गिर रहा है भारत का शेयर बाज़ार कहीं चीन तो नहीं बना रहा शिकार !

भारत का शेयर बाज़ार पिछले एक सप्ताह से लगातार गिरावट के गोते लगा रहा है, इस बीच कुछ विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाज़ार से पैसा निकाल कर चीन के बाज़ार में निवेश कर रहे हैं, इसके पीछे चीन का एक प्रोत्साहन पैकेज है.

Update: 2024-10-07 11:48 GMT

Indian Stock Market : भारत का शेयर बाज़ार पिछले एक हफ्ते से गिरावट के घेरे गोते लगा रहा है. आलम ये है कि पिछले 6 दिनों की बात की जाए तो निवेशकों के 20 लाख करोड़ रूपये डूब चुके हैं, जिसकी वजह से निवेशकों में उथल पुथल मची हुई है. अगर आज यानि 7 अक्टूबर सोमवार की बात करें तो दिन की शुरात तेजी के साथ जरुर हुई लेकिन दिन बढ़ने के साथ साथ शेयर बाज़ार फिर से गिरावट के गोते लगाने लगा और सेंसेक्स 800 अंक गिर गया जबकि निफ्टी 230 अंक से अधिक गिर गया. इस बीच जो प्रमुख चीज़ देखने को मिली है, वो ये कि भारतीय बाज़ार के इस हाल को देखते हुए विदेशी निवेशक यहाँ से पैसा निकाल कर चीन के बाज़ार में निवेश कर रहे हैं. जो कहीं न कहीं इस बात को लेकर संदेह पैदा करता है कि भारतीय शेयर बाज़ार की इस गिरावट के पीछे कहीं चीन का कोई हाथ तो नहीं.


चीन ने जारी किया प्रोत्साहन पैकेज
चीन की बात करें तो बीते लम्बे समय से मार्किट में मंदी का मुँह ताक रहे चीन ने अपनी इकॉनमी में जान फूंकने के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की है. इसी वजह से वैश्विक ब्रोकरेज फर्म CLSA ने भारतीय इक्विटी में अपना निवेश का हिस्सा घटाकर चीन में निवेश बढ़ाया है. CLSA के अनुसार भारत के ओवरवेट को 20% से घटाकर 10% करते हुए चीन को 5% ओवरवेट किया गया है. CLSA ने अपने इस कदम के पीछे तीन कारणों का ज़िक्र किया है. पहला तेल की कीमत, दूसरा आईपीओ में तेजी और तीसरा खुदरा निवेशकों की जल्दबाजी या कहें कि मुनाफा कमाने की भूख शामिल है.

निवेश के बाद भी चीन पर है संदेह
चीन द्वारा दिए जा रहे प्रोतसाहन पैकेज के चलते बेशक विदेशी निवेशकों ने चीन का रुख किया है लेकिन इसके बावजूद निवेशकों को चीन पर भरोसा नहीं है. यही वजह है कि सभी विदेशी निवेशक चीन की तरफ आकर्षित नहीं हुए हैं. लगभग 2-3 साल के खराब प्रदर्शन के बाद चीन के शेयर बाजारों में तेजी लौट आई है. पिछले हफ्ते निफ्टी में 4.5% की गिरावट आई और एफआईआई ने भारत में 40,500 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे. लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी विदेशी निवेशक चीन का ही रुख कर रहे हैं. इनवेस्को, जेपी मॉर्गन, एचएसबीसी और नोमुरा जैसे बड़े ग्लोबल निवेशक ऐसे हैं जिन्हें चीन की सरकार के वादों पर भरोसा नहीं है.
इन्वेसको के मुख्य निवेश अधिकारी रेमंड मा का कहना है कि चीन के बाज़ार की बात करें तो ये शार्ट टर्म में आकर्षक प्रतीत होते हैं लेकिन अंत में लोग बुनियादी विषयों पर ही वापस लौटेंगे. वहीँ फ्लोरिडा स्थित GQG पार्टनर्स ने चीन के बाज़ार में दिख रही तेजी की तुलना गैस के गुब्बारे से की है, जो आकाश में ऊंचाई की तरफ बढ़ता जाता है और फिर बाद में फुस्स हो जाता है. कुछ ऐसा ही हाल 2022 के अंत में चीन में महामारी से जुड़ी पांबदियां खत्म होने के बाद देखने को मिला था, लेकिन कुछ ही दिन में बाज़ार की तेजी खत्म हो गयी थी.


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