तेल पर युद्ध का असर! क्या सरकार बढ़ाएगी रिज़र्व टैंक की क्षमता?

ईरान-इज़राइल युद्ध के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में तेज़ उछाल और आपूर्ति बाधित होने की आशंका से दुनियाभर में चिंता फैल गई। भारत, जो अपनी 95 फीसदी LPG ज़रूरतों के लिए आयात पर निर्भर है, उस पर भी संकट के बादल मंडराने लगे।;

Update: 2025-06-24 13:27 GMT

ईरान और इजरायल के बीच बीते 12 दिनों से जारी युद्ध खत्म हो गया है. दोनों ही देशों के बीच सीजफायर की घोषणा हो गई है. इसके चलते कच्चे तेल के दामों में जोरदार गिरावट देखने को मिली. 24 जून को कच्चा तेल 70 डॉलर प्रति बैरल के नीचे जा फिसला है. लेकिन अमेरिका के B2 विमानों के ईरान के परमाणु ठिकानों पर बम गिराने के बाद ये माना जा रहा था कि ईरान स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद कर सकता है जिससे कच्चे तेल के दामों में तेज उछाल आ सकती है.

क्रूड ऑयल सप्लाई के सोर्स को किया डायवर्सिफाई

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने अमेरिकी हमले के बाद देश को आश्वस्त किया कि, भारत लगातार हालात पर नजर बनाये हुए है. उन्होंने कहा भारत ने सप्लाई के सोर्स को डायवर्सिफाई कर दिया है. भारत प्रति दिन 5.5 बिलियन बैरल कच्चा तेल आयात करता है जिसमें केवल 1.5 से 2 मिलियन बैरल कच्चा तेल स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते भारत आता है. उन्होंने कहा हमारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉक है जिसमें कई पास तीन हफ्ते तो एक के पास 25 दिनों का स्टॉक मौजूद है. ऐसे में इस मोर्चे पर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है.

एलपीजी सप्लाई के लिए भारत है इन देशों पर निर्भर

पेट्रोलियम मंत्री ने कच्चे तेल को लेकर आश्वस्त कर दिया लेकिन गैस और खासतौर से एलपीजी जो भारत आयात करता है उसे लेकर उन्होंने कुछ भी नहीं कहा. जबकि भारत कतर, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और कुवैत से गैस आयात करता है जो कि स्ट्रेट ऑफ होर्मुज के रास्ते ही भारत आता है. ऐसे में ये आशंका जताई जा रही थी कि भारत के पास केवल 16 दिनों के लिए एलपीजी का स्टॉक है और पश्चिम एशिया में युद्ध लंबा खींचा और स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को ईरान ने बंद किया तो भारत में एलपीजी का संकट खड़ा हो सकता है.

LPG स्टोरेज क्षमता बढ़ाने की सिफारिश

आपको बता दें ऐसे संकट के दौरान गैस सप्लाई को बनाये रखने के लिए भारत, एलपीजी स्टोरेज के लिए भूमिगत गुफाओं (Caverns) बना रहा है जिससे एलपीजी की स्टोरेज क्षमता बढ़ाई जा सके. इस साल संसद के बजट सत्र के दौरान मार्च महीने में पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने अपने रिपोर्ट में कहा, ऐसे गुफाओं में गैस स्टोर करना सुरक्षित और पर्यावरण के लिए अच्छा तरीका है. यह सतह पर बने टैंकों के मुकाबले प्राकृतिक आपदाओं और बाहरी खतरों से कम प्रभावित होती है.

समिति को मंत्रालय ने बताया है कि विशाखापत्तनम में बनी गुफा का इस्तेमाल एलपीजी गैस (प्रोपेन और ब्यूटेन) आयात करने में किया जा रहा है. साथ ही, HPCL कंपनी मैंगलोर में एक और 80 हजार मीट्रिक टन क्षमता की गुफा बना रही है, जो इस साल शुरू होने की उम्मीद है. लेकिन संसदीय समिति सरकार से ऐसे और भी गुफा बनाने को कहा है. समिति ने अपने सिफारिश में कहा, देश में स्टोरेज क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार और तेल कंपनियों को देश के उन इलाकों में और गुफाएं बनाने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए, जहां जमीन के नीचे ऐसी निर्माण की जा सके. इससे देश की एनर्जी सिक्योरिटी और मजबूत होगी.

90 दिनों के कच्चे तेल का भंडार बनाए सरकार

लेकिन संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि वर्तमान वैश्विक राजनीतिक हालात को ध्यान में रखते हुए देश में 90 दिनों के कच्चे तेल का भंडार रखने की वैश्विक मानक को हासिल करने की दिशा में प्रयास करे. दरअसल पेट्रोलियम मंत्रालय ने समिति को बताया गया है कि सरकार ने Special Purpose Vehicle इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिज़र्व्स लिमिटेड (ISPRL) के माध्यम से देश में रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves) बनाए हैं. इनका कुल भंडारण क्षमता 5.33 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) कच्चे तेल की है, और ये तीन विशाखापत्तनम, मैंगलुरु और पडूर में स्थित है. जब ये पूरी तरह भर जाएंगे और चालू हो जाएंगे तो इन गुफाओं में कच्चे तेल की भंडारण क्षमता लगभग 9.5 दिनों की जरूरत के लिए पर्याप्त होगा. हालांकि संसदीय समिति इसे नाकाफी मानता है. 

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