सुप्रीम कोर्ट ने कहा, होमबायर्स के सपनों का घर तैयार करने के लिए बने रिवाइवल फंड, RERA को मिले और ताकत
बेंच ने सुनवाई के दौरान आगाह करते हुए कहा कि RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) को “टूथलेस टाइगर्स” नहीं बनने देना चाहिए. इसके पास इतना अधिकार और संसाधन होना चाहिए कि उसके आदेश तुरंत लागू हों.;
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को अधूरी और अटकी हुई हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए एक रिवाइवल फंड बनाना चाहिए. इससे घर खरीदारों की मेहनत की कमाई सुरक्षित रह सकेगी. कोर्ट ने कहा, ये सरकार और राज्यों की जिम्मेदारी है कि कोई भी बिल्डर होमबायर्स को धोखा न दे और प्रोजेक्ट समय पर पूरे हों.
जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि ऐसा ढांचा बने और लागू हो जहाँ कोई भी डेवलपर घर खरीदारों को ठगे या उनका शोषण न कर सके. अदालत ने कहा कि समय पर परियोजनाओं का पूरा होना देश की शहरी नीति का आधार होना चाहिए. बेंच ने सुनवाई के दौरान आगाह करते हुए कहा कि RERA (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) को “टूथलेस टाइगर्स” नहीं बनने देना चाहिए. इसके पास इतना अधिकार और संसाधन होना चाहिए कि उसके आदेश तुरंत लागू हों.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने सुझाव और आदेश में कहा, सरकार NARCL जैसी एक नई संस्था बनाए जो अधूरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को अपने हाथ में लेकर पूरा कर सके. इन प्रोजेक्ट्स से बची हुई फ्लैट्स या मकान प्रधानमंत्री आवास योजना या सरकारी क्वार्टर्स में इस्तेमाल किए जा सकते हैं. खरीदारों की रकम एस्क्रो अकाउंट में रखी जाए और काम की प्रगति के हिसाब से ही बिल्डर को दी जाए. हर नया प्रोजेक्ट सरकार के पास पंजीकृत हो और खरीदार से कम से कम 20% रकम मिलने के बाद ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो. NCLT/NCLAT की खाली सीटें तुरंत भरी जाएं और जरूरत पड़ने पर रिटायर जजों की मदद ली जाए. CAG समय-समय पर ऑडिट करे और रिपोर्ट आम जनता तक पहुँचाए.
कोर्ट ने कहा कि घर खरीदारों की हालत बहुत खराब है. उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी लगा दी, EMI और किराया दोनों चुका रहे हैं, फिर भी उनका सपना अधूरे मकान में फँसकर रह गया है. कोर्ट ने कहा, आवास का अधिकार केवल कॉन्ट्रैक्ट नहीं, बल्कि जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. घर खरीदार भारत के शहरी भविष्य की रीढ़ हैं, और उनकी सुरक्षा करना सरकार की जिम्मेदारी है.