रैलियों में भगदड़ का बोझ जनता के सिर, आयोजक नहीं कराते बीमा
permission देने के समय बीमा अनिवार्य किया जाए। सार्वजनिक आयोजन के लिए बीमा को कानूनी आवश्यकता बताया जाए, जैसे पुलिस क्लीयरेन्स और अग्नि सुरक्षा जांचें होती हैं।
अभिनेता‑राजनेता विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक घायल हुए हैं। इस दर्दनाक घटना ने भारत में मुआवज़ा और सार्वजनिक आयोजनों के लिए बीमा (insurance) की ज़रूरत पर गहरी बहस छेड़ दी है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मृतकों के परिजनों को 10‑10 लाख रुपये और घायल लोगों को 1‑1 लाख रुपये देने की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मृत परिवारों को 2‑2 लाख रुपये प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से और घायल व्यक्तियों को ₹50,000 देने की घोषणा की। टीवीके प्रमुख विजय ने भी मृतकों के परिजनों को 20 लाख रुपये और घायल लोगों को ₹2 लाख देने की घोषणा की।
आयोजकों ने क्यों नहीं कराया बीमा?
मृत्यु‑दु:ख और राजनीतिक आरोप‑प्रत्यारोप के बीच एक महत्वपूर्ण सवाल सामने आया है: जब बीमा कंपनियां कहती हैं कि किसी भी बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए बीमा सहजता से उपलब्ध होता है तो आयोजकों ने यह कदम क्यों नहीं उठाया?
भारत में आयोजनों के लिए बीमा बाजार की स्थिति
पिछले दस वर्षों में भारत में बड़े‑बड़े कॉन्सर्ट्स, धार्मिक आयोजनों, मेले‑त्योहारों, कॉलेज‑फेस्टिवल्स और शादियों जैसे आयोजनों के लिए इवेंट बीमा (event insurance) आम हो गया है। OrientaI Insurance जैसी कंपनियों का कहना है कि अब उनकी पॉलिसी में “क्रिकेट मैच, गणेश पंडाल, खुले मैदान में सम्मेलन, शादी‑फोटोग्राफ़ी आदि सहित कई तरह के आयोजनों को कवर किया जाता है। बीमा पॉलिसी में आमतौर पर जनता की ज़िम्मेदारी (public liability) शामिल होती है, जो मौत या स्थायी विकलांगता की स्थिति में लाभ देती है। पॉलिसी राशि ₹5 करोड़ से लेकर ₹150 करोड़ तक हो सकती है।
बीमा कंपनियों की भूमिका और प्रोडक्ट
सरकारी बीमा कंपनियों जैसे New India Assurance, National Insurance, United India Insurance और प्राइवेट कंपनियों जैसे ICICI Lombard, Bajaj Allianz, HDFC Ergo ने आयोजन‑रद्दीकरण (event cancellation), सार्वजनिक ज़िम्मेदारी (public liability)। Bajaj Allianz की घटना बीमा पॉलिसी में स्पष्ट लिखा है कि कलाकार न आना, उपकरणों का नुकसान, प्राकृतिक आपदाएं आदि को भी शामिल किया गया है।
उदाहरण‑केस: बीमा ने कैसे बचाया नुक़सान
जयपुर की एक शादी, जिसमें बाहरी स्थल बुक हुआ था, बारिश के कारण ख़राब मौसम से आयोजन रद्द करना पड़ा। बीमा कंपनी ने बंद‑स्थल, मचा नुक़सान, विक्रेताओं के नुकसान आदि की भरपाई की। मुंबई में एक आईटी कंपनी का प्रोडक्ट लॉन्च कार्यक्रम हुआ था, जिसमें आवाज‑प्रदर्शन उपकरण और अन्य सामग्रियों को नुकसान हुआ। बीमा कंपनी ने विभागों को भुगतान किया।
संस्कृति और नीति का सवाल
एक बड़े बीमा ब्रोकर ने कहा है कि क़ानूनी तौर पर पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं, लेकिन लगभग कोई सार्वजनिक राजनीतिक रैली बीमा के दायरे में नहीं होती। आयोजक अक्सर यह सोचते हैं कि उनका कार्यक्रम आंदोलन है, कार्यक्रम नहीं, इसलिए बीमा लेने की ज़रूरत नहीं।
जब त्रासदी होती है
हादसा हो जाने पर राज्य सरकार एक ज़रूरी मुआवजा‑भुगतान (ex‑gratia) करती है और ऐसी घटनाओं की ज़िम्मेदारी नागरिकों और करदाताओं पर आ जाती है।
अन्य बड़े घटनाएं
जुलाई 2024: यूपी के ह़ाथरस में धार्मिक सभा में 121 लोग मरे।
जनवरी 2025: प्रयागराज के कुंभ मेले में लगभग 30 तीर्थयात्रियों की भीड़ में दबने से मौत हुई।
जून 2025: बैंगलोर के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भीड़ में दबने से 11 फुटबॉल / IPL कार्यक्रम प्रेमियों की मौत हुई।
समाधान
आयोजन अनुमति (permission) देने के समय बीमा साक्ष्य (insurance proof) अनिवार्य किया जाए। सार्वजनिक आयोजन के लिए बीमा को कानूनी आवश्यकता बताया जाए, जैसे पुलिस क्लीयरेन्स और अग्नि सुरक्षा जांचें होती हैं। छोटे आयोजनों के लिए भी लागत‑अनुकूल पॉलिसियां हों, क्योंकि प्रति व्यक्ति और प्रति घटना ज़िम्मेदारी सीमाएं (liability caps) स्थापित की जा सकती हैं, जिससे लोगों पर आर्थिक बोझ कम हो।