EMI भरने वालों को करना होगा और इंतजार, आरबीआई ने नहीं दी राहत
रिजर्व ने मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया है। इसमें 9वीं बार रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
By : Lalit Rai
Update: 2024-08-08 05:21 GMT
RBI Repo Rate News: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति का ऐलान कर दिया है जिसका इंतजार ईएमआई भरने वालों को था। गवर्नर शक्तिकांत दास ने जब कहा कि रेपो रेट पहले की तरह 6.5 की दर पर यथावत रहेगा तो एक बात साफ हो गई कि लोन चुलाने वालों को राहत पाने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। इसका अर्थ यह है कि अभी आप जितनी ईएमआई भर रहे हैं उसमें किसी तरह की राहत नहीं है। पहले आप यह समझिए कि रेपो रेट क्या होता है। रेपो रेट का मतलब आरबीआई जिस दर पर बैंकों को लोन देता है। रेपो रेट के कम होने पर हर तरह की किस्त कम होती है यानी कि लोन सस्ता होता है। लेकिन बढ़ने पर लोन महंगा हो जाता है। आरबीआई ने ने पिछले साल रेपो रेट में बदलाव किया था तब इसमें .25 की बढ़ोतरी की गई थी.
6.5 फीसद है रेपो रेट की दर
मई 2022 से लगातार छह बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद पिछले साल अप्रैल में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का चक्र रोक दिया गया था। चालू वित्त वर्ष के लिए तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि एमपीसी खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि पर नजर रखेगी। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। हालांकि दास ने कहा कि मुद्रास्फीति मोटे तौर पर घट रही है।
ईएमआई भरने वालों को राहत नहीं
जिस तरह से हम सब जरूरतों के हिसाब से बैंकों से कर्ज लेते हैं। ठीक वैसे ही पब्लिक और कमर्शियल बैंकों भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से लोन लेते हैं। कर्ज पर ब्याज जैसे आम ग्राहक चुकाता है ठीक वैसे ही चुकाते बैंकों को भी ब्याज चुकाना पड़ता है। भारतीय रिजर्व बैंक की जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है वो रेपो रेट कहलाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब बैंकों को सस्ता लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलेगा तो ग्राहकों को भी सस्ता लोन मिलता है। अगर रेपो रेट कम होता है तो इसकी सीधा फायदा आम लोगों को मिलता है लेकिन रेपो रेट बढ़ने की सूरत में आम आदमी की परेशानी बढ़ती है।