एक फीसद मार्जिन पाटने की लड़ाई, ट्रंप ने आखिरी क्षण में निकाला तरकश से तीर
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एक फीसद मार्जिन पाटने की लड़ाई, ट्रंप ने आखिरी क्षण में निकाला तरकश से तीर

अमेरिकी राष्ट्र्पति चुनाव अब अपने अंतिम चरण में है। सत्ता ट्रंप के या हैरिस के हाथ होगी। इन सबके बीच सात स्विंग स्टेट्स पर हर किसी की नजर है।


US Presidential Elections 2024: दुनिया का सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश अमेरिका है। यहां 47वां राष्ट्रपति चुनने के लिए करोड़ों लोग आज से पांच दिन बाद यानी पांच नवंबर को मतदान करेंगे...मुकाबला डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। इस चुनाव की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। अमेरिका का अगला राष्ट्रपति ट्रंप बनेंगे या हैरिस, इसे हर कोई जानना चाहता है। हालांकि, अब तक के सर्वे, रेटिंग और रुझान यही बता रहे हैं कि दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला कांटे का है। टक्कर बहुत करीबी हो गई है। फाइट नेक टू नेक है। राज्यों में एक दूसरे से लीड का जो अंतर था वह सिकुड़ गया है। यानी चुनाव प्रचार के इस अंतिम दौर में मतदाताओं को अपनी तरफ रिझाने वाले उम्मीदवार के हाथ जीत की बाजी लगेगी इसे देखते हुए कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वोटरों के दिल और दिमाग में अपनी छाप छोड़ने के लिए वे ताबड़तोड़ रैलियां और तीखे जुबानी हमले कर रहे हैं।

अब स्विंग स्टेट हुए खास
हर वर्ग, अमेरिकी और गैर-अमेरिकी सभी तरह के मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने का मौका कोई भी अपने हाथ से जाने नहीं दे रहा। उम्मीदवारों के समर्थन में सेलेब्रिटीज ने अपनी लामबंदी तेज कर दी है। जेनिफर लोपेज, अर्नोल्ड श्वेजनागर ने अपने समर्थकों से हैरिस को वोट करने की अपील की है तो स्पेस लिजेंड बज एल्ड्रिन ने ट्रंप पर भरोसा जताया है। बहरहाल, चुनावी जंग हर मोर्चे पर लड़ी जा रही है। व्हाइट हाउस में पहुंचने की दौड़ लगा रहे उम्मीदवारों का अब पूरा फोकस उन सात बैटल ग्राउंड या स्विंग स्टेट्स पर हो गया है जहां के मतदाताओं का फैसला दोनों उम्मीदवारों की जीत और हार तय करेगा। ये सात राज्य हैं अरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, नेवादा, नॉर्थ कैरोलिना, पेन्सिलवेनिया और विस्कॉन्सिन इन राज्यों को जीतने के लिए दोनों उम्मीदवार रात-दिन एक किए हुए हैं। ये सात राज्य चुनौती भरे इसलिए हैं क्योंकि इन राज्यों के मतदाताओं के बारे में कुछ साफ साफ नहीं कहा जा सकता है कि इनका मत किसे जाएगा। इनके बारे में कहा जाता है कि ये जिस भी पाले में खड़े हो जाएं उसका पलड़ा भारी कर देते हैं।
खासकर इन राज्यों के हिस्पैनिक, लैटिनो और एशियाई मूल के मतदाताओं को लुभाया जा रहा है...इन सात राज्यों के इलेक्टोरल वोटों की अगर बात करें तो अरिजोना में इलेक्टोरल वोट्स की संख्या 11, जॉर्जिया में 16, मिशिगन में 15, नेवादा में 6, नॉर्थ कैरोलिना में 16, पेन्सिलवेनिया में 19 और विस्कॉन्सिन में 10 हैं..यानी इन सात राज्यों में इलेक्टोरल वोटों की कुल संख्या 93 है जो जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम से होता है...इसमें लोग 538 इलेक्टर्स को चुनते हैं और जिस उम्मीदवार को 270 इलेक्टर्स का समर्थन मिल जाता है वही अगला राष्ट्रपति बनता है। हर राज्य के इलेक्टर्स की संख्या उस राज्य की आबादी से तय होती है इसलिए हर राज्य के इलेक्टोरल कॉलेज के वोट की संख्या भी अलग-अलग है। ये सात राज्य तो निर्णायक हैं ही...बाकी राज्य के इलेक्टोरल वोटों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता...परंपरागत रूप से किसी एक पार्टी का समर्थन करने वाले राज्य अपने समर्थन से कई बार चौंका भी देते हैं...
क्या कहते हैं सर्वे
पूरे अमेरिका में मतदाताओं का क्या मूड है। इसे जानने के लिए दो ताजा सर्वे सामने आए हैं। इन दोनों ही सर्वे में ट्रंप और हैरिस के बीच क्लोज फाइट यानी कांटे का मुकाबला बताया गया है। यानी जीत का पलड़ा किस ओर झुकेगा यह अंतिम समय में ही तय हो पाएगा। इस ताजा सर्वे ने उम्मीदवारों से लेकर मतदाताओं दोनों की धड़कनें तेज कर दी हैं। तीव्र चुनाव प्रचार के साथ-साथ अर्ली वोटिंग भी चल रही है। बुधवार तक करीब 6 करोड़ लोग मेल या मतदान केंद्रों पर जाकर अपना वोट दे चुके हैं। प्रचार के साथ-साथ वोटिंग का चलना अमेरिकी लोकतंत्र की खूबसूरती है।
बुधवार को जारी फॉक्स पोल के सर्वे की अगर बात करें तो दो बैटलग्राउंड स्टेट्स पेन्सिलवेनिया और नॉर्थ कैरोलिना में ट्रंप कमला से एक प्वाइंट से आगे हैं। मिशिगन में दोनों उम्मीदवार बराबरी पर हैं। ऐसे में अब चार बैटलग्राउंड स्टेट्स अरिजोना, नेवादा, जॉर्जिया और विस्कॉन्सिन में कांटे की टक्कर बनी हुई है। सीएनएन पोल के मुताबकि पेन्सिलवेनिया में दोनों उम्मीदवार 48 प्वाइंट्स के साथ बराबरी पर हैं..जबकि हैरिस विस्कॉन्सिन में ट्रंप से छह प्वाइंट और मिसिशन में पांच प्वाइंट आगे हैं। सीबीएस न्यूज पोल ने कहा है कि पेन्सिलवेनिया में ट्रंप और हैरिस दोनों 49 प्वाइंट पर हैं। अमेरिका में सभी बड़े चुनावों पर नजर रखने वाले रियल क्लियर पॉलिटिक्स ने नेशनल लेवल के सर्वे मेंट्रंप की हैरिस पर 0.4 फीसद की बढ़त दिखाई है..जबकि बैटलग्राउंड स्टेट्स में यह बढ़त करीब एक फीसद है। ट्रंप के लिए राहत वाली बात यह भी है कि सट्टा बाजार में भी वह आगे हैं। सट्टा बाजार ट्रंप की रेटिंग 63.1 और हैरिस की 35.8 बताई गई है।
भारतीय मूल के वोटर्स का रुख
ये तो हुई बैटल ग्राउंड स्टेट्स और सर्वे की बात। अब बात भारतीय मूल के उन अमेरिकी मतदाताओं की जो इस चुनाव में वोटिंग का हिस्सा हैं। आबादी की अगर बात करें तो अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की संख्या 50 लाख से थोड़ा ज्यादा है और इनमें से करीब आधा वोट डालने के योग्य हैं। यह संख्या कम जरूर लगती है लेकिन अन्य प्रवासी एवं गैर-अमेरिकी वोटरों की तुलना में भारतीय अमेरिकी राजनीतिक रूप से ज्यादा सक्रिय हैं। खासकर स्विंग स्टेट्स में इनका रुझान दूसरे मतदाताओं को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। रिसर्च फर्म एएपीआई डाटा के मुताबिक, अमेरिका में पिछले दो राष्ट्रपति चुनाव के दौरान श्वेत मतदाताओं की तुलना में एशियाई अमेरिकियों के बीच भारतीय अमेरिकी मतदाताओं ने सबसे ज्यादा मतदान किया। इसके अनुसार साल 2020 में 71 फीसदी भारतीय अमेरिकियों ने वोट दिया था ये साल 2016 के मुकाबले नौ फीसदी अथिक था।
रविवार को जारी कार्नेगी एंडोमेंट फ़ॉर इंटरनेशनल पीस एंड यूगव सर्वे के मुताबिक 61 फीसदी रजिस्टर्ड भारतीय अमेरिकी मतदाताओं की योजना इस बार हैरिस के लिए मतदान करने की है, जबकि 32 फीसदी मतदाताओं की इच्छा ट्रंप के लिए मतदान करने की है। हालिया सर्वे में भारतीय अमेरिकियों का झुकाव ट्रंप और रिपब्लिकन की ओर देखने को मिला है। इसी सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 60 फीसदी से ज़्यादा भारतीय अमेरिकी महिलाएं हैरिस के लिए वोट करना चाहती हैं, जबकि 50 फीसदी भारतीय अमेरिकी पुरुषों का कहना है कि वे ट्रंप को वोट करेंगे बहरहाल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव रोचक और दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। अमेरिकी चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर इसलिए भी है क्योंकि यहां के चुनाव नतीजे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सत्ता समीकरणों और जियोपॉलिटिक्स को प्रभावित करेंगे।
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