'नौकरी योजना' या कॉरपोरेट सब्सिडी? ELI स्कीम पर उठे सवाल
ELI योजना दिखने में आकर्षक लग सकती है, लेकिन जब तक बुनियादी चुनौतियां हल नहीं होंगी, तब तक यह योजना केवल राजनीतिक दावेदारी की तरह ही लंबी चलेगी।;
केंद्र सरकार ने Employment Linked Incentive (ELI) Scheme को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत अगले दो सालों में विशेषकर औद्योगिक क्षेत्र में 35 मिलियन नौकरियां सृजित करने का दावा किया गया है। इस योजना से कर्मचारियों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ नहीं होगा, बल्कि यह नियोक्ताओं की EPF योगदान और मजदूरी सब्सिडी के रूप में काम करेगी।
सवाल खड़े हो रहे हैं?
एक कर्मचारी जो वर्तमान में ₹1 लाख पर वेतन पाता है, उसे ₹15,000 वार्षिक बोनस क्यों? औद्योगिक न्यूनतम वेतन ₹3.5 लाख तक होता है — तब ₹12 लाख वेतन वर्ग को लक्ष्य क्यों? सरकारी EPF योगदान कानून के अनुसार ऐसा सब्सिडी देना उचित है? जब तक रोजगार स्थायी नहीं है, तब तक चार साल सब्सिडी का मकसद क्या?
सब्सिडी की क्यों जरूरत?
2023‑24 की आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि भारतीय कंपनियां लाभ में तैर रही हैं। Nifty500 कंपनियों के मुनाफे चार वर्षों में 4X बढ़े हैं, जबकि कैश रिजर्व सितंबर 2024 तक ₹14.3 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। मतलब साफ है कि India Inc निवेश नहीं कर रही, बल्कि पैसा जमा कर रही है।
पूर्व की सब्सिडी योजनाएं
PMRPY (2018-22) और ABRY (2020‑24) जैसी योजनाओं में EPF योगदान के लिए कंपनियों को भारी सब्सिडी दी गई, लेकिन नई नौकरियां नहीं जुड़ीं। EPFO के डेटा के अनुसार. नए EPF सदस्य FY19: 13.9 मिलियन → FY25: 11.4 मिलियन हैं। कुल EPF पंजीकृत कर्मियों की संख्या FY19: 6.1 मिलियन → FY25: 12.98 मिलियन (FY24 में 13.1 मिला)। यानी कि नौकरी बढ़ने के बजाय घट रही हैं।
EPF नियमों का उल्लंघन
EPF अधिनियम 1952 के अनुसार, EPF योगदान न करने पर एक वर्ष की जेल एवं जुर्माना हो सकता है। सरकार जब कमजोर नियोक्ताओं को EPF सब्सिडी देती है तो यह अपराध को प्रोत्साहित करने जैसा है।
औद्योगिक जगत का सच
मुद्रास्फीति ठीक हो सकती है, लेकिन खपत (Consumption) घट रही है। औद्योगिक क्षेत्र में क्षमता प्रयोग केवल 74.4% है — 25% क्षमता बेमतलब खराब चल रही। मैन्युफैक्चरिंग का हिस्सा GVA (2012‑25): 17.4% → 13.9%। Industrial growth औद्योगिक IIP की औसत वृद्धि केवल 3.3%, जबकि GDP वैश्विक रूप से 6–7% तक बढ़ रही।