विदेशी छात्रों पर पाबंदी को लेकर हार्वर्ड को राहत, कोर्ट ने ट्रंप सरकार की कार्रवाई पर लगाई रोक
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विदेशी छात्रों पर पाबंदी को लेकर हार्वर्ड को राहत, कोर्ट ने ट्रंप सरकार की कार्रवाई पर लगाई रोक

Trump Administration: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अदालत में कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा SEVP के तहत उसकी मान्यता को रद्द करना, सरकार की ओर से हार्वर्ड को झुकाने की राजनीतिक साजिश है.


Harvard University: एक अमेरिकी फेडरल जज ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन द्वारा हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर लगाए गए उस बैन को अस्थायी रूप से रोक दिया है, जिसमें विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकित करने से रोका गया था. यह फैसला उस दिन आया, जब हार्वर्ड ने इस फैसले को अदालत में चुनौती दी थी. यूएस डिस्ट्रिक्ट जज एलिसन बरोस ने कहा कि यह बैन विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता और शैक्षणिक स्वायत्तता पर सीधा हमला है.

राजनीतिक बदले की कार्रवाई

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अदालत में कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम (SEVP) के तहत उसकी मान्यता को रद्द करना, सरकार की ओर से हार्वर्ड को झुकाने की राजनीतिक साजिश है. विश्वविद्यालय का तर्क है कि यह फैसला पहले संशोधन के तहत प्राप्त स्वतंत्रता के खिलाफ है. याचिका में कहा गया कि यह बैन हार्वर्ड द्वारा अपने पाठ्यक्रम, फैकल्टी और विचारधारा को नियंत्रित करने के सरकारी प्रयासों को अस्वीकार करने के कारण लगाया गया है.

7 हजार से ज्यादा छात्रों पर संकट

DHS (डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी) ने हार्वर्ड की विदेशी छात्रों को नामांकित करने की अनुमति रद्द कर दी थी, जिससे इन छात्रों को या तो दूसरे संस्थान में जाना पड़ता या अपना कानूनी स्टेटस गंवाने का खतरा होता. हार्वर्ड के मुताबिक, विश्वविद्यालय में 7,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र हैं, जो कुल नामांकन का लगभग 27 प्रतिशत हैं. हार्वर्ड के अध्यक्ष एलन गारबर ने छात्रों को आश्वासन देते हुए कहा कि आप हमारे साथी, मित्र, शिक्षक और सहकर्मी हैं. हम आपको पूरा समर्थन देंगे और सुनिश्चित करेंगे कि हार्वर्ड दुनिया के लिए खुला रहे.

सरकार की दलील

ट्रंप प्रशासन ने कहा कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों का विदेशी छात्रों को प्रवेश देना अधिकार नहीं, बल्कि विशेषाधिकार है. DHS की असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रिशा मैकलॉफलिन ने कहा कि यह मुकदमा राष्ट्रपति के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है. हार्वर्ड जैसी संस्थाएं विदेशों से ऊंची फीस लेकर करोड़ों की संपत्ति बनाती हैं. DHS सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने कहा कि विश्वविद्यालय ने विदेशी छात्रों के अनुशासनात्मक रिकॉर्ड सौंपने से इनकार कर दिया था, जो कि कानून के उल्लंघन की श्रेणी में आता है. हार्वर्ड ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि उसने जानकारी दी थी, लेकिन DHS ने उसे "अपर्याप्त" बताया.

शिक्षा जगत में नाराज़गी और आलोचना

इस कदम को लेकर हार्वर्ड के प्रोफेसर और पूर्व ओबामा प्रशासन अधिकारी जेसन फुर्मन ने कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह निर्णय हर स्तर पर गलत है. अंतरराष्ट्रीय छात्र हमारी शिक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा हैं. पूर्व हार्वर्ड अध्यक्ष और पूर्व अमेरिकी वित्त सचिव लॉरेंस समर्स ने कहा कि यह सीधी राजनीतिक प्रतिशोध है. सरकार की ताकत का दुरुपयोग करके शिक्षा संस्थान को निशाना बनाया जा रहा है.

शिक्षा पर हमला या राजनीतिक एजेंडा?

ट्रंप प्रशासन की यह कार्रवाई सिर्फ हार्वर्ड तक सीमित नहीं है. हाल के महीनों में प्रशासन ने कई विश्वविद्यालयों को उनके इजराइल-हमास युद्ध, विविधता कार्यक्रमों और विरोध प्रदर्शनों को लेकर निशाना बनाया है. इसके अलावा सरकार ने हार्वर्ड को मिलने वाली $2.65 अरब की फेडरल ग्रांट पर भी रोक लगा दी है और उसकी टैक्स छूट पर भी पुनर्विचार की योजना है. वहीं, हार्वर्ड ने चेतावनी दी है कि यह राजनीतिक दबाव अमेरिका की उच्च शिक्षा प्रणाली और उसकी वैश्विक साख को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है.

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