WHO-यूनिसेफ ने कहा- भारत में 16 लाख बच्चों को नहीं मिली कोई वैक्सीन, सरकार ने दिया ये जवाब
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WHO-यूनिसेफ ने कहा- भारत में 16 लाख बच्चों को नहीं मिली कोई वैक्सीन, सरकार ने दिया ये जवाब

विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ ने अपने एक डेटा में कहा है कि भारत में 16 लाख बच्चों को साल 2023 में कोई टीका (वैक्सीन) नहीं मिला है और वे शून्य खुराक वाली श्रेणी में आते हैं.


WHO UNICEF Vaccination Data: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ द्वारा जारी एक डेटा में दिखाया गया कि भारत में 16 लाख बच्चों को साल 2023 में कोई टीका (वैक्सीन) नहीं मिला है और वे शून्य खुराक वाली श्रेणी में आते हैं. इस संख्या का मतलब है कि भारत में दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा बच्चे हैं, जिन्हें साल 2023 में कोई टीका नहीं मिला. इस सूची में नाइजीरिया 21 लाख शून्य खुराक वाले बच्चों के साथ सबसे ऊपर है. वहीं, भारत के बाद अन्य देश इथियोपिया, कांगो, सूडान और इंडोनेशिया हैं.

शून्य खुराक का मतलब

WHO द्वारा परिभाषित शून्य खुराक वाले बच्चे वे हैं, जिनके पास नियमित टीकाकरण (वैक्सीनेशन) सेवाओं तक पहुंच नहीं है या वे कभी नहीं पहुंच पाते हैं. भारत इन शून्य खुराक वाले बच्चों तक पहुंचने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है.

भारत की प्रतिक्रिया

इस तुलना को त्रुटिपूर्ण बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ के अनुमानों ने भारत की जनसंख्या को ध्यान में नहीं रखा है, जो कई देशों की तुलना में कई गुना अधिक है. जबकि बच्चों के टीकाकरण के आंकड़ों की तुलना 19 अन्य देशों से की गई है. सूत्रों ने कहा कि भले ही भारत में दुनिया में दूसरे सबसे अधिक (संख्या में) शून्य खुराक वाले बच्चे हैं. लेकिन यह आंकड़ा देश की कुल आबादी का केवल 0.11 प्रतिशत है. एक सूत्र ने कहा कि तुलना त्रुटिपूर्ण है. क्योंकि आधार जनसंख्या को ध्यान में नहीं रखा गया है. इसके अलावा, शून्य खुराक वाले बच्चों की संख्या के आधार पर रैंक किए गए देशों में, ROSA, 2021-2023, भारत 1,592,000 शून्य खुराक वाले बच्चों के साथ आठ देशों में पहले स्थान पर था.

भारत की रैंक में सुधार

हालांकि, WUENIC के आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2021 से भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है. जब देश ने वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक 27.3 लाख शून्य खुराक वाले बच्चों को दर्ज किया था.

टीकाकरण में भारत किन क्षेत्रों में आगे

सूत्रों ने कहा कि भारत का एंटीजन-वार कवरेज साल 2023 के लिए सभी एंटीजन के लिए विश्व औसत से बेहतर है.भारत का डीपीटी 1 (डिप्थीरिया-टेटनस-पर्टुसिस वैक्सीन), शून्य खुराक के लिए प्रॉक्सी, 93 प्रतिशत है. जबकि वैश्विक औसत 89 प्रतिशत है. इस प्रकार भारत दुनिया से 4 प्रतिशत बेहतर है. इसके अलावा भारत का डीपीटी 3, कम टीकाकरण के लिए एक प्रॉक्सी, 91 प्रतिशत है. जबकि, वैश्विक औसत 84 प्रतिशत है. इस प्रकार भारत दुनिया से 7 प्रतिशत बेहतर है. इसके अलावा भारत का MCV1 (खसरा शून्य खुराक) 92 प्रतिशत है. जबकि, वैश्विक औसत 83 प्रतिशत है. इस प्रकार भारत दुनिया से 10 प्रतिशत बेहतर है.

भारत का प्रयास

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एक विशेष जीरो-डोज़ योजना बनाई गई है और इसे लागू किया जा रहा है.

किन देशों को प्राथमिकता

WUENIC डेटा में भारत के बाद इथियोपिया, कांगो, सूडान, इंडोनेशिया, यमन, अफ़गानिस्तान, अंगोला, पाकिस्तान, सोमालिया, वियतनाम, मेडागास्कर, मैक्सिको, दक्षिण अफ़्रीका, माली, DPRK, चीन, गिनी और म्यांमार हैं. इन 20 देशों को टीकाकरण एजेंडा 2030 (IA2030) के संदर्भ में प्राथमिकता दी गई थी, (टीकों के जीवन रक्षक प्रभाव को अधिकतम करने की एक महत्वाकांक्षी वैश्विक रणनीति, जो अगर पूरी तरह से लागू की जाती है तो अगले दशक में 50 मिलियन लोगों की जान बचाएगी) 2021 में जीरो-डोज़ बच्चों की संख्या के आधार पर. शीर्ष 20 जीरो-डोज़ देशों की सूची में चीन 18वें स्थान पर है. जबकि पाकिस्तान 10वें स्थान पर है.

दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को WHO का संदेश

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के देशों से सभी स्तरों पर प्रयासों को और मजबूत करने का आह्वान किया है, जिसमें उप-राष्ट्रीय स्तर पर अनुकूलित दृष्टिकोण के साथ, टीकाकरण से वंचित और कम टीकाकरण वाले बच्चों की पहचान करना और उनका टीकाकरण करना शामिल है. WHO दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा कि हमें यह पता लगाने की आवश्यकता है कि ये बच्चे कहां और क्यों छूट गए हैं और जल्द से जल्द उन तक पहुंचने को प्राथमिकता दें. जब इन घातक बीमारियों से बचाने के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके मौजूद हैं तो किसी भी बच्चे को टीके से रोके जा सकने वाली बीमारी के कारण बीमार नहीं पड़ना चाहिए या मरना नहीं चाहिए.

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