अगर ऐसा हुआ तो 1988 के बाद इतिहास रच देंगी कमला हैरिस, जानें- कैसे
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अगर ऐसा हुआ तो 1988 के बाद इतिहास रच देंगी कमला हैरिस, जानें- कैसे

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एच डब्ल्यू बुश ऐसे कार्यकारी उपराष्ट्रपति रहे जो प्रेसिडेंट बनने में कामयाब रहे। कमला हैरिस के सामने चुनौती और अवसर दोनों है।


Kamala Harris Presidential Election: श्राप, अभिशाप, वरदान का नाता सिर्फ भारत की जमीन से नहीं जुड़ा है। इसका नाता दुनिया के सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका से भी है। अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होना है और यह साफ हो जाएगा कि कमान डोनाल्ड ट्रंप के या कमला हैरिस के हाथ में होगी। कमला हैरिस से पहले जो बाइडेन चुनावी मैदान में थे। लेकिन पहले प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद ट्रंप ने ऐसा हमला किया कि डेमोक्रेट्स को उनके नाम से पीछे हटना पड़ गया। यहां हम बात करेंगे कमला हैरिस की जो मौजूदा समय में उप राष्ट्रपति भी हैं। अगर वो राष्ट्रपति पद के लिए चुनी जाती है तो 1836 के बाद वो करिश्मा करने वाली दूसरी उपराष्ट्रपति होंगी। 1836 के बाद 1988 में एच डब्ल्यू बुश ऐसे उप राष्ट्रपति थे जो प्रेसिडेंट बनने में कामयाब रहे। इससे पहले 1960 में रिचर्ड निक्सन, 1968 में हबर्ट हंफ्रे, साल 2000 में अल गोर ने उपराष्ट्रपति रहते हुए राष्ट्रपति चुनाव के लिए ताल ठोंकी लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी।

1988 में बुश को मिली थी कामयाबी
अमेरिकी सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि कमवा हैरिस की कामयाबी में दो अहम कारण प्रभाव डालेंगे। पहला तो मौजूदा राष्ट्रपति की लोकप्रियता और दूसरी वजह उनका जो बिडेन से बेहतर संबंध होना। इस तरह के बेहतर रिश्ते से कमला हैरिस की लड़ाई आसान हो जाएगी। 1988 में बुश ने अमेरिका की मजबूत अर्थव्यवस्था, शीतयुद्ध में कमी प्रेसिडेंट रोनाल्ड रीगन की लोकप्रियकका, इरान कंट्रा स्कैंडल को बखूबी अपने पक्ष में भुनाया था। इसके अलावा उनकी रोनाल्ड रीगन से कभी टकराव नहीं रहा। रीगन ने जिस तरह से पब्लिक और रिपबल्किन के कंवेंश्न में बुश की तारीफ की थी। उससे रिपब्लिकन समर्थकों में जोश का संचार हुआ और बुश माइकल डुकाकिस को चुनाव हराने में कामयाब हुए।

उपराष्ट्रपति रहते गोर को नहीं मिली कामयाबी
अन्य उप राष्ट्रपतियों के लिए, चुनौतियां स्पष्ट तौर पर नजर आ रही थीं। साल 2000 में गोर ने आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के लिए उच्च अनुमोदन रेटिंग के अनुकूल माहौल में चुनाव लड़ा। लेकिन, क्लिंटन के महाभियोग और व्यक्तिगत घोटाले के नतीजों ने उनके रिश्ते को खराब कर दिया, जिससे गोर ने खुद को राष्ट्रपति से दूर कर लिया। क्लिंटन की विरासत को अपनाने में उनकी अनिच्छा को करीबी मुकाबले वाले चुनाव में एक गलत कदम के रूप में देखा गया।

1960 में निक्सन के सामने आई चुनौती
1960 में चुनाव लड़ने वाले निक्सन को राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर के साथ अपने संबंधों को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आइजनहावर की लोकप्रियता के बावजूद उनके जटिल रिश्ते, अतीत के तनावों और निक्सन की अपनी राह खुद तय करने की इच्छा ने निक्सन के अभियान में बाधा डाली। इसी तरह हम्फ्रे के 1968 के अभियान पर राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन के अलोकप्रिय वियतनाम युद्ध के रुख के साथ उनके जुड़ाव का असर पड़ा जिससे निक्सन को मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा।

हैरिस के लिए चुनौती-मौका दोनों
हैरिस इस समय अलग तरह की चुनौती का सामना कर रही हैं। वह राष्ट्रपति जो बिडेन की जगह लेना चाहती हैं, जिन्होंने 1968 में जॉनसन की तरह ही चुनाव चक्र के अंत में एक और कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने का फैसला किया था। हैरिस ने जल्दी ही डेमोक्रेटिक नामांकन प्राप्त कर लिया और प्रमुख पार्टी विभाजन के बिना समर्थन को मजबूत किया जो हम्फ्रे को नहीं मिल सका था। हालांकि बिडेन की अनुमोदन रेटिंग कम रही है, जो उनके 2024 के रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रम्प के समान है। बिडेन जिन्होंने राष्ट्रपति बनने से पहले उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया उन्होंने सार्वजनिक रूप से हैरिस का समर्थन किया है और उनके अभियान में अपनी भागीदारी का वादा किया है। वह एक महत्वपूर्ण स्विंग राज्य पेंसिल्वेनिया में लेबर डे कार्यक्रम में हैरिस के साथ दिखाई भी देने वाले हैं जो राष्ट्रपति पद के लिए उनकी उनकी प्रतिबद्धता का संकेत देता है। हैरिस का अभियान यह परीक्षण करेगा कि क्या इतिहास को फिर से लिखा जा सकता है, क्योंकि उनका लक्ष्य आधुनिक इतिहास में उपराष्ट्रपति से सीधे राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली दूसरी उपराष्ट्रपति बनना है।

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