इक्विटी डेरिवेटिव्स के लिए अवधि और परिपक्वता बढ़ाने की योजना बना रहा है SEBI: तुहिन पांडे
सेबी चेयरमैन तुहिन कांत पांडे का कहना है कि सेबी F&O कॉन्ट्रैक्ट की अवधि में बदलाव पर विचार कर रहा है। पांडे ने एक बड़ा अपडेट देते हुए ये भी कहा कि F&O टाइमलिमिट पर कंसल्टेशन पेपर जारी किया जाएगा।;
भारत के बाजार नियामक, सेबी, इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की अवधि और परिपक्वता बढ़ाने के उपाय तलाश रहा है, ऐसा इसके अध्यक्ष तुहिन कांता पांडे ने गुरुवार को कहा।
SEBI के चेयरमैन ने कहा कि इक्विटी डेरिवेटिव्स (Equity Derivatives) की अवधि बढ़ाने के लिए एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रेगुलेटर इक्विटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स की अवधि और मैच्योरिटी में इम्प्रूवमेंट के तरीकों के बारे में सोच रहा है। साथ ही कैश मार्केट में वॉल्यूम बढ़ाने के तरीकों पर भी विचार हो रहा है।
12 अगस्त को बीएसई के एमडी और सीईओ एस राममूर्ति ने कहा था कि इंडिया में रेगुलेटरी पॉलिसी में लगातार बेहतरी की दिशा में बढ़ती रहती है। उन्होंने कहा था कि वीकली एक्सपायरी को हटाने से संबंधित रिपोर्ट्स पर रेगुलेटर के विचारों का उन्हें इंतजार है।
हाल ही में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में वृद्धि हुई है, जिसे रिटेल निवेशकों ने भी बढ़ावा दिया है। इस वृद्धि के कारण भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति की संख्या को सीमित करने और लॉट साइज बढ़ाने का निर्णय लिया है, ताकि इस प्रकार के ट्रेड को महंगा बनाया जा सके।
तुहिन पांडे ने मुंबई में एक उद्योग कार्यक्रम में कहा कि सेबी भारत के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और स्टॉक एक्सचेंजों के साथ मिलकर प्री-आईपीओ कंपनियों के बारे में जानकारी के लिए एक नियमनयुक्त प्लेटफ़ॉर्म बनाने पर काम करेगा।
सेबी चेयरमैन ने कहा कि एफएंडओ सेगमेंट में क्वालिटी और बैलेंस बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा, "कैपिटल फॉर्मेशन में इक्विटी डेरिवेटिव्स की बड़ी भूमिका है। लेकिन, हमें क्वालिटी और बैलेंस सुनिश्चित करना होगा। हम इस बारे में स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत करेंगे। डेरिवेटिव्स प्रोडक्ट्स की अवधि और मैच्योरिटी बढ़ाने पर बात होगी। इससे हेजिंग और लॉन्ग टर्म इनवेस्टिंग के लिए इतना बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा। "
बीएसई का फोकस रेवेन्यू सोर्सेज के डायवर्सिफिकेशन पर
उन्होंने यह भी कहा था कि डेटा के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि इंडिया में ऑप्शंस का वॉल्यूम पीक पर पहुंच गया है। बीएसई का फोकस अभी मार्जिन बढ़ाने की जगह रेवेन्यू के स्रोतों के डायवर्सिफिकेशन पर है। एंजल वन के सीईओ दिनेश ठक्कर ने 22 जुलाई को कहा था कि ब्रोकरेज फर्म का 45 फीसदी रेवेन्यू एफएंडओ ब्रोकिंग सेगमेंट से आता है।