईरान, तुर्की, सीरिया, लेबनान, मिस्र और फिलिस्तीन शामिल हैं. उनका वर्तमान शोध जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में धार्मिक विविधताओं वाले समाजों में सहयोग की बाधाओं पर केंद्रित है.
सूरी के दोस्त और सहयोगी उन्हें एक संवेदनशील और सोच-समझ कर काम करने वाले शोधार्थी के रूप में पहचानते हैं. जो शांति और संघर्ष के कारणों को समझने में गहरी रुचि रखते हैं. उनका कहना है कि सूरी का कोई भी विचारधारा से नकारात्मक संबंध नहीं है और वे किसी भी तरह के आतंकवादी संगठन से जुड़े नहीं हैं.