जिन ऑनलाइन गेम्स में पैसे का इस्तेमाल, उन पर पूरी तरह से पाबंदी, सरकार ने लोकसभा में बिल पास किया

सरकार ने संसद में ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 पेश किया है। उसे लोकसभा से पास भी कर दिया है। इस बिल में क्या है खास, इस रिपोर्ट में जानिए;

Update: 2025-08-20 10:52 GMT
सरकार का कहना है कि इन गेम्स की लत बच्चों और युवाओं को लग रही है।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 पेश किया। बिल पेश होने के तुरंत बाद, पी.सी. मोहन की अध्यक्षता में सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। कैबिनेट ने मंगलवार को ही इस विधेयक को मंजूरी दी थी।

क्या ऑनलाइन गेम्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगेगा?

बिल में पैसे के इस्तेमाल से खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान है। सरकार का कहना है कि इन गेम्स की लत बच्चों और युवाओं को लग रही है।

इससे न केवल वित्तीय नुकसान हो रहा है, बल्कि कई मामलों में आत्महत्याएं भी हो रही हैं।

विधेयक में सजा और जुर्माने के प्रावधान

कानून तोड़कर ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाएं देने वालों को 3 साल तक की कैद या ₹1 करोड़ तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। विज्ञापन करने वालों पर 2 साल जेल और/या ₹50 लाख जुर्माना लगाया जा सकेगा। बैंक/वित्तीय संस्थान जो इन लेन-देन को सुविधा देंगे, वे भी 3 साल की सजा और ₹1 करोड़ जुर्माना झेल सकते हैं।

बार-बार अपराध करने पर 3 से 5 साल की जेल और अधिक जुर्माना तय होगा। हालांकि, इस विधेयक में गेम खेलने वाले यूजर्स को अपराधी नहीं बल्कि पीड़ित माना गया है।

कौन सा गेम मनी गेम है, कैसे तय होगा?

इसके लिए एक वैधानिक नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा। वही तय करेगा कि कोई गेम ऑनलाइन मनी गेम है या नहीं। सभी प्लेटफॉर्म को प्राधिकरण से पंजीकरण कराना होगा और नियमों का पालन करना होगा।

बिल के मुताबिक, कोई भी गेम जिसमें शुल्क/धन/दांव लगाकर जीत की उम्मीद में खेला जाए, उसे ऑनलाइन मनी गेम माना जाएगा, चाहे वह कौशल पर आधारित हो या किस्मत पर।

किन गेम्स को छूट मिलेगी?

ई-स्पोर्ट्स और कौशल-आधारित गेम्स को मनी गेम की श्रेणी से बाहर रखा गया है। इनमें पैसों का दांव शामिल नहीं होगा। सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य जुआ, वित्तीय शोषण, मानसिक स्वास्थ्य जोखिम और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों पर लगाम लगाना है।

साथ ही, ई-स्पोर्ट्स और गेमिंग स्टार्टअप्स को बढ़ावा देकर भारत को गेमिंग हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

ऑनलाइन गेमिंग उद्योग की चिंताएँ

उद्योग का कहना है कि पूर्ण प्रतिबंध से 2 लाख से ज्यादा नौकरियां जाएंगी और 400 से अधिक कंपनियां बंद होंगी। AIGF, EGF और FIFS ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में चेतावनी दी कि इससे भारत की डिजिटल इनोवेशन पोज़िशन कमजोर होगी। एक चिंता यह है कि वैध प्लेटफॉर्म बंद होने से यूजर्स अवैध मटका नेटवर्क और जुआ साइट्स की ओर जा सकते हैं।

उद्योग ने कहा, यह क्षेत्र 20% की सीएजीआर से बढ़ रहा है। 2028 तक इसके दोगुना होने की उम्मीद है। 2020 में भारत का गेमर बेस 36 करोड़ था, जो 2024 में 50 करोड़ से अधिक हो गया। जून 2022 तक इस क्षेत्र में ₹25,000 करोड़ से ज्यादा का एफडीआई आया है।

यह विधेयक एक ओर युवाओं को वित्तीय और मानसिक नुकसान से बचाने की कोशिश है, वहीं दूसरी ओर उद्योग जगत को चिंता है कि इससे वैध कारोबार और लाखों नौकरियां खत्म हो सकती हैं।

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