2020 की हार का ट्रंप ने ऐसे लिया बदला, डिबेट में क्यों लड़खड़ा गए बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में प्रेसिडेंशियल डिबेट अहम हिस्सा है. इसके जरिए रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों जनता को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं
US Presidential Debate: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप एक दूसरे के आमने सामने हैं. 2020 के चुनाव में अमेरिकी जनता ने ट्रंप के अमेरिका ग्रेट अगेन के नारे पर भरोसा नहीं किया और कमान बाइडेन के हाथ में सौंप दी. बाइडेन और ट्रंप दोनों की उम्र में अधिक फासला नहीं है हालांति बाइडेन बड़े हैं.इन दोनों के बीच पहले दौर का प्रेसिडेंशियल डिबेट हो चुकी है.यह डिबेट इसलिए अलग रही कि इसमें ऑडिएंस नहीं थी. यानी कि दोनों को अपनी अपनी बात कहते हुए अमेरिका की जनता को समझाना था कि कौन सबसे उम्दा कैंडिडेट है.
जब ट्रंप ने मार ली बाजी
डिबेट की अवधि 75 मिनट की थी. ट्रंप के सवालों का बाइडेन ने जवाब तो दिया लेकिन वो गर्मी नहीं थी.उम्र उन पर हावी लग रही थी. सीएनएन जो इस डिबेट को होस्ट कर रहा था उसने ट्रंप को विजेता घोषित तक दिया. अमेरिकी चुनाव पर नजर रखने वाले लोग कहते हैं कि बाइडेन खांस रहे थे वो ट्रंप के आरोपों का आक्रामक तरीके से जवाब नहीं दे पा रहे थे. उनके इस परफॉर्मेंस पर न्यूयॉर्क टाइम्स की टिप्पणी बेहद खास थी. पेपर के मुताबिक अब डेमोक्रेट्स भी बाइडेन की उम्मीदवारी पर सवाल उठा रहे हैं.एक तरफ ट्रंप और बाइडेन एक दूसरे पर बयानों के जरिए हमले कर रहे थे. तो दूसरी तरफ सीएनएन लोगों की राय ले रहा था. 67 फीसद लोगों ने जहां ट्रंप को विजयी माना वहीं 33 फीसद की नजर में बाइडेन को दूसरी बार कमान दी जा सकती है. यानी कि बाइडेन की लोकप्रियता ट्रंप की तुलना में कम हुई है.
उम्र का बाइडेन पर असर
प्रेसिडेंशियल डिबेट को देख रहे कुछ डेमोक्रेट्स ने तो यहां तक कहा कि अब बाइडेन को हटाने की जरूरत है. पार्टी के लिए जीत बेहद जरूरी है. लेकिन जो शख्स इस समय हम लोगों के सामने मौजूद है उसके जरिए तो जीत नहीं मिल सकती. बाइडेन के पूर्व सूचना सलाहकार भी मानते हैं कि यह डिबेट उनके लिए अच्छी नहीं रही. उनके सामने यह चुनौती थी कि उम्र भले ही 81 की हो लेकिन अभी भी उनमें अमेरिका के नेतृत्व करने की क्षमता है. लेकिन दुख की बात कि वो वैसा ना कर सके.अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के परिवार ने कहा कि इसमें शक नहीं कि जो बाइडेन में काबिलियत नहीं है. लेकिन जिस तरह से प्रेसिडेंशियल डिबेट में वो अपनी बात रखते हुए नजर आए उससे एक बात साफ है कि उससे दिल टूट गया. यह एक ऐसा मौका था जब वो रिपब्लिकन उम्मीदवार को मुंहतोड़ जवाब दे सकते थे. लेकिन वो बेहतर नहीं कर सके.