2026 में कहां तक जाएगा सोना? इस साल 60% उछाल और 50 से ज्यादा ऑल-टाइम हाई
2025 में सोने की कीमत भू-राजनीतिक जोखिमों, कमजोर डॉलर और सुरक्षित निवेश की मजबूत मांग के कारण 60% से अधिक बढ़ गई। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि 2026 में सोने का रुख तीन संभावित स्थितियों मध्यम रूप से तेज़ी, तेज़ तेज़ी, या मंदी पर निर्भर करेगा।
2025 में सोने ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया—कीमतें 60% से ज्यादा बढ़ीं और 50 से अधिक बार ऑल-टाइम हाई बनाया। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, इस उछाल के पीछे भू-राजनीतिक तनाव, कमजोर डॉलर और सुरक्षित निवेश के रूप में बढ़ती मांग सबसे बड़ी वजह रहीं।
2026 में सोने का रुझान वैश्विक विकास, फेड की नीतियों और निवेशकों के व्यवहार पर निर्भर करेगा। WGC के मुताबिक, अगले साल सोने की कीमतें तीन संभावित रास्तों पर जा सकती हैं—मॉडरेट बुलिश, स्ट्रॉन्ग बुलिश या बेयरिश।
2025 का रिकॉर्ड, 2026 के लिए मंच तैयार करता है
2025 में सोने की कीमतें वैश्विक अनिश्चितता, कमजोर डॉलर और मजबूत मोमेंटम की वजह से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचीं। निवेशकों और केंद्रीय बैंकों दोनों ने सोने को सुरक्षित विकल्प मानते हुए खरीदारी बढ़ाई।
2026 में भी वैश्विक अनिश्चितता जारी रहने के आसार हैं, और सोने की कीमतें मैक्रोइकॉनॉमिक संकेतों के अनुरूप चल सकती हैं। WGC के अनुसार, अभी का माहौल एक व्यापक रेंजबाउंड वर्ष की ओर इशारा करता है—लेकिन अनपेक्षित घटनाएँ रुझान बदल सकती हैं।
परिदृश्य 1: शैलो स्लिप — हल्का लेकिन सकारात्मक
WGC के अनुसार, बाजार को आशंका है कि वैश्विक आर्थिक गति, खासकर अमेरिका में, धीमी पड़ सकती है। AI सेक्टर में उत्साह कम होने, कॉरपोरेट कमाई कमजोर रहने और श्रम बाजार नरम पड़ने से आर्थिक मंदी के संकेत मिल सकते हैं।
ऐसी स्थिति में फेड अपेक्षा से अधिक ब्याज दरें घटा सकता है। कम ब्याज दरें, कमजोर डॉलर और भू-राजनीतिक तनाव सोने के लिए अनुकूल माहौल बनाते हैं।
इस परिदृश्य में WGC का अनुमान है कि 2026 में सोना 5% से 15% तक बढ़ सकता है।
परिदृश्य 2: डूम लूप — तेज़ी से बुलिश
यह ज्यादा चरम स्थिति है—भू-राजनीतिक संकट, व्यापार तनाव, क्षेत्रीय संघर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था को धीमा कर सकते हैं। निवेश और खपत दोनों कम होते हैं, जिससे “डूम लूप” बनता है। ऐसे माहौल में फेड आक्रामक दर कटौती कर सकता है, बॉन्ड यील्ड नीचे जा सकती है और निवेशक सोने की ओर तेजी से मुड़ सकते हैं।
WGC के अनुसार, इस स्थिति में सोना 2026 में 15% से 30% तक उछल सकता है।
परिदृश्य 3: रीफ्लेशन रिटर्न — सोने के लिए कमजोर साल
यह स्थिति तब बनेगी जब ट्रंप प्रशासन की नीतियाँ मजबूत विकास दें, महंगाई दोबारा बढ़ और फेड को दरें रोकनी या बढ़ानी पड़ें। उच्च ब्याज दरें और मजबूत डॉलर सोने की मांग घटाएँगे।
निवेशक सोने से हटकर अधिक रिटर्न वाले एसेट्स में जा सकते हैं। इस परिदृश्य में WGC का अनुमान है कि सोना 5% से 20% तक गिर सकता है।
सोने की कीमतों पर असर डालने वाले अन्य कारक
1. केंद्रीय बैंकों की मांग
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सोना अभी भी रिज़र्व का महत्वपूर्ण विकल्प है।
तनाव बढ़ने पर खरीदारी बढ़ सकती है, लेकिन यदि खरीद कोविड-पूर्व स्तर से नीचे गई तो कीमतों पर दबाव पड़ सकता है।
2. गोल्ड रीसाइक्लिंग
उच्च कीमतों के बावजूद रीसाइक्लिंग कम है क्योंकि भारत जैसे देशों में सोना लोन कोलैटरल की तरह इस्तेमाल हो रहा है।
अगर अर्थव्यवस्था बिगड़ी, तो जबरन बिकवाली से सप्लाई बढ़ सकती है और कीमतों पर दबाव आ सकता है।
2026 में सोना पूरी तरह वैश्विक अनिश्चितता और आर्थिक नीतियों से संचालित होगा। मध्यम या तेज़ बुलिश स्थिति तब बनेगी जब विकास नरम रहा और फेड ढीली नीति अपनाए। बेयरिश स्थिति तब आएगी जब अमेरिकी वृद्धि मजबूत रहे और डॉलर चढ़े।
कुल मिलाकर, सोना अब भी विविधीकरण और जोखिम-सुरक्षा का पसंदीदा विकल्प बना रहेगा, और निवेश वृद्धि की गुंजाइश दिखती रहेगी।