12 फरवरी 2026 को भारत बंद, सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने मोदी सरकार के लेबर कोड के खिलाफ फूंका बिगुल

ट्रेड यूनियनों ने साफ किया कि यदि सरकार लेबर कोड्स के तहत नियमों की अधिसूचना जारी करने पर अड़ी रही, तो लंबे दिनों के लिए भी हड़ताल पर वे जा सकते हैं.

Update: 2025-12-23 08:30 GMT
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सेंट्रल ट्रेड यूनियनों (CTUs) और अलग-अलग सेक्टोरल फेडरेशनों और एसोसिएशनों के संयुक्त मंच ने केंद्र सरकार के लेबर कोड्स और केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में 12 फरवरी 2026 को देशव्यापी आम हड़ताल का ऐलान किया है. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की बैठक 22 दिसंबर 2025 को हाइब्रिड मोड में हुई, जिसमें संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार द्वारा जनता के अधिकारों पर किए जा रहे हमलों पर गहरी चिंता और नाराज़गी जताई गई. इसी बैठक में 12 फरवरी को हड़ताल पर जाने का फैसला लिया गया है. हालांकि हड़ताल की औपचारिक मंजूरी 9 जनवरी 2026 को दिल्ली में एचकेएस सुरजीत भवन में होने वाले राष्ट्रीय श्रमिक सम्मेलन में दी जाएगी.

लेबर कोड्स के खिलाफ संघर्ष होगा तेज

ट्रेड यूनियनों ने साफ किया कि यदि सरकार लेबर कोड्स के तहत नियमों की अधिसूचना जारी करने पर अड़ी रही, तो आगे बहु-दिवसीय आम हड़ताल समेत और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे.

SHANTI Act और जी राम जी बिल का विरोध

सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की हुई संयुक्त मंच की बैठक में ट्रेड यूनियनों ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा लाया गया ‘शांति अधिनियम’ (SHANTI Act) परमाणु ऊर्जा जैसे अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्र में निजी और विदेशी कंपनियों को मुनाफे के लिए प्रवेश देता है और दुर्घटना की स्थिति में सप्लायर्स की जवाबदेही समाप्त करता है, जो देश की परमाणु सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा है.

यूनियनों ने मनरेगा को हटाकर लाए गए विकसित भारत–रोज़गार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) अधिनियम यानी 2025 पर भी कड़ा विरोध जताया है. उनका कहना है कि यह कानून अधिकार-आधारित रोज़गार गारंटी को कमजोर करता है, वित्तीय बोझ राज्यों पर डालता है और किसानों के हित में कटाई के मौसम में सस्ता श्रम सुनिश्चित करने का रास्ता खोलता है. इसके अलावा, बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई, विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, सीड बिल और विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2025 को भी मजदूरों, किसानों, उपभोक्ताओं और सार्वजनिक क्षेत्र के खिलाफ बताया गया है.

पर्यावरण और जनहित के मुद्दे भी उठाए

ट्रेड यूनियनों ने दिल्ली-एनसीआर में गंभीर प्रदूषण और अरावली पहाड़ियों के बड़े हिस्से को नष्ट करने की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी चिंता जताई, इसे उत्तरी भारत के पर्यावरणीय संतुलन के लिए खतरनाक बताया. सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने मजदूरों, मेहनतकश वर्ग, युवाओं, छात्रों और विपक्षी दलों से अपील की है कि वे इस आम हड़ताल के समर्थन में आगे आएं और श्रमिक अधिकारों तथा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट हों. 

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