भारत की ऊर्जा कूटनीति: रूस-यूक्रेन संकट के बीच रणनीतिक संतुलन
India Russia oil imports: भारत अपनी ऊर्जा खरीद में रणनीतिक संतुलन बनाकर, आर्थिक हितों और विदेश नीति दोनों को ध्यान में रखते हुए काम कर रहा है. रूस-यूक्रेन संकट और अमेरिका के दबाव के बीच यह नीति भारत की विदेश नीति में परिपक्वता और आत्मनिर्भरता का परिचायक है.
India energy diplomacy: भारत की विदेश नीति दशकों से रणनीतिक स्वायत्तता और बहुपक्षीय सहयोग की नींव पर आधारित रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व में बढ़ते ध्रुवीकरण के बीच यह नीति और भी अधिक स्पष्ट हो गई है. हाल ही में रूस से तेल आयात को लेकर उठे सवालों ने भारत की ऊर्जा कूटनीति को नई दिशा दी है.
ट्रंप को करारा जवाब
हाल ही में व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से तेल आयात बंद करने का वादा किया है. ट्रंप ने कहा कि यह प्रक्रिया चल रही है, लेकिन समय लगेगा. हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया और कहा कि ऐसा कोई टेलीफोनिक संवाद हुआ ही नहीं. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा आयात नीति देशहित और उपभोक्ताओं की जरूरतों पर आधारित है, न कि किसी बाहरी दबाव पर.
भारत की ऊर्जा नीति में संतुलन
भारत ने अमेरिका के साथ जारी व्यापार वार्ताओं के दौरान रूस से तेल खरीद पर अमेरिकी दबाव भी झेला है. अमेरिकी वार्ताकारों ने कहा है कि रूस से तेल की खरीद कम करना भारत की टैरिफ दर कम करने और व्यापार समझौता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि ऊर्जा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा चल रही है, लेकिन भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखेगा.
तेल की आपूर्ति में विविधता
भारत ने रूस से तेल की खरीद में धीरे-धीरे विविधता लानी शुरू कर दी है, क्योंकि रूस के तेल पर मिलने वाले डिस्काउंट कम हुए हैं. भारत ने अमेरिका से भी तेल की खरीद बढ़ाई है और भविष्य में इसे जारी रखने की संभावना है. यह रणनीति भारत की परिपक्व और आत्मनिर्भर विदेश नीति को दर्शाती है, जो अमेरिका, रूस और अन्य ऊर्जा साझेदारों के साथ संतुलन बनाए रखती है.
भारत का तेल आयात और रूस की हिस्सेदारी
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है. भारत अपने कच्चे तेल की लगभग 87% जरूरत आयात करता है, जिसकी मात्रा करीब 5.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन है. पारंपरिक तौर पर भारत ने दो-तिहाई तेल मध्य पूर्व के देशों से खरीदा है. फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए और भारत ने रूस से छूट वाले तेल की खरीद शुरू की. 2019-20 में रूस का तेल आयात में मात्र 1.7% हिस्सा था, जो 2023-24 में बढ़कर 40% हो गया. वित्त वर्ष 2025 में भारत ने 88 मिलियन टन तेल रूस से आयात किया, जो कुल आयात का बड़ा हिस्सा है.
क्या भारत रूस से तेल आयात कम कर रहा है?
कुछ भारतीय रिफाइनर रूस से तेल आयात कम करने की तैयारी में हैं. हालांकि, सरकार ने अभी तक खरीद बंद करने का कोई आदेश नहीं दिया है. रूस के कच्चे तेल का विशेष उपयोग भारतीय रिफाइनिंग सिस्टम के लिए फायदेमंद है. तत्काल रूस से तेल खरीद बंद करना संभव नहीं, क्योंकि तेल की डिलीवरी 4-6 सप्ताह पहले के अनुबंधों के आधार पर होती है.
अमेरिका से तेल खरीद बढ़ाने की योजना
भारत अमेरिका से तेल आयात बढ़ाने की क्षमता रखता है, लेकिन इसमें 4-5 लाख बैरल प्रतिदिन की ही बढ़ोतरी संभव है. अमेरिकी कच्चे तेल की कुछ लॉजिस्टिक और आर्थिक बाधाएं हैं, लेकिन भारत निरंतर विविधता लाने का प्रयास कर रहा है. हाल ही में भारत ने एक्सॉन मोबिल से दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना का कच्चा तेल भी खरीदा है, जो दिसंबर 2025 या जनवरी 2026 में डिलीवर होगा.