वैश्विक व्यापार समीकरण में बदलाव, भारत के सामने नई चुनौतियां
फिलहाल, सारा ध्यान 15 अगस्त को यूक्रेन शांति समझौते के लिए ट्रंप-पुतिन की बैठक पर है, जिसके सकारात्मक परिणाम से भारत पर टैरिफ का बोझ कम हो सकता है।;
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 6 अगस्त को रूस से तेल आयात के लिए भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा के बाद, जो 27 अगस्त से लागू होगी (पहला 25% शुल्क 7 अगस्त से लागू हो चुका है), भारत में कूटनीतिक और आर्थिक हलचल तेज हो गई है। अगले ही दिन, ट्रंप ने 25 अगस्त को होने वाली छठी दौर की व्यापार वार्ता रद्द कर दी। भारतीय अधिकारियों ने पुष्टि की कि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यात्रा पर फिलहाल विराम लग गया है।
यूक्रेन युद्ध-टैरिफ़ पर तेज कूटनीतिक गतिविधि
8 अगस्त को ट्रंप ने घोषणा की कि वे 15 अगस्त को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन शांति वार्ता करेंगे। यह कदम उन्होंने भारत के जरिए रूस पर निशाना साधने के ठीक बाद उठाया। रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) ने प्रतिबंध लगाए हैं।
इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच बातचीत हुई। मोदी ने X पर पोस्ट कर कहा कि दोनों ने भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी" को और गहरा करने का संकल्प दोहराया और वे इस साल के अंत में पुतिन की मेज़बानी करेंगे। रूस ने भारत का समर्थन करते हुए कहा “संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार है।”
7 अगस्त को मोदी ने अमेरिकी कृषि आयात के लिए बाज़ार खोलने से इंकार किया। 6 अगस्त को, विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने “राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा” की रक्षा करेगा—इसी दिन रॉयटर्स ने एक वरिष्ठ अधिकारी का हवाला देते हुए कहा कि यह संकट उच्चस्तरीय सलाहकारों के गलत आकलन और कुप्रबंधन का नतीजा है।
ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा ने भी मोदी से बात की और एकतरफा शुल्कों के विरोध में बहुपक्षवाद की रक्षा पर ज़ोर दिया। ब्राज़ील पर 50% अमेरिकी शुल्क इसलिए लगाया गया है क्योंकि उसने ट्रंप के मित्र और पूर्व राष्ट्रपति जाइर बोल्सोनारो के ख़िलाफ़ मुक़दमे को बंद करने से इनकार किया।
क्या भारत ने ट्रंप के लिए रणनीति बदली?
लूला के खुलासे और रूस के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी पर दोबारा ज़ोर ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या भारत की रणनीति बदल रही है। पहले भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि भारत चुप रहेगा, दबाव में नहीं झुकेगा और साल के अंत में होने वाले अमेरिकी प्रतिनिधि सभा चुनाव तक समय बिताएगा।
यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप का शुल्क BRICS पर भी लागू होगा या नहीं, जबकि रूस, चीन, भारत और ब्राज़ील सभी BRICS के सदस्य हैं। ट्रंप कई बार BRICS के साझा मुद्रा बनाने के प्रयासों पर नाराज़गी जता चुके हैं।
मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, 2025 की पहली छमाही में ट्रंप की सत्ता में वापसी के बाद अमेरिकी डॉलर का मूल्य 11% गिरा 50 साल में सबसे बड़ी गिरावट। BRICS के 10 सदस्य देशों का वैश्विक GDP में 37.3%, वैश्विक निर्यात में 40% और कच्चे तेल उत्पादन में 40% हिस्सा है।
ट्रंप की दोहरी नीति
ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल व्यापार के लिए 25% पेनल्टी शुल्क लगाया, जबकि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक और रसायन आयात करता है। EU का रूस के साथ व्यापार भारत से कई गुना ज़्यादा है, फिर भी ट्रंप ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। चीन रूस से भारत से भी ज़्यादा तेल आयात करता है, लेकिन ट्रंप ने उस पर शुल्क घटाकर 30% कर दिया क्योंकि चीन ने अमेरिका को दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी।
भारत में आर्थिक दबाव
Apple और कुछ छूट प्राप्त क्षेत्रों को छोड़कर, ज्यादातर भारतीय निर्यातक 50% अमेरिकी शुल्क से प्रभावित होकर ‘स्टैंडबाय मोड’ में हैं। वॉलमार्ट, अमेज़न, टार्गेट और गैप जैसे प्रमुख अमेरिकी रिटेलर्स ने ऑर्डर रोक दिए हैं। सरकार एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन को तेज़ी से लागू करने में जुटी है और राहत पैकेज तैयार कर रही है, लेकिन ट्रंप के प्रहार से बचने के उपाय सीमित हैं।
शेयर बाज़ार में गिरावट आई,निफ़्टी50 और सेंसेक्स 1.8% गिरे, रुपया 0.6% कमजोर हुआ, और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अगस्त के पहले छह दिनों में $1.56 अरब की निकासी की। निवेश बैंकरों का अनुमान है कि यदि यह शुल्क एक साल तक जारी रहा, तो भारत की GDP वृद्धि 0.4 से 1 प्रतिशत अंक तक घट सकती है।