भारत ही नहीं दुनिया के लिए अहम है अमेरिकी चुनाव, अब तक का सटीक विश्लेषण
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भारत ही नहीं दुनिया के लिए अहम है अमेरिकी चुनाव, अब तक का सटीक विश्लेषण

अमेरिका में डंका डोनाल्ड ट्रम्प का बजेगा या कमला हैरिस सर्वोच्च गद्दी पर आसीन होंगी। इस सवाल का जवाब कुछ दिनों में मिल जाएगा। लेकिन चुनाव के मूल में क्या है उसे समझेंगे।


US Presidential Elections 2024: वैसे तो अमेरिका अपने लिए अगला राष्ट्रपति चुनने जा रहा है। लेकिन उसके असर से कोई भी देश अछूता नहीं रहता है। ऐसे में बाजी डोनाल्ड ट्रंप( Donald Trump Republican Candidate) के हाथ लगेगी या कमला हैरिस को कामयाबी मिलेगी इस पर सबकी नजर है। अमेरिका में कौन से मुद्दे सुर्खियों में है कौन किस पर किस हद तक भारी पड़ रहा है उसे हम भारत के चश्मे से समझने की कोशिश करेंगे। टॉकिंग सेंस विद श्रीनी के ताजा एपिसोड में द फेडरल के एडिटर-इन-चीफ एस श्रीनिवासन ने आगामी अमेरिकी चुनावों के महत्व पर बात की, खासकर भारत के संदर्भ में। चर्चा में व्हाइट हाउस में बदलाव से भारतीय हितों पर संभावित प्रभाव, ट्रम्प की संरक्षणवादी नीतियां और कमला हैरिस(Kamala Harris Democrats Candidate) की उदारवादी सोच का विश्लेषण शामिल है।

अमेरिकी चुनाव भारत के लिए क्यों मायने रखते हैं?

अमेरिकी चुनाव(US Election 2024) के परिणाम भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं, विशेषकर आव्रजन और व्यापार के संदर्भ में। ट्रम्प का आव्रजन पर सख्त रुख (Donald Trump immigration Policy), उन लाखों भारतीय छात्रों और पेशेवरों के लिए जटिलताएं पैदा कर सकता है जो अमेरिका में अवसर खोजते हैं। हालिया डेटा के अनुसार, 2023 में भारतीय छात्रों को 1,40,000 से अधिक छात्र वीजा जारी किए गए थे, जो अमेरिका को उच्च शिक्षा के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनाता है। ट्रम्प की संरक्षणवादी सोच के कारण ऐसी संभावनाओं में रुकावट आ सकती है, जिससे भारतीय छात्रों और पेशेवरों की अमेरिका में पहुँच सीमित हो सकती है।

हाल के वर्षों में, भारत ने अपने ऐतिहासिक गुट-निरपेक्ष रुख से हटते हुए अमेरिका के साथ सामरिक रूप से करीबियाँ बढ़ाई हैं। श्रीनिवासन का मानना है कि अमेरिका के लिए व्यापार, प्रौद्योगिकी और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार है। नए टैरिफ या भारतीय वस्तुओं पर प्राथमिकता संबंधी सुविधाओं में बदलाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।

ट्रम्प का संरक्षणवाद बनाम हैरिस का बहुपक्षीय रुख

यदि ट्रम्प प्रशासन आता है तो एक आत्म-केन्द्रित संरक्षणवादी व्यापार नीति सामने आ सकती है। पहले भी ट्रम्प ने भारत को व्यापार में दी जाने वाली प्राथमिकता रोकी थी, जिससे हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल जैसी वस्तुओं के आयात पर विवाद उत्पन्न हुआ था। व्यापार में इस प्रकार की अनिश्चितता नए टैरिफ लागू कर सकती है, जिससे भारत की आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।

वहीं, कमला हैरिस (Kamala Harris Democrats) और डेमोक्रेटिक पार्टी बहुपक्षीय सहयोग का समर्थन करती है और मानवाधिकार मुद्दों को महत्व देती है, जिसमें कश्मीर जैसे संवेदनशील विषय शामिल हो सकते हैं। यदि हैरिस नेतृत्व संभालती हैं, तो लोकतांत्रिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों के मुद्दों पर जोर दिया जा सकता है, जो भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव ला सकता है। श्रीनिवासन ने यह भी बताया कि चाहे जो भी प्रशासन सत्ता में आए, भारत हर हाल में अमेरिका के साथ अपने संबंधों को सुदृढ़ करने की ओर अग्रसर रहेगा।

वैश्विक संघर्षों पर प्रभाव

वर्तमान में यूक्रेन-रूस( Russia Ukraine war) और इजरायल-फिलिस्तीन )के दो प्रमुख संघर्ष भी अमेरिकी विदेश नीति पर प्रभाव डालते हैं। ट्रम्प और हैरिस ने इन पर अलग-अलग रुख अपनाया है। हैरिस यूरोपीय हितों के साथ तालमेल रखते हुए यूक्रेन का समर्थन करती हैं और युद्ध को जल्द समाप्त करने का प्रयास कर सकती हैं। जबकि ट्रम्प का रुख अलग हो सकता है, जो रूस के पक्ष को मजबूत कर सकता है।

इजरायल-फिलिस्तीन(Israel Palestine issue) मुद्दे पर, जहा अमेरिकी प्रशासन द्वारा इजरायल को समर्थन मिलता है, हैरिस मानवीय सहायता और संघर्ष समाधान को प्रोत्साहित कर सकती हैं। ट्रम्प के कार्यकाल में इजरायल को समर्थन का प्रतीक, अमेरिकी दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करना रहा है। श्रीनिवासन का मानना है कि डेमोक्रेट इस क्षेत्र की जटिलताओं पर अधिक संवेदनशील रुख अपना सकते हैं, जबकि ट्रम्प का दृष्टिकोण सीधा लेकिन विभाजनकारी हो सकता है।

चीन और अर्थव्यवस्था

श्रीनिवासन ने बताया कि चीन अमेरिका के दोनों दलों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। ट्रम्प एक आक्रामक रुख अपनाते हुए चीन पर और अधिक टैरिफ लगाने के लिए तैयार हैं। वहीं, हैरिस का दृष्टिकोण कम टकरावपूर्ण हो सकता है, लेकिन वे अमेरिकी आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हुए चीन पर नजर रखेंगी। यह “हॉकिश” रुख चुनाव परिणामों के बावजूद जारी रहेगा।

मीडिया समर्थन और लोकतांत्रिक अखंडता

अमेरिकी राजनीति में मीडिया समर्थन का भूमिका जटिल और विवादास्पद है। श्रीनिवासन ने बताया कि न्यू यॉर्क टाइम्स और वॉशिंगटन पोस्ट जैसे प्रतिष्ठित अमेरिकी मीडिया संगठनों ने उम्मीदवारों को समर्थन देने की परंपरा बनाए रखी है, जो भारत में आम नहीं है। हाल ही में, कुछ मीडिया हाउस ने किसी भी उम्मीदवार का समर्थन न करने का निर्णय लिया है, जिसे श्रीनिवासन राजनीतिक प्रतिक्रिया के डर से जोड़कर देखते हैं। अंत में अमेरिकी चुनाव भारत और व्यापक विश्व के लिए महत्वपूर्ण दांव रखता है। आव्रजन, व्यापार नीतियों (USA Trade Policies) और विदेशी संबंधों में संभावित बदलावों के साथ, भारत को अमेरिका-भारत संबंधों में विकासशील परिवर्तनों के अनुकूल रहना होगा।

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