
'एकतरफा दबदबा बढ़ रहा है', चीन ने अमेरिका पर साधा निशाना
चीन के विदेश मंत्री वांग यी और जयशंकर की मुलाक़ात में अमेरिका पर निशाना साधा। भारत-चीन रिश्तों को सहयोग, सम्मान और साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाक़ात के दौरान अमेरिका पर अप्रत्यक्ष निशाना साधते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य तेज़ी से बदल रहा है, जहाँ “एकतरफा दबदबा बढ़ता जा रहा है” और मुक्त व्यापार तथा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है।
शिन्हुआ समाचार एजेंसी के हवाले से वांग ने कहा— “आज की दुनिया में हालात तेज़ी से बदल रहे हैं, एकतरफा दबाव की नीतियाँ आम हो गई हैं और मुक्त व्यापार व अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था गंभीर ख़तरों से जूझ रही है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका और भारत के रिश्तों में तनाव गहराया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत का प्रतिशोधी टैरिफ लगाया है, जिससे कुल अमेरिकी शुल्क दर 50 प्रतिशत तक पहुँच गई है।
भारत-चीन रिश्तों में सकारात्मक संकेत
वांग ने जयशंकर से कहा कि भारत-चीन संबंध सहयोग की ओर लौटते हुए सकारात्मक रुझान दिखा रहे हैं। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से पिछले चार वर्षों में रिश्तों में आई गिरावट, विशेषकर गलवान झड़प और पूर्वी लद्दाख में सैन्य तनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि दोनों देशों को अतीत से सबक सीखना चाहिए।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह वर्ष भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है।
रणनीतिक दृष्टिकोण सुधारने की ज़रूरत
वांग ने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी या ख़तरे के रूप में देखने की बजाय रणनीतिक धारणाओं को सुधारना चाहिए और एक-दूसरे को साझेदार और अवसर के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि पड़ोसी बड़े देशों को आपसी सम्मान और विश्वास के साथ जीने के सही रास्ते तलाशने चाहिए, साझा विकास करना चाहिए और विन-विन सहयोग हासिल करना चाहिए।
'भारत के साथ मिलकर काम करने को तैयार'
वांग ने कहा कि चीन मैत्री, ईमानदारी, पारस्परिक लाभ और समावेशिता के सिद्धांतों को मानकर भारत सहित पड़ोसी देशों के साथ मिलकर शांति, सुरक्षा, समृद्धि और सहयोग पर आधारित साझा भविष्य का निर्माण करना चाहता है।
उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों को आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए, एक ही दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, बाधाओं को दूर करना चाहिए और सहयोग को बढ़ाना चाहिए ताकि द्विपक्षीय संबंधों में आया सकारात्मक रुझान और मजबूत हो सके।वांग के अनुसार, इस सहयोग से एशिया और पूरी दुनिया को स्थिरता और निश्चितता मिलेगी, साथ ही भारत और चीन जैसी प्राचीन सभ्यताओं के पुनर्जागरण की प्रक्रिया एक-दूसरे के लिए लाभकारी होगी।
रिश्तों को मज़बूत करने पर सहमति
रिपोर्ट के मुताबिक, जयशंकर और वांग की बातचीत के बाद दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों की गति बनाए रखने पर सहमति जताई।वांग की यह यात्रा इस बात का हिस्सा मानी जा रही है कि 2020 की गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद तनावपूर्ण हुए रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने के लिए दोनों पड़ोसी प्रयासरत हैं।