46 साल में सबसे बड़ी सालाना बढ़त की ओर चांदी, YTD 120% की तेज़ी: क्या अगले साल ₹2,50,000 तक पहुंचेगी कीमत?

चांदी की कीमतों में साल-दर-साल (YTD) 120% की ज़बरदस्त तेजी दर्ज की गई है और भाव ₹2,00,000 के स्तर को पार कर चुके हैं। विश्लेषकों का मानना है कि संरचनात्मक मांग और आपूर्ति की सीमाओं के चलते कीमतें आगे बढ़कर ₹2,40,000 से ₹2,50,000 तक जा सकती हैं।

Update: 2025-12-13 12:19 GMT
विश्लेषकों को उम्मीद है कि अगले एक साल में चांदी की कीमतें ₹2,40,000–2,50,000 के लक्ष्य तक पहुंच सकती हैं यानी करीब 25% की और बढ़त।

कमोडिटी से भरे इस साल में चांदी सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाली धातु बनकर उभरी है। साल-दर-साल 120% की शानदार तेजी के साथ शुक्रवार को घरेलू बाजार में पहली बार चांदी की कीमत ₹2,00,000 के पार चली गई। इसके साथ ही चांदी 1979 के बाद अपने सबसे बेहतरीन सालाना प्रदर्शन की राह पर है — यानी 46 साल का रिकॉर्ड।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की यह सुनहरी दौड़ यहीं खत्म होने वाली नहीं है। विश्लेषकों के अनुसार, अगले साल कीमतें ₹2,40,000–2,50,000 तक पहुंच सकती हैं — यानी करीब 25% की और बढ़त — जिसकी वजह अस्थायी सट्टेबाज़ी नहीं, बल्कि वास्तविक आपूर्ति संकट है।

चांदी की तेजी को क्या सहारा दे रहा है?

INVAsset PMS के बिज़नेस हेड हर्षल दसानी के मुताबिक, चांदी का बुल रन ऐसे बाजार में संरचनात्मक पुनर्मूल्यांकन का संकेत है, जहां भौतिक कमी और बढ़ती मांग प्रमुख कारक हैं।

वैश्विक खनन उत्पादन ऊंची कीमतों के बावजूद प्रतिक्रिया नहीं दे पाया है और यह करीब 810 मिलियन औंस (Moz) पर स्थिर बना हुआ है — जो पांच साल पहले के स्तर के बराबर या उससे भी कम है। लगभग 70–80% चांदी सीसा, जस्ता और तांबे के खनन के दौरान सह-उत्पाद (by-product) के रूप में निकलती है। इस भूवैज्ञानिक सच्चाई के कारण चांदी की आपूर्ति कीमतों के प्रति लचीली नहीं है और खनन कंपनियां बिना मुख्य धातुओं के बाजार को नुकसान पहुंचाए चांदी का उत्पादन नहीं बढ़ा सकतीं, Axis Direct ने कहा।

Refinitiv के आंकड़ों के अनुसार, 2026 तक चांदी की आपूर्ति में कमी बनी रहने की संभावना है, जिसका अनुमान करीब 112 मिलियन औंस है।

ब्रोकरेज का मानना है कि औद्योगिक मांग इस तेजी की सबसे बड़ी वजह बनी हुई है। खास तौर पर सोलर फोटोवोल्टिक (PV) सेक्टर ने मांग के ट्रेंड को पूरी तरह बदल दिया है।

Axis Direct ने कहा, “डिमांड डेटा से सबसे अहम बात यह सामने आती है कि औद्योगिक मांग, खासकर ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन से जुड़ी मांग, तेज़ी से बढ़ रही है। सोलर फोटोवोल्टिक सेक्टर से चांदी की मांग सिर्फ चार साल में दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गई है — 2020 में 94.4 मिलियन औंस से बढ़कर 2024 में 243.7 मिलियन औंस हो गई। अकेले सोलर सेक्टर की हिस्सेदारी 2024 में कुल मांग का करीब 21% रही, जिसने धातु के उपयोग के स्वरूप को मूल रूप से बदल दिया।”

इसके अलावा, वैश्विक बाजार इस समय व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता के चलते लॉजिस्टिक असंतुलन से भी जूझ रहा है। पूरे साल COMEX फ्यूचर्स लंदन के स्पॉट प्राइस की तुलना में प्रीमियम पर कारोबार करते रहे। इस आर्बिट्राज अवसर के कारण बड़ी मात्रा में चांदी लंदन से निकलकर अमेरिकी वॉल्ट्स में चली गई, जिससे वैश्विक उपलब्धता और सिकुड़ गई। Axis Direct के मुताबिक, COMEX में चांदी का भंडार लगातार बढ़ रहा है।

तकनीकी चार्ट्स पर भी चांदी ने एक दशक पुराने बेस से निर्णायक ब्रेकआउट दिया है। ब्रोकरेज का मानना है कि अगर कीमत $67 के ऊपर टिकाऊ मासिक क्लोज़ देती है, तो बहुवर्षीय अपट्रेंड शुरू हो सकता है, जिसका लक्ष्य $76–$80 हो सकता है। हालांकि $65 के आसपास कुछ समय के लिए कंसोलिडेशन संभव है, लेकिन दीर्घकालिक रुझान मजबूत बना हुआ है।

चांदी का प्राइस टारगेट

घरेलू बाजार में Axis Direct का मानना है कि यदि कीमतों में गिरावट आकर ₹1,70,000–1,78,000 का स्तर आता है, तो इसे चरणबद्ध तरीके से निवेश के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 2026 के लिए लक्ष्य करीब ₹2,40,000 बताया गया है।

वहीं, हर्षल दसानी ने कहा कि आगे देखते हुए चांदी का आउटलुक मजबूत बना हुआ है। लगातार भौतिक कमी, औद्योगिक उपयोग में विस्तार और निवेशकों की नई दिलचस्पी के चलते “चांदी सिर्फ बढ़ नहीं रही, बल्कि उसका पुनर्मूल्यांकन हो रहा है।” संरचनात्मक मांग के कारण यह तेजी 2026 तक टिक सकती है और कीमतें अगले साल ₹2,50,000 तक पहुंचने की उम्मीद है।

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