गोल्ड लोन देने को लेकर सख्त नियम बनाने की तैयारी में RBI, कुल वैल्यू का 75 फीसदी मिलेगा कर्ज
आरबीआई ने गोल्ड लोन देने में पारदर्शिता लाने और नियमों को सख्त बनाने के लिए ड्रॉफ्ट पेपर जारी कर स्टेकहोल्डर्स से सुझाव मांगा है.;
Gold Loan: गोल्ड लोन देने में पारदर्शिता के अभाव को देखते हुए आरबीआई ने लोन देने के नियमों को सख्त करने की तैयारी कर ली है. बैंकिंग सेक्टर के रेगुलेटर ने गोल्ड लोन के फ्रेमवर्क को तैयार करने के लिए ड्रॉफ्ट पेपर जारी कर लोगों से सुझाव मांगा है. आरबीआई चाहता है कि गोल्ड लोन देने की प्रक्रिया में सुधार हो साथ में इस लोन को और भी सुरक्षित भी बनाया जा सके.
गोल्ड लोन को लेकर आरबीआई के ड्रॉफ्ट पेपर का मकसद बैंकों, एनबीएफसी जिसमें हाउसिंग फाइनेंस कंपनी भी शामिल हैं और साथ में सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंक जो सोने पर लोन देते हैं उसके लिए नियमों को एकसमान बनाना है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए कहा था कि अभी बैंकों और दूसरे वित्तीय संस्थानों के गोल्ड लोन को लेकर नियम अलग-अलग हैं. हम चाहते हैं कि नियम एक जैसे हो. उन्होंने कहा कि, गोल्ड लोन में गड़बड़ी देखने को मिला है.
आरबीआई ने अपने ड्रॉफ्ट पेपर में कहा है कि गोल्ड लोन के लिए लोन टू वैल्यू रेश्यो (Loan To Value Ratio) 75 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. यानी गिरवी के तौर पर रखे जाने वाले सोने या सोने की ज्वेलरी के कुल वैल्यू का 75 फीसदी ही लोन दिया जा सकेगा. कोरोनाकाल के दौरान एक साल के लिए गोल्ड लोन के लिए लोन टू वैल्यू रेश्यो को बढ़ाकर 90 फीसदी कर दिया गया था. ड्रॉफ्ट पेपर के मुताबिक बैंक और एनबीएफसी अपना रिस्क एसेसमेंट करने के बाद खुद लोन टू वैल्यू रेश्यो तय कर सकेंगे.
आरबीआई ने जो ड्रॉफ्ट पेपर पेश किया है उसके मुताबिक, सोने पर लोन देने के नियम, बैंक या वित्तीय संस्था की नीति का हिस्सा होना जरूरी है. इसमें यह तय होना चाहिए कि एक व्यक्ति या एक क्षेत्र को कितना लोन दिया जा सकता है. सोने की सही कीमत कैसे तय होगी, उसकी शुद्धता की जांच कैसे की जाएगी, और लोन का इस्तेमाल कहां हो रहा है, यह सब पता लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए.
ड्रॉफ्ट पेपर के मुताबिक गोल्ड लोन उसी को दिया जाना चाहिए जो उसे चुकाने की क्षमता रखता हो. साथ ही बैंक या वित्तीय संस्थानों को इस बात का भी रिकॉर्ड रखना होगा कि कि लोन का इस्तेमाल सही जगह हो रहा है या नहीं. पुराने गोल्ड लोन को फिर से चालू करना या और टॉप-अप करने की इजाजत तभी दी जाएगी जब वह पहले से मान्य स्थिति में हो और तय सीमा के भीतर हो.
आरबीआई ने साफ किया है कि कच्चे सोने, चांदी या इनसे जुड़े निवेशों यानी गोल्ड या सिल्वर ईटीएफ के बदले में लोन नहीं दिया जाएगा. साथ ही जिस सोने के मालिकाना हक को लेकर विवाद हो उसपर लोन नहीं दिया जाएगा. गोल्ड लोन की लिमिट्स को लेकर आरबीआई ने अपने ड्रॉफ्ट पेपर में कहा है कि एक साल से ज्यादा के लिए बुलेट रीपेमेंट लोन नहीं दिया जाएगा. सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंक केवल 5 लाख रुपये तक ही गोल्ड लोन दे सकेंगे. एक व्यक्ति अधिकतम 1 किलो सोना (गहनों या सिक्कों के रूप में) गिरवी रखकर लोन ले सकता है. गिरवी रखे जाने वाले सिक्कों का वजन 50 ग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए और सिर्फ बैंक द्वारा बेचे गए 22 कैरेट या उससे अधिक शुद्धता वाले सिक्के ही गिरवी के रूप में मान्य होंगे.