लोन राइट ऑफ में सबने दिखाई दरियादिली, सरकारी बैंक भी नहीं रहे पीछे

Loan Write off: लोन को बट्टे खाते में डालने पर जमकर सियासत होती रही है। इन सबके बीच संसद में सरकार की तरफ से इस विषय पर अहम जानकारी दी गई है।;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-12-16 05:49 GMT

Loan Write Off News:  केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगता है कि वो अमीरों के कर्जे को माफ कर रही है। कुछ लोगों का फायदा पहुंचाने का काम साल 2014 से चल रहा है। इन सबके बीच यह जानकारी सामने आई है कि पब्लिक सेक्टर बैंक ने वित्त वर्ष 2015 से लेकर वित्त वर्ष 24 तक 12.3 लाख करोड़ को बट्टे खाते में डाला है। यहां बता दें कि इस बट्टे खाते को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष अलग अलग तरीके से व्याख्या करता है। मसलन विपक्ष की नजर में कर्जमाफी तो सत्ता पक्ष की नजर में कर्जनाफी नहीं। वित्त वर्ष 2019 में राइट ऑफ 2.4 लाख करोड़ के सबसे ऊंचे स्तर पर था। जबकि वित्त वर्ष 2024 में यह 1.7 लाख करोड़ था। इस राइट ऑफ के बाद भी बैंक रिकवरी (Bank Recovery) का प्रयास कर रहे हैं। इसे माफ नहीं किया गया है।

सदन को दिए गए जवाब में सरकार ने कहा कि वित्त वर्ष 15 से लेकर वित्त वर्ष 2024 तक कुल 12.3 लाख करोड़ राइट ऑफ किया गया है जिसमें सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020-24 के दौरान 53 फीसद यानी 6.5 लाख करोड़ की है। 2020-24 के दौरान एसबीआई (SBI) ने 146652 लाख करोड़,पीएनबी ने (PNB) 82449, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank Of India) ने 82323, बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda)ने 77177, बैंक ऑफ इंडिया (Bank Of India) ने 45467 लाख करोड़ राइट ऑफ किए हैं।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी (MoS Finance Pankaj Chaudhary) ने कहा कि आरबीआई (RBI Data) के आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 3,16,331 करोड़ रुपये और 1,34,339 करोड़ रुपये था। इसके अलावा, बकाया ऋणों के प्रतिशत के रूप में सकल एनपीए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3.01% और निजी क्षेत्र के बैंकों में 1.86% था। एसबीआई, जो बैंकिंग गतिविधि का लगभग पाँचवाँ हिस्सा है, ने इस अवधि के दौरान 2 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाले। पंजाब नेशनल बैंक ने राष्ट्रीयकृत बैंकों में 94,702 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले गए।

क्या होता है राइट ऑफ

चालू वित्त वर्ष के दौरान सितंबर के अंत तक पीएसयू बैंकों () ने 42,000 करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले हैं, जबकि इससे पहले के पांच वर्षों में यह आंकड़ा 6.5 लाख करोड़ रुपये था। पीएसबी राइट-ऑफ पर प्रश्न का उत्तर देते हुए चौधरी ने कहा: "बैंक आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंकों के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार, चार साल पूरे होने पर पूर्ण प्रावधान किए गए एनपीए को राइट-ऑफ करते हैं। इस तरह के राइट-ऑफ से उधारकर्ताओं की देनदारियों की माफी नहीं होती है और इसलिए, इससे उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता है और बैंक इन खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखते हैं।

वसूली के तरीकों में सिविल अदालतों या ऋण वसूली न्यायाधिकरणों में मुकदमा दायर करना, वित्तीय संपत्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 के तहत कार्रवाई, दिवाला और दिवालियापन संहिता, 2016 के तहत राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में बातचीत के जरिए समझौता/समझौता के जरिए मामले दर्ज करना और एनपीए की बिक्री शामिल है। भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 24 में 1.41 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक कुल शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार द्वारा समर्थित था, जिसमें सितंबर 2024 में सकल एनपीए अनुपात घटकर 3.12% हो गया। 2024-25 की पहली छमाही में, पीएसबी ने 85,520 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया।

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