EU ने नयारा एनर्जी रिफाइनरी पर लगाए प्रतिबंध, भारत ने जताई कड़ी आपत्ति
नयारा रिफाइनरी पर लगे प्रतिबंध भारत-रूस-EU के बीच ऊर्जा, आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चों पर टकराव की दिशा में एक बड़ा कदम हैं. भारत ने स्पष्ट संदेश दे दिया हैे कि ऊर्जा व्यापार में ‘दोहरे मापदंड’ स्वीकार्य नहीं हैं.;
Nayara Energy Refinery: गुजरात के वडिनार स्थित नयारा एनर्जी की रिफाइनरी पर पहली बार पश्चिमी प्रतिबंध लगाए गए हैं. शुक्रवार को यूरोपीय संघ (EU) ने रूसी तेल निर्यात पर नए प्रतिबंधों की घोषणा की, जिसका मकसद मॉस्को को फाइनेंशियल चोट पहुंचाना है. EU की विदेश नीति प्रमुख काया कालास ने कहा कि हम पहली बार भारत की सबसे बड़ी रॉसनेफ्ट-स्वामित्व वाली रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.
भारत ने जताई आपत्ति
भारत ने EU के कदम की कड़ी निंदा की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम किसी भी एकतरफा प्रतिबंध के पक्ष में नहीं हैं. ऊर्जा सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. विशेष रूप से ऊर्जा व्यापार में किसी के लिए ‘दोहरे मानदंड’ स्वीकार्य नहीं हैं.
ऊर्जा व्यापार पर असर
रूस से खरीदे गए तेल पर $60 प्रति बैरल मूल्य सीमा कम करना, EU के बाहर के देशों को तेल खरीदने, शिपिंग और इंश्योरेंस की सुविधाएं देने पर रोक, 400 टैंकरों में से 223 जहाज़ों पर प्रतिबंध, जिनमें 105 की हाल में नयी सूचीबद्धता शामिल है. इनसे रूस की गोपनीय तेल रफ़्ती* और मूल्य सीमा पार करना चुनौतीपूर्ण हो जाएगा.
नयारा रिफाइनरी की स्थिति
साल 2017 में Essar Oil से नयारा को $12.9 बिलियन में खरीदा गया था. इसमें रॉसनेफ्ट के साथ ट्रैफिगुरा और UCP भी शामिल थे. रॉसनेफ्ट की हिस्सेदारी 49.1% है. रिफाइनरी की वार्षिक क्षमता 2 करोड़ टन है. घरेलू बिक्री सीमित है—केवल 6,750 पेट्रोल पंप—इसलिए यह यूरोप और अफ्रीका पर निर्भर है.
रूसी तेल से बनी उत्पादों पर प्रतिबंध के बाद रिफाइनरी के यूरोपीय और अफ्रीकी बाजार पर असर पड़ सकता है. यह ऑपरेशनों को नुकसान, रोजगार संकट और लाभों की वापसी (profit repatriation) को भी लगभग असंभव बना देगा.
रॉसनेफ्ट की हिस्सेदारी बिक्री रुकी
रॉसनेफ्ट पहले ही रिलायंस इंडस्ट्रीज़ से बातचीत में था. लेकिन 20 अरब डॉलर (करीब ₹1.6 लाख करोड़) की मांग की वजह से सौदा अटक गया था. अब नए EU प्रतिबंधों ने उस सौदे को और कठिन बना दिया है.
प्राइस कैप में बदलाव
पूर्व समय में EU द्वारा निर्धारित मूल्य सीमा अब नयी दरों के आधार पर संशोधित की जा रही है. क्योंकि हालिया कम तेल कीमतों ने पुराने कैप को अप्रभावी बना दिया था.