भारतीय आईटी कंपनियां दबाव में, HIRE बिल और एआई ने बढ़ाई अनिश्चितता

भारतीय आईटी सेक्टर मुनाफे में गिरावट और अमेरिकी HIRE बिल के दबाव में है। एआई नई उम्मीद है, मगर रणनीति बदलना कंपनियों के लिए जरूरी होगा।;

Update: 2025-09-11 04:05 GMT
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भारत का 250 अरब डॉलर का आईटी सर्विस उद्योग इस समय धीमी गिरावट के दौर से गुजर रहा है। 2021–22 में जहां डबल-डिजिट की रफ्तार से ग्रोथ हो रही थी, वहीं अब यह महज़ 1–3 फीसदी तक सिमट गई है। इन्फोसिस की रफ्तार लगभग ठहर सी गई है, जबकि विप्रो और टेक महिंद्रा जैसे दिग्गज कंपनियों की ग्रोथ निगेटिव है। नई डील्स के बड़े-बड़े दावे तो हैं, मगर मुनाफे की दर लगातार घट रही है।

अब एक और अनिश्चितता अमेरिका से आ रही है यूएस HIRE बिल। यह प्रस्तावित कानून भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में काम करना और मुश्किल बना सकता है। अमेरिका भारतीय आईटी सेक्टर का सबसे बड़ा बाजार है।

HIRE बिल 2025 क्या है?

यह बिल अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए काम करने वाले विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने वाली कंपनियों पर 25% टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखता है। इसका उद्देश्य स्थानीय वर्कफोर्स प्रोग्राम्स को फंड करना है। भारत जैसे देशों के लिए, जिनका आईटी सेक्टर अमेरिकी आउटसोर्सिंग पर निर्भर है, यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है।

मुनाफे पर दबाव

नॉर्थ अमेरिका से आधे से ज्यादा राजस्व कमाने वाली भारतीय कंपनियों के लिए यह खतरे की घंटी है। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष तीन कंपनियों के EBIT मार्जिन (यानी ब्याज और टैक्स से पहले का मुनाफा) पिछले साल की तुलना में गिर गए हैं। वेतन स्थगन और सब-कॉन्ट्रैक्टर कटौती जैसे उपाय अब थक चुके हैं।बड़े कॉन्ट्रैक्ट्स की घोषणाएं देखने में तो आकर्षक लगती हैं, लेकिन इनमें से कई केवल एक वेंडर को दूसरे से बदलने तक ही सीमित हैं। ऐसे मामलों में ग्राहक तो लाभान्वित होते हैं, पर उद्योग की ग्रोथ ठहर जाती है।

मल्टीनेशनल कंपनियों की इनसोर्सिंग

एक और समस्या यह है कि बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां धीरे-धीरे काम वापस अपने घर ला रही हैं। ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) अब तेजी से बढ़ रहे हैं। HSBC और सिटी जैसे बैंक अपने टेक्नोलॉजी सेंटर्स का विस्तार कर रहे हैं। इससे आउटसोर्सिंग कंपनियों की कमाई और घट रही है।

ट्रेड, टैरिफ और एआई

इसके ऊपर से अमेरिकी प्रशासन की टैरिफ नीतियों और स्वास्थ्य सेवा सुधारों ने अनिश्चितता और बढ़ा दी है। ऐसे में पूरा सेक्टर एआई को एक जीवनरेखा के तौर पर देख रहा है। हालांकि, कोटक का मानना है कि आने वाले कुछ वर्षों तक एआई भी चुनौती पेश करेगा। ग्राहक पहले लागत घटाने और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर जोर देंगे, फिर नई एआई-आधारित सेवाओं में निवेश करेंगे।

एक आईटी कंपनी के वाइस प्रेसीडेंट के शब्दों में, “हम नए कॉन्ट्रैक्ट्स की होड़ में केवल जगह बदल रहे हैं। मुनाफे पर दबाव है और इंडस्ट्री वहीं की वहीं खड़ी है।

भविष्य की उम्मीद

नैसकॉम–मैकिंजी की रिपोर्ट बताती है कि अगले 5 वर्षों में भारतीय टेक सेक्टर की औसत ग्रोथ भले ही 5–7% रहे, लेकिन डेटा और एआई सेक्टर 12–15% की ग्रोथ बनाए रख सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एजेंटिक एआई (Agentic AI) नामक नया क्षेत्र 300–500 अरब डॉलर का बाजार खड़ा कर सकता है।

नैसकॉम अध्यक्ष राजेश नाम्बियार का कहना है, भविष्य मानव विशेषज्ञता और एआई ऑटोमेशन के मेल से बनेगा। वहीं मैकिंजी के वरिष्ठ पार्टनर नॉशिर काका का स्पष्ट मत है कि “यह सेक्टर वादों और दबावों के दौर में है। एआई नए अवसर खोल रहा है, लेकिन इसके लिए ऑपरेटिंग मॉडल में बड़ा बदलाव करना होगा। भारतीय आईटी सेक्टर एक कठिन मोड़ पर खड़ा है। HIRE बिल, मुनाफे की गिरावट और एआई के संक्रमण काल में कंपनियों को अपनी रणनीति नए सिरे से गढ़नी होगी।

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